गोरखपुर: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों 29 अगस्त को अयोध्या से हुई रामायण कांक्लेव शुरुआत अब प्रदेश के सभी जिलों में धीरे-धीरे आयोजित होकर 'लोक मानस में राम' को जन जन तक पहुंचाने का माध्यम बनेगा. गोरखपुर में रामायण कांक्लेव की शुरुआत 4 सितंबर यानी कल से होने जा रही है.
दो दिवसीय इस कांक्लेव में दर्जनभर विद्वान, संत और महंत शामिल होकर कांक्लेव में जहां आमंत्रित हजारों अतिथियों को राम की महत्ता बताने की कोशिश करेंगे, वहीं राम से जुड़े अनछुए पहलुओं को भी जन-जन तक पहुंचाने के लिए इस कांक्लेव के माध्यम से प्रयास होगा.
विद्वानों की सूची में पूर्व कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे, चितरंजन मिश्र, हिंदी साहित्य संस्थान के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर विश्वनाथ त्रिपाठी, भोजपुरी साहित्य के विद्वान रविन्द्र श्रीवास्तव उर्फ जुगानी भाई, राम के महत्व पर चर्चा करेंगे. कार्यक्रम की जानकारी देते हुए उप निदेशक संस्कृति विभाग डॉ. मनोज कुमार गौतम ने बताया कि इस आयोजन में राम कथा और रामायण पर आधारित कवि सम्मेलन भी होगा. सांस्कृतिक कार्यक्रम के मूल में भी राम का चरित्र शामिल होगा. जिसका लाभ लोगों को मिले इसलिए इसको घर-घर पहुंचाने का प्रयास होगा.
कार्यक्रम का उद्घाटन 4 सितंबर को शाम तीन बजे होगा. जिसके बाद पांच बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा. आयोजन में लोक और कथक नृत्य की प्रस्तुति गोरखपुर और लखनऊ के कलाकार देंगे. आल्हा, लोक गायन में रायबरेली की शीलू राजपूत की प्रस्तुति होगी.
श्रीराम की गुरु भक्ति विषय पर नाट्य प्रस्तुति श्रीनारायण पांडेय के द्वारा किया जाएगा. इसी प्रकार राम नृत्य नाटिका की प्रस्तुति लखनऊ की निधि तिवारी और उनके साथी देंगे. उपशास्त्रीय गायन में प्रोफेसर शरद मणि त्रिपाठी अपनी आवाज का जादू बिखेरेंगे. इसके इसके बाद रात्रि आठ बजे राम कथा/रामायण पर आधारित कवि सम्मेलन होगा, जिसमें लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, आजमगढ़ जैसे क्षेत्रों के कवि अपनी प्रस्तुति देंगे.