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गोरखपुर: सावन उत्सव के आयोजन पर महिलाओं ने बढ़-चढ़कर लिया हिस्सा

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में युवा इंडिया के बैनर तले सावन उत्सव का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.

सावन उत्यव का आयोजन.
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Published : Aug 3, 2019, 9:31 PM IST

गोरखपुर: भारत लोक संस्कृति और विभिन्न प्रकार के परंपराओं वाला देश है. सावन के महीने कई मायने में बेहद खास हो जाता है. महिलाएं इस महीने में भरपूर आनंद उठाती हैं. देश के हर राज्य में सावन अगल-अगल तरीकों से मनाया जाता है. इस मौके पर हरे-भरे परिधान पहनकर सावन की हरियाली का एहसास भी होता है.

सावन उत्सव का आयोजन.

युवा इंडिया के बैनर तले सावन उत्सव का आयोजन

  • युवा इंडिया के बैनर तले शनिवार को सावन उत्सव का आयोजन किया गया.
  • इस कार्यक्रम में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
  • कार्यक्रम में महिलाओं ने नृत्य करने के साथ ही ढोल-झाल की तान में अपने कजरी गीत को गुनगुनाया.
  • इस मौके पर सावन में खास झूला झूलने की प्रथा भी निभाई.

गोरखपुर: भारत लोक संस्कृति और विभिन्न प्रकार के परंपराओं वाला देश है. सावन के महीने कई मायने में बेहद खास हो जाता है. महिलाएं इस महीने में भरपूर आनंद उठाती हैं. देश के हर राज्य में सावन अगल-अगल तरीकों से मनाया जाता है. इस मौके पर हरे-भरे परिधान पहनकर सावन की हरियाली का एहसास भी होता है.

सावन उत्सव का आयोजन.

युवा इंडिया के बैनर तले सावन उत्सव का आयोजन

  • युवा इंडिया के बैनर तले शनिवार को सावन उत्सव का आयोजन किया गया.
  • इस कार्यक्रम में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
  • कार्यक्रम में महिलाओं ने नृत्य करने के साथ ही ढोल-झाल की तान में अपने कजरी गीत को गुनगुनाया.
  • इस मौके पर सावन में खास झूला झूलने की प्रथा भी निभाई.
Intro:गोरखपुर। भारत लोक संस्कृति और विभिन्न प्रकार के परंपराओं वाला देश है। यहां हर महीने कोई न कोई पर्व और त्योहार मनाया ही जाता है। सावन का महीना तो कई मायने में बेहद खास हो जाता है। महिलाएं इस महीने में भरपूर आनंद उठाती हैं। कजरी गीत गाती हैं। मेहंदी लगाती हैं। तो हरे- भरे परिधान पहनकर सावन की हरियाली का एहसास भी कराती हैं। गोरखपुर में कुछ ऐसा ही आयोजन युवा इंडिया के बैनर तले शनिवार को हुआ जिसमें महिलाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। नृत्य किया, ढोल-झाल की तान में अपने कजरी गीत को गुनगुनाया तो इस महीने के खास अवसर झूला झूलना भी वह नहीं भूलीं।

नोट--कम्प्लीट पैकेज है। वॉइस ओवर अटैच है।


Body:यह महीना हरियाली का माना जाता है। इसमे वह अपने कार्य व्यवहार और पकवान को परोस कर आपस में प्रेम और सौहार्द का वातावरण भी बनाती हैं। ननद और भाभी के बीच के संवाद का गीत भी यहां गाया जाता है तो पतियों के रिझाने के लिए भी महिलाएं एक से एक गीत प्रस्तुत करती हैं। जिसका मिश्रित रूप यहां के कार्यक्रम में देखने को मिला। 'आया सावन झूम के,' मेघा रे मेघा रे' सतरंगी चुनरी के साथ 'पिया मेहंदी लेअइह मोती झील से जाके साइकिल से ना' बेहद ही आकर्षक बन पड़ा। इसकी प्रस्तुति देकर आकृति ने तो सबका मन मोह लिया। कार्यक्रम में शहर की पूर्व मेयर डॉ सत्या पांडेय भी पहुंचकर महिलाओं का हौसला बढ़ाई और इस पर्व का महत्व बताईं।

बाइट-आकृति, युवा इंडिया की सदस्य
बाइट--डॉ सत्या पाण्डेय, पूर्व मेयर, गोरखपुर


Conclusion:ऐसे आयोजनों से जहां अपनी परंपरा को कायम करने का एक अवसर समाज के सामने होता है तो महिलाएं जो किसी भी घर को सजाने-संवारने का काम करती हैं, भव्य और भावपूर्ण आयोजन से सबका मन मोह लेती हैं। ऐसा नहीं कि इसमें सिर्फ महिलाओं ने ही भागीदारी दिया घर के बच्चे और पुरुष भी मिलकर कार्यक्रम को सफल बनाए जिसमें शशि राय, साक्षी, सुमन, आकृति, स्वीटी, अर्चना, रत्नेश, सुधा और हर्षित समेत सैकड़ों लोगों ने भाग लेकर कार्यक्रम को सफल और मोहक बना दिया।

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मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
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