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गोरखपुर में पीएम आवास योजना में धांधली, जरूरतमंदों की नहीं हो रही सुनवाई - गोरखपुर की न्यूज़

प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आजकल समारोह आयोजित कर मकान की चाभी सौंप रहे हैं. लेकिन उन्हीं के क्षेत्र गोरखपुर में इस योजना में धांधली की शिकायत खुलकर सामने आई है.

जरूरतमदों की नहीं हो रही सुनवाई
जरूरतमदों की नहीं हो रही सुनवाई
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Published : Sep 7, 2021, 6:09 PM IST

गोरखपुरः आवास के लिए सभी मानक और प्रक्रियाओं को पूरी करने के बाद भी, जब आवेदकों का नाम लिस्ट में नहीं आ रहा है तो वो नगर निगम पहुंचकर डूडा कार्यालय पर हंगामा करने से भी नहीं चूक रहे हैं. वहीं सिस्टम की खीचतान ऐसी है कि अधिकारियों ने आवेदकों को नियम कानून का पठा पढ़ाकर खाली हाथ लौटा दे रहे हैं. पीड़ित आवेदकों का कहना है कि वो पिछले 2 साल से आवास के लिए सभी प्रक्रिया पूरी कर दौड़ लगा रहे हैं. विभाग से कुछ लोग सर्वेयर बनकर उनके झोपड़ी और टिन शेड के मकान का सर्वे भी कर चुके हैं. आवास दिलाने के नाम पर सुविधा शुल्क भी वसूले गये हैं, फिर भी उन्हें मकान नहीं मिल रहा है.

लोगों का आरोप है कि जिनके पक्के मकान हैं, वो इसका लाभ उठा रहे हैं और जरूरतमंद वंचित है. ईटीवी भारत ने ऐसे पीड़ित लोगों से बात किया, तो उन्होंने अपना दर्द खुलकर बयां किया. लोगों ने कहा कि उनके खाने-पीने का सहारा रोज की कमाई है. लेकिन मकान मिल जाये, इसके लिए वह मजबूर होकर घूस दिये. फिर भी उन्हें मकान नहीं मिल रहा. प्रधानमंत्री आवास ऐसे लोगों को मिलता है, जिनकी आय गरीबी रेखा में आती है. जिनके पास पक्का मकान नहीं है. जिनके पास जमीन नहीं है, उन्हें मल्टी स्टोरी आवास अलॉट किया जाता है. जिनके पास जमीन है, उन्हें ढाई लाख रुपये तीन किस्तों में मिलता है. जिला नगरीय विकास अभिकरण(डूडा) इन्हें यह सुविधा मुहैया कराता है.

गोरखपुर में पीएम आवास योजना में धांधली

ऑनलाइन आवेदन के बाद सर्वे रिपोर्ट चयन का आधार होती है. जिसमें विभाग के अलावा लेखपाल की रिपोर्ट लगती है. इसी रिपोर्ट को तैयार करने में धांधली होती है. कहा जाता है कि आवेदक का फोन नंबर गलत रहता है. स्विच ऑफ रहता है, जिससे रिपोर्ट तैयार नहीं होती और आवेदन निरस्त हो जाता है. ऐसे सैकड़ों नहीं हजारों मामले हैं जिसके लोग शिकार हैं. हालांकि अभी 29 अगस्त को हाउसिंग फॉर ऑल स्कीम के तहत सीएम योगी ने एक क्लिक में जिले के 1,541 लाभार्थियों के खाते में 14 करोड़ की धनराशि भेजा है.

पीड़ितों की नहीं हो रही सुनवाई
पीड़ितों की नहीं हो रही सुनवाई

इसे भी पढ़ें- UP विधानसभा चुनाव 2022ः गोरखपुर सदर विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट

इस संबंध में जिला नगरीय विकास अभिकरण के पीओ विकास कुमार सिंह से ईटीवी भारत में सवाल किया तो उन्होंने कहां कि आवास का लाभ उन्हें ही नहीं मिल पा रहा. जिनके आवेदन में कोई त्रुटि हो रही है. जिनका मोबाइल नंबर बंद रहता है. रही बात सर्वे के नाम पर लूट खसोट की तो उन्हें इसकी जानकारी नहीं. उन्होंने कहा कि जिले में ये योजना 2018 से चल रही है. अबतक करीब 30830 लाभार्थियों के सापेक्ष 30080 को पहली किस्त, 26122 को दूसरी किस्त और 15972 को तीसरी किस्त दी जा चुकी है. करीब 23194 लाभार्थियों की छत पड़ चुकी है. इसके अलावा नए आवेदन को भी स्वीकृति दी जा रही है. जिसकी संख्या करीब 12 हजार है. उन्होंने कहा कि छत विहीन लोगों के लिए ही ये योजना चलाई जा रही है, तो लाभ ऐसे ही लोगों को मिलेगा. किसी दूसरे को नहीं. जिनके आवेदन में कोई त्रुटि होगी, जो लोग लेखपाल के सर्वे में योग्य नहीं पाए जाते उनका ही आवेदन रद्द होता है. फिर भी ऐसे लोगों को अपनी शिकायत एसडीएम और डीएम से करने का हक है. वो दोबारा से अपनी जांच करा सकते हैं.

