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इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी का सीएम के जिले में दिखा मिला-जुला असर

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि यूपी के गांवों की स्वास्थ्य व्यवस्था कोरोना की इस दूसरी लहर में भगवान भरोसे हैं. इसके बाद ईटीवी भारत ने सीएम योगी के जिले गोरखपुर के गांवों में स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल जाना. इस पर ग्रामीणों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है. पढ़िए रिपोर्ट...

हाईकोर्ट की टिप्पणी का सीएम के जिले में दिखा मिला जुला असर
हाईकोर्ट की टिप्पणी का सीएम के जिले में दिखा मिला जुला असर
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Published : May 18, 2021, 7:43 PM IST

गोरखपुर: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यूपी के गांव की चिकित्सा व्यवस्था कोरोना की इस दूसरी लहर में भगवान भरोसे हैं. जिसके बाद ईटीवी भारत ने सीएम योगी के जिले गोरखपुर में चिकित्सा व्यवस्था पर ग्रामीण लोगों से उनकी राय जानी. जिस पर लोगों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है. गांव से शहरों में आकर काम करने वाले दिहाड़ी मजदूर या गांव के लोग टीकाकरण और स्वास्थ्य सुविधा पर बोले कि सरकार की व्यवस्था चल रही है. धीरे-धीरे लोगों को सुविधाएं जरूरत के हिसाब से मिल रही हैं, तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने कहा कि कोरोना कि इस दूसरी लहर में गांव में स्वास्थ्य सुविधा और इस महामारी से बचाने के लिए जिस तरह की व्यवस्था मुख्यमंत्री के जिले में होनी चाहिए थी वह नहीं हुई है. न तो स्वास्थ विभाग की टीम एक्टिव नजर आती है और न ही क्वारंटाइन लोग किए गए हैं. जो जैसे बन पड़ रहा है गांव का आदमी उस हिसाब से इलाज करवा रहा है.

हाईकोर्ट की टिप्पणी का सीएम के जिले में दिखा मिला जुला असर

56 सेंटरों पर कोविड की जांच और 40 से ज्यादा वैक्सीनेशन सेंटर कार्यरत
इस महामारी को रोकने के लिए सबसे पहला प्रयास कोरोना के जांच केंद्रों की संख्या बढ़ाना और इसके बाद वैक्सीनेशन केंद्रों की स्थापना करके लोगों को जल्दी से जल्दी वैक्सीन की सुविधा उपलब्ध कराना शामिल है. साथ ही ग्रामीण स्तर पर जिन लोगों में भी कोरोना के लक्षण पाए जा रहे हैं, उन्हें होम आइसोलेशन में रखते हुए जरूरी दवाएं भी पहुंचानी है. अगर वैक्सीनेशन की बात करें तो गोरखपुर में सिर्फ शहरी क्षेत्र में 18 मई तक करीब 40 केंद्रों पर वैक्सीनेशन की सुविधा प्रारंभ हो चुकी है. बाकी जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य और सामुदायिक केंद्रों पर टीकाकरण का अभियान चलाया जा रहा है. वहीं कोविड-19 जांच के लिए भी 56 सेंटरों पर जांच चल रही है. इसके अलावा सभी सीएचसी और पीएचसी पर इसकी व्यवस्था की गई है. ग्रामीण इसकी जांच प्रक्रिया से भी पूरी तरह जानकार हो गए हैं. लेकिन वह मान रहे हैं कि कहीं ढिलाई है तो कहीं तेजी भी है, लेकिन लोग मर भी रहे हैं.

इसे भी पढ़ें-कोरोना मरीजों के परिजनों को भोजन उपलब्ध करा रही युवाओं की टोली

ब्लॉक स्तर पर 10 जून तक तैयार हो जाएंगे 50-50 बेड के कोविड अस्पताल
कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए जिला प्रशासन ने अपनी तैयारी तेज कर दी है.जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पांडियन की माने तो 10 जून तक जिले में 5 हजार बेड तैयार कर लिए जाएंगे और ऑक्सीजन की भी पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी. इसमें एक हजार बेड ग्रामीण क्षेत्रों में होंगे. वर्तमान में 21 सौ बेड जिले में इलाज के लिए उपलब्ध हैं. ग्रामीण क्षेत्र में बेड की संख्या बढ़ाने के साथ ही महिला और बच्चों के लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी. हर ब्लॉक में 50-50 बेड का डेडीकेटेड कोविड-19 अस्पताल तैयार किया जाएगा. जिसमें 10 बेड महिला और 10 बेड बच्चों के लिए आरक्षित होंगे. डीएम ने बताया कि टोरंटो गैस की ओर से छोटे-छोटे ऑक्सीजन प्लांट लगाने का प्रस्ताव मिला है. जनप्रतिनिधियों से ग्रामीण क्षेत्रों में ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाने के लिए बजट मिल रहा है. इसलिए पूरी उम्मीद है कि ग्रामीण स्तर पर सारी व्यवस्थाओं को समय से दुरुस्त कर लिया जाएगा.

