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विकास के लिए वृक्षों की कुर्बानी, पर्यावरण संरक्षण की बात बेमानी

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Published : Jan 5, 2021, 11:11 AM IST

गोरखपुर में बीते साल सड़कों के निर्माण के लिए छोटे-बड़े 20 हजार पेड़ काट दिए गए. इन पेड़ों के काटने से हरियाली समाप्त होने के साथ प्रदूषण भी बढा. लेकिन एनजीटी इस ओर ध्यान नहीं दिया. आगामी दिनों में भी यहां प्राकृतिक संग्रहालय और श्रम विभाग का एकीकृत कार्यालय बनाने के लिए लगभग 200 पेड़ काट दिए जाएंगे. देखें रिपोर्ट-

गोरखपुर में काटे गए पेड़.
गोरखपुर में काटे गए पेड़.

गोरखपुर: सड़कों के बिछते जाल और विकास के मायाजाल, पेड़-पौधों और पर्यावरण के लिए कितना नुकसान दाई है. यह गोरखपुर शहर में अंधाधुंध हो रहे विकास कार्यों से निकलकर सामने आ रहा है. 'एक वृक्ष दस पुत्र समाना' का नारा खुद वन विभाग देता है. लेकिन फोरलेन और सिक्सलेन की सड़कों को बनाने के लिए यही वन विभाग सरकार के निर्देश और कार्यदाई संस्थाओं की पहल पर हजारों पेड़ काटने की अनुमति देता है. जिससे हरियाली समाप्त होने के साथ पर्यावरणीय असंतुलन भी बनता है. वहीं पेड़ों के काटे जाने पर एनजीटी की भी आंख बंद हो जाती है.

सड़क निर्माण के लिए काटे जा रहे वृक्ष.

पर्यावरणविदों की नजर में अपराध, लेकिन सरकार के लिए सब जायज

वृक्षों के अंधाधुंध कटान से मानव जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. गोरखपुर शहर को चारों दिशाओं से फोरलेन से जोड़ने का प्रयास पिछले 2 सालों से चल रहा है. शहर के बाहरी हिस्से की बात छोड़ दें, तो सिर्फ शहर में ही करीब 847 से ज्यादा पेड़ काट दिए गए हैं. जो 25 से 50 साल उम्र के थे. अगर पूरे जिले की बात करें तो इन सड़कों के निर्माण में छोटे- बड़े 20 हजार पेड़ों को अपनी बलि देनी पड़ी है.

क्या कहते हैं वन विभाग के अधिकारी

वन विभाग के अधिकारी कहते हैं कि शासन की गाइडलाइन और कार्यदाई संस्थाओं के आवेदन पर विभाग अपनी जांच रिपोर्ट उत्तर प्रदेश और भारत सरकार को भेजता है. जहां से अनुमति मिलने के बाद ही इन प्रोजेक्ट्स के दायरे में आने वाले पेड़ों की कटाई की गई है. जबकि पर्यावरणविद उम्रदराज और ऑक्सीजन के भंडार से भरे इन पेड़ों की कटान को सही नहीं मानते. जबकि इससे शहरों में ऑक्सीजन की भारी कमी और हीटलैंड बन जाता है. जिससे मानवीय जीवन को काफी नुकसान पहुंचता है.

सड़क निर्माण.
सड़क निर्माण.

उनका मानना है कि अगर इमली, नीम, आम और साखू, सागौन के पेड़ काटे जाते हैं तो इसी वेरायटी के पौधों का रोपण किया जाना चाहिए. हालांकि टेक्नोलॉजी के इस युग में ऐसे वृद्ध पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन उन्हीं रूट पर कर दिया जाना चाहिए, जिस पर इनकी कटाई हो रही है. इससे कम समय में पौधों को जीवन मिल जाएगा और पेड़ों की कटाई भी नहीं होगी.


गोरखपुर में फोरलेन की सड़कों के निर्माण में काटे गए पेड़

  • कौड़िया जंगल के बीच 1507 पेड़
  • चौरी-चौरा के बीच 1940 पेड़
  • गोरखपुर-वाराणसी रोड पर बड़हलगंज तक 4448 पेड़ (वर्ष 2018-19 में)
  • सर्किट हाउस रोड से एयरपोर्ट तक 139 पेड़
  • जेल बाईपास रोड पर 15 पेड़
  • गोरखपुर-पिपराइच रोड पर 13 पेड़
  • गोरखपुर-सोनौली रोड पर 1080 पेड़(वर्ष 2018-19 में)
  • गोरखपुर-महराजगंज रोड पर 3392 पेड़

इन प्रोजेक्ट में भी पेड़ों की कटान होनी तय

वर्ष 2021 में जिले में प्राकृतिक संग्रहालय और श्रम विभाग का एकीकृत कार्यालय बनाया जाना प्रस्तावित है. जिन जगह पर यह बनाये जाने हैं, वहां पर कम से कम 200 पेड़ काट दिए जाएंगे. सूत्रों की माने तो प्राकृतिक संग्रहालय पर वन विभाग फिलहाल आपत्ति कर रहा है.

