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रशिया-यूक्रेन युद्ध से किसानों का फायदा, गोखपुर गेहूं खरीद में बना नंबर वन

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Published : May 7, 2022, 3:38 PM IST

रशिया-यूक्रेन युद्ध की वजह से गोरखपुर के किसानों का गेहूं तेजी से बिक रहा है. यहां से बड़ी मात्रा में गेहूं एक्सपोर्ट किया जा रहा है. 6 मई तक करीब 8897 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया है.

रशिया-यूक्रेन युद्ध का गेहूं खरीद पर सीधा असर
रशिया-यूक्रेन युद्ध का गेहूं खरीद पर सीधा असर

गोरखपुर: रशिया और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का असर देश में गेहूं की खरीद पर पड़ रहा है. गेहूं खरीद के जिम्मेदार अधिकारी आरएफसी प्रेम रंजन सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि सरकारी एजेंसियों पर किसानों को गेहूं की बिक्री के लिए गांव में चौपाल लगाने की जरीरत पड़ रही है. मार्केटिंग और खाद्य विभाग के अधिकारी गांव में पहुंचकर किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.

आरएफसी प्रेम रंजन सिंह ने किसानों से आग्रह किया है कि उचित मूल्य और समय से गेहूं का भुगतान पाने के लिए सरकारी एजेंसियों पर बिक्री करें. आरएफसी का कहना है कि गेहूं व्यापारियों और बिचौलियों के हाथों में न पड़ें. रशिया-यूक्रेन युद्ध का सीधा असर गेहूं की खरीद बिक्री पर पड़ा है.

रशिया-यूक्रेन युद्ध का गेहूं खरीद पर सीधा असर

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रशिया-यूक्रेन युद्ध का गेहूं खरीद पर सीधा असर
रशिया-यूक्रेन युद्ध का गेहूं खरीद पर सीधा असर

प्रदेशभर की बात करें तो गोरखपुर प्रतिदिन की खरीददारी करने में नंबर वन के पायदान पर खड़ा है. करीब ढाई से तीन हजार मीट्रिक टन गेहूं की खरीद प्रतिदिन हो रही है. वहीं, दूसरे जिले इसके मुकाबले में डेढ़ हजार मीट्रिक टन की ही खरीद कर पा रहे हैं.

रशिया-यूक्रेन युद्ध का गेहूं खरीद पर सीधा असर
रशिया-यूक्रेन युद्ध का गेहूं खरीद पर सीधा असर

जिले में गेहूं खरीद के लिए कुल 149 केंद्र बनाए गए हैं और उस पर एक लाख 19 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य निर्धारित है. गोरखपुर में 6 मई तक करीब 8897 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया है. किसान अपनी समस्या सीधे जिला खाद्य विपणन अधिकारी के सरकारी मोबाइल नंबर पर बता सकते है.

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गोरखपुर: रशिया और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का असर देश में गेहूं की खरीद पर पड़ रहा है. गेहूं खरीद के जिम्मेदार अधिकारी आरएफसी प्रेम रंजन सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि सरकारी एजेंसियों पर किसानों को गेहूं की बिक्री के लिए गांव में चौपाल लगाने की जरीरत पड़ रही है. मार्केटिंग और खाद्य विभाग के अधिकारी गांव में पहुंचकर किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.

आरएफसी प्रेम रंजन सिंह ने किसानों से आग्रह किया है कि उचित मूल्य और समय से गेहूं का भुगतान पाने के लिए सरकारी एजेंसियों पर बिक्री करें. आरएफसी का कहना है कि गेहूं व्यापारियों और बिचौलियों के हाथों में न पड़ें. रशिया-यूक्रेन युद्ध का सीधा असर गेहूं की खरीद बिक्री पर पड़ा है.

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प्रदेशभर की बात करें तो गोरखपुर प्रतिदिन की खरीददारी करने में नंबर वन के पायदान पर खड़ा है. करीब ढाई से तीन हजार मीट्रिक टन गेहूं की खरीद प्रतिदिन हो रही है. वहीं, दूसरे जिले इसके मुकाबले में डेढ़ हजार मीट्रिक टन की ही खरीद कर पा रहे हैं.

रशिया-यूक्रेन युद्ध का गेहूं खरीद पर सीधा असर
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जिले में गेहूं खरीद के लिए कुल 149 केंद्र बनाए गए हैं और उस पर एक लाख 19 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य निर्धारित है. गोरखपुर में 6 मई तक करीब 8897 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया है. किसान अपनी समस्या सीधे जिला खाद्य विपणन अधिकारी के सरकारी मोबाइल नंबर पर बता सकते है.

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