गोरखपुर: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यूपी के गांव की चिकित्सा व्यवस्था कोरोना की इस दूसरी लहर में भगवान भरोसे हैं. जिसके बाद ईटीवी भारत ने सीएम योगी के जिले गोरखपुर में चिकित्सा व्यवस्था पर ग्रामीण लोगों से उनकी राय जानी. जिस पर लोगों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है. गांव से शहरों में आकर काम करने वाले दिहाड़ी मजदूर या गांव के लोग टीकाकरण और स्वास्थ्य सुविधा पर बोले कि सरकार की व्यवस्था चल रही है. धीरे-धीरे लोगों को सुविधाएं जरूरत के हिसाब से मिल रही हैं, तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने कहा कि कोरोना कि इस दूसरी लहर में गांव में स्वास्थ्य सुविधा और इस महामारी से बचाने के लिए जिस तरह की व्यवस्था मुख्यमंत्री के जिले में होनी चाहिए थी वह नहीं हुई है. न तो स्वास्थ विभाग की टीम एक्टिव नजर आती है और न ही क्वारंटाइन लोग किए गए हैं. जो जैसे बन पड़ रहा है गांव का आदमी उस हिसाब से इलाज करवा रहा है.

हाईकोर्ट की टिप्पणी का सीएम के जिले में दिखा मिला जुला असर

56 सेंटरों पर कोविड की जांच और 40 से ज्यादा वैक्सीनेशन सेंटर कार्यरत
इस महामारी को रोकने के लिए सबसे पहला प्रयास कोरोना के जांच केंद्रों की संख्या बढ़ाना और इसके बाद वैक्सीनेशन केंद्रों की स्थापना करके लोगों को जल्दी से जल्दी वैक्सीन की सुविधा उपलब्ध कराना शामिल है. साथ ही ग्रामीण स्तर पर जिन लोगों में भी कोरोना के लक्षण पाए जा रहे हैं, उन्हें होम आइसोलेशन में रखते हुए जरूरी दवाएं भी पहुंचानी है. अगर वैक्सीनेशन की बात करें तो गोरखपुर में सिर्फ शहरी क्षेत्र में 18 मई तक करीब 40 केंद्रों पर वैक्सीनेशन की सुविधा प्रारंभ हो चुकी है. बाकी जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य और सामुदायिक केंद्रों पर टीकाकरण का अभियान चलाया जा रहा है. वहीं कोविड-19 जांच के लिए भी 56 सेंटरों पर जांच चल रही है. इसके अलावा सभी सीएचसी और पीएचसी पर इसकी व्यवस्था की गई है. ग्रामीण इसकी जांच प्रक्रिया से भी पूरी तरह जानकार हो गए हैं. लेकिन वह मान रहे हैं कि कहीं ढिलाई है तो कहीं तेजी भी है, लेकिन लोग मर भी रहे हैं.

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ब्लॉक स्तर पर 10 जून तक तैयार हो जाएंगे 50-50 बेड के कोविड अस्पताल
कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए जिला प्रशासन ने अपनी तैयारी तेज कर दी है.जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पांडियन की माने तो 10 जून तक जिले में 5 हजार बेड तैयार कर लिए जाएंगे और ऑक्सीजन की भी पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी. इसमें एक हजार बेड ग्रामीण क्षेत्रों में होंगे. वर्तमान में 21 सौ बेड जिले में इलाज के लिए उपलब्ध हैं. ग्रामीण क्षेत्र में बेड की संख्या बढ़ाने के साथ ही महिला और बच्चों के लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी. हर ब्लॉक में 50-50 बेड का डेडीकेटेड कोविड-19 अस्पताल तैयार किया जाएगा. जिसमें 10 बेड महिला और 10 बेड बच्चों के लिए आरक्षित होंगे. डीएम ने बताया कि टोरंटो गैस की ओर से छोटे-छोटे ऑक्सीजन प्लांट लगाने का प्रस्ताव मिला है. जनप्रतिनिधियों से ग्रामीण क्षेत्रों में ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाने के लिए बजट मिल रहा है. इसलिए पूरी उम्मीद है कि ग्रामीण स्तर पर सारी व्यवस्थाओं को समय से दुरुस्त कर लिया जाएगा.

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