सड़क निर्माण कार्य जारी.
सड़क निर्माण कार्य जारी.
पेड़ काटने की अनुमति और सजा भी

पेड़ों के कटान को लेकर प्रदेश और केंद्र सरकार के जो नियम है उसमें दंड का भी प्रावधान है. अगर कोई बिना अनुमति के पेड़ काटता है या इजाजत से भी काटता है, तो उसके बदले उसे पौधों को लगाना भी होता है. प्रदेश सरकार 'उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम 4 और 10 के तहत' अवैध रूप से पेड़ काटने वाले आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करती है. जबकि, भारत सरकार के 'वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत' कोई भी कार्यदाई संस्था पेड़ों की कटान के लिए वन विभाग में आवेदन प्रस्तुत करती है. और फिर अनुमति के आधार पर ही पेड़ों की कटाई होती है.

एक पेड़ काटने पर 10 पेड़ लगाना है जरूरी

यह अक्सर देखने को मिलता है कि सरकारी प्रोजेक्ट में अनुमति मिल ही जाती है. लेकिन कार्यदाई संस्था सामान्य कैटेगरी के पौधों को डिवाइडर के बीच लगाकर पौधों के लगाने की खानापूर्ति कर देती है. जबकि एक आम आदमी अगर एक पेड़ काटता है तो उसके बदले उसे 10 पेड़ लगाने के लिए विभाग कहता है. साथ ही एक निश्चित धनराशि की (एफडी) विभाग जमा कराता है. 25 साल बाद उन पेड़ों की कुशलता को देखने के साथ अनुमति प्राप्त करने वाले व्यक्ति को एफडी वापस कर दी जाती है. जबकि सरकारी महकमे में न तो कायदे के पेड़ लगाए जाते हैं और न ही वन विभाग उनसे एफडी के रूप में कोई धनराशि जमा करा पाता है. जो सड़कें चौड़ीकरण हुई हैं उनमें और नहीं तो खजूर के पेड़ लाकर लगा दिया है.

काटे गए पेड़.
काटे गए पेड़.
अब तक हुई अवैध कटान और कार्रवाई

9-10 फरवरी 2020 को खजनी-उरुवा रोड पर सड़क के दोनों किनारे रात के समय करीब 440 पेड़ काट दिए गए थे. जो 15 से 20 वर्ष पुराने थे. इस मामले में मंडलायुक्त के निर्देश पर जांच की गई. जिसमें लोक निर्माण विभाग के जूनियर इंजीनियर, थानाध्यक्ष उरुवा, सड़क बनवा रहे ठेकेदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है. इस वर्ष वन विभाग ने 9 अगस्त को 45.44 लाख पौधों का रोपण करके गिनीज ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया था. जबकि सामान्य शिकायत की संख्या 400 से ज्यादा थी, जिनमें जुर्माने की भी कार्रवाई हुई है.

गोरखपुर: सड़कों के बिछते जाल और विकास के मायाजाल, पेड़-पौधों और पर्यावरण के लिए कितना नुकसान दाई है. यह गोरखपुर शहर में अंधाधुंध हो रहे विकास कार्यों से निकलकर सामने आ रहा है. 'एक वृक्ष दस पुत्र समाना' का नारा खुद वन विभाग देता है. लेकिन फोरलेन और सिक्सलेन की सड़कों को बनाने के लिए यही वन विभाग सरकार के निर्देश और कार्यदाई संस्थाओं की पहल पर हजारों पेड़ काटने की अनुमति देता है. जिससे हरियाली समाप्त होने के साथ पर्यावरणीय असंतुलन भी बनता है. वहीं पेड़ों के काटे जाने पर एनजीटी की भी आंख बंद हो जाती है.

सड़क निर्माण के लिए काटे जा रहे वृक्ष.

पर्यावरणविदों की नजर में अपराध, लेकिन सरकार के लिए सब जायज

वृक्षों के अंधाधुंध कटान से मानव जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. गोरखपुर शहर को चारों दिशाओं से फोरलेन से जोड़ने का प्रयास पिछले 2 सालों से चल रहा है. शहर के बाहरी हिस्से की बात छोड़ दें, तो सिर्फ शहर में ही करीब 847 से ज्यादा पेड़ काट दिए गए हैं. जो 25 से 50 साल उम्र के थे. अगर पूरे जिले की बात करें तो इन सड़कों के निर्माण में छोटे- बड़े 20 हजार पेड़ों को अपनी बलि देनी पड़ी है.

क्या कहते हैं वन विभाग के अधिकारी

वन विभाग के अधिकारी कहते हैं कि शासन की गाइडलाइन और कार्यदाई संस्थाओं के आवेदन पर विभाग अपनी जांच रिपोर्ट उत्तर प्रदेश और भारत सरकार को भेजता है. जहां से अनुमति मिलने के बाद ही इन प्रोजेक्ट्स के दायरे में आने वाले पेड़ों की कटाई की गई है. जबकि पर्यावरणविद उम्रदराज और ऑक्सीजन के भंडार से भरे इन पेड़ों की कटान को सही नहीं मानते. जबकि इससे शहरों में ऑक्सीजन की भारी कमी और हीटलैंड बन जाता है. जिससे मानवीय जीवन को काफी नुकसान पहुंचता है.