गोरखपुरः आवास के लिए सभी मानक और प्रक्रियाओं को पूरी करने के बाद भी, जब आवेदकों का नाम लिस्ट में नहीं आ रहा है तो वो नगर निगम पहुंचकर डूडा कार्यालय पर हंगामा करने से भी नहीं चूक रहे हैं. वहीं सिस्टम की खीचतान ऐसी है कि अधिकारियों ने आवेदकों को नियम कानून का पठा पढ़ाकर खाली हाथ लौटा दे रहे हैं. पीड़ित आवेदकों का कहना है कि वो पिछले 2 साल से आवास के लिए सभी प्रक्रिया पूरी कर दौड़ लगा रहे हैं. विभाग से कुछ लोग सर्वेयर बनकर उनके झोपड़ी और टिन शेड के मकान का सर्वे भी कर चुके हैं. आवास दिलाने के नाम पर सुविधा शुल्क भी वसूले गये हैं, फिर भी उन्हें मकान नहीं मिल रहा है.

लोगों का आरोप है कि जिनके पक्के मकान हैं, वो इसका लाभ उठा रहे हैं और जरूरतमंद वंचित है. ईटीवी भारत ने ऐसे पीड़ित लोगों से बात किया, तो उन्होंने अपना दर्द खुलकर बयां किया. लोगों ने कहा कि उनके खाने-पीने का सहारा रोज की कमाई है. लेकिन मकान मिल जाये, इसके लिए वह मजबूर होकर घूस दिये. फिर भी उन्हें मकान नहीं मिल रहा. प्रधानमंत्री आवास ऐसे लोगों को मिलता है, जिनकी आय गरीबी रेखा में आती है. जिनके पास पक्का मकान नहीं है. जिनके पास जमीन नहीं है, उन्हें मल्टी स्टोरी आवास अलॉट किया जाता है. जिनके पास जमीन है, उन्हें ढाई लाख रुपये तीन किस्तों में मिलता है. जिला नगरीय विकास अभिकरण(डूडा) इन्हें यह सुविधा मुहैया कराता है.

गोरखपुर में पीएम आवास योजना में धांधली

ऑनलाइन आवेदन के बाद सर्वे रिपोर्ट चयन का आधार होती है. जिसमें विभाग के अलावा लेखपाल की रिपोर्ट लगती है. इसी रिपोर्ट को तैयार करने में धांधली होती है. कहा जाता है कि आवेदक का फोन नंबर गलत रहता है. स्विच ऑफ रहता है, जिससे रिपोर्ट तैयार नहीं होती और आवेदन निरस्त हो जाता है. ऐसे सैकड़ों नहीं हजारों मामले हैं जिसके लोग शिकार हैं. हालांकि अभी 29 अगस्त को हाउसिंग फॉर ऑल स्कीम के तहत सीएम योगी ने एक क्लिक में जिले के 1,541 लाभार्थियों के खाते में 14 करोड़ की धनराशि भेजा है.

पीड़ितों की नहीं हो रही सुनवाई
पीड़ितों की नहीं हो रही सुनवाई

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इस संबंध में जिला नगरीय विकास अभिकरण के पीओ विकास कुमार सिंह से ईटीवी भारत में सवाल किया तो उन्होंने कहां कि आवास का लाभ उन्हें ही नहीं मिल पा रहा. जिनके आवेदन में कोई त्रुटि हो रही है. जिनका मोबाइल नंबर बंद रहता है. रही बात सर्वे के नाम पर लूट खसोट की तो उन्हें इसकी जानकारी नहीं. उन्होंने कहा कि जिले में ये योजना 2018 से चल रही है. अबतक करीब 30830 लाभार्थियों के सापेक्ष 30080 को पहली किस्त, 26122 को दूसरी किस्त और 15972 को तीसरी किस्त दी जा चुकी है. करीब 23194 लाभार्थियों की छत पड़ चुकी है. इसके अलावा नए आवेदन को भी स्वीकृति दी जा रही है. जिसकी संख्या करीब 12 हजार है. उन्होंने कहा कि छत विहीन लोगों के लिए ही ये योजना चलाई जा रही है, तो लाभ ऐसे ही लोगों को मिलेगा. किसी दूसरे को नहीं. जिनके आवेदन में कोई त्रुटि होगी, जो लोग लेखपाल के सर्वे में योग्य नहीं पाए जाते उनका ही आवेदन रद्द होता है. फिर भी ऐसे लोगों को अपनी शिकायत एसडीएम और डीएम से करने का हक है. वो दोबारा से अपनी जांच करा सकते हैं.

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