सड़क निर्माण.
सड़क निर्माण.

उनका मानना है कि अगर इमली, नीम, आम और साखू, सागौन के पेड़ काटे जाते हैं तो इसी वेरायटी के पौधों का रोपण किया जाना चाहिए. हालांकि टेक्नोलॉजी के इस युग में ऐसे वृद्ध पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन उन्हीं रूट पर कर दिया जाना चाहिए, जिस पर इनकी कटाई हो रही है. इससे कम समय में पौधों को जीवन मिल जाएगा और पेड़ों की कटाई भी नहीं होगी.


गोरखपुर में फोरलेन की सड़कों के निर्माण में काटे गए पेड़

  • कौड़िया जंगल के बीच 1507 पेड़
  • चौरी-चौरा के बीच 1940 पेड़
  • गोरखपुर-वाराणसी रोड पर बड़हलगंज तक 4448 पेड़ (वर्ष 2018-19 में)
  • सर्किट हाउस रोड से एयरपोर्ट तक 139 पेड़
  • जेल बाईपास रोड पर 15 पेड़
  • गोरखपुर-पिपराइच रोड पर 13 पेड़
  • गोरखपुर-सोनौली रोड पर 1080 पेड़(वर्ष 2018-19 में)
  • गोरखपुर-महराजगंज रोड पर 3392 पेड़

इन प्रोजेक्ट में भी पेड़ों की कटान होनी तय

वर्ष 2021 में जिले में प्राकृतिक संग्रहालय और श्रम विभाग का एकीकृत कार्यालय बनाया जाना प्रस्तावित है. जिन जगह पर यह बनाये जाने हैं, वहां पर कम से कम 200 पेड़ काट दिए जाएंगे. सूत्रों की माने तो प्राकृतिक संग्रहालय पर वन विभाग फिलहाल आपत्ति कर रहा है.

सड़क निर्माण कार्य जारी.
सड़क निर्माण कार्य जारी.
पेड़ काटने की अनुमति और सजा भी

पेड़ों के कटान को लेकर प्रदेश और केंद्र सरकार के जो नियम है उसमें दंड का भी प्रावधान है. अगर कोई बिना अनुमति के पेड़ काटता है या इजाजत से भी काटता है, तो उसके बदले उसे पौधों को लगाना भी होता है. प्रदेश सरकार 'उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम 4 और 10 के तहत' अवैध रूप से पेड़ काटने वाले आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करती है. जबकि, भारत सरकार के 'वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत' कोई भी कार्यदाई संस्था पेड़ों की कटान के लिए वन विभाग में आवेदन प्रस्तुत करती है. और फिर अनुमति के आधार पर ही पेड़ों की कटाई होती है.

एक पेड़ काटने पर 10 पेड़ लगाना है जरूरी

यह अक्सर देखने को मिलता है कि सरकारी प्रोजेक्ट में अनुमति मिल ही जाती है. लेकिन कार्यदाई संस्था सामान्य कैटेगरी के पौधों को डिवाइडर के बीच लगाकर पौधों के लगाने की खानापूर्ति कर देती है. जबकि एक आम आदमी अगर एक पेड़ काटता है तो उसके बदले उसे 10 पेड़ लगाने के लिए विभाग कहता है. साथ ही एक निश्चित धनराशि की (एफडी) विभाग जमा कराता है. 25 साल बाद उन पेड़ों की कुशलता को देखने के साथ अनुमति प्राप्त करने वाले व्यक्ति को एफडी वापस कर दी जाती है. जबकि सरकारी महकमे में न तो कायदे के पेड़ लगाए जाते हैं और न ही वन विभाग उनसे एफडी के रूप में कोई धनराशि जमा करा पाता है. जो सड़कें चौड़ीकरण हुई हैं उनमें और नहीं तो खजूर के पेड़ लाकर लगा दिया है.

काटे गए पेड़.
काटे गए पेड़.
अब तक हुई अवैध कटान और कार्रवाई

9-10 फरवरी 2020 को खजनी-उरुवा रोड पर सड़क के दोनों किनारे रात के समय करीब 440 पेड़ काट दिए गए थे. जो 15 से 20 वर्ष पुराने थे. इस मामले में मंडलायुक्त के निर्देश पर जांच की गई. जिसमें लोक निर्माण विभाग के जूनियर इंजीनियर, थानाध्यक्ष उरुवा, सड़क बनवा रहे ठेकेदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है. इस वर्ष वन विभाग ने 9 अगस्त को 45.44 लाख पौधों का रोपण करके गिनीज ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया था. जबकि सामान्य शिकायत की संख्या 400 से ज्यादा थी, जिनमें जुर्माने की भी कार्रवाई हुई है.

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