गोरखपुरः राजधानी लखनऊ में फरवरी माह में आयोजित होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में योगी सरकार लाखों करोड़ के निवेश का टॉर्गेट लेकर चल रही है. ऐसे में प्रदेश के प्रमुख जिलों से भी भागीदारी सुनिश्चित कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसी क्रम में गोरखपुर को पहले करीब 42 हजार करोड़ के निवेश का लक्ष्य दिया गया था. जो सीएम के मुंबई दौरे के बाद बढ़कर 65 हजार करोड़ का हो गया है. गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण जैसा क्षेत्रफल भी यहां पर औद्योगिक इकाइयों से जुड़ा है. ऐसे में स्थानीय उद्योगपतियों के साथ बाहरी उद्योगपतियों से भी संपर्क स्थापित कर इन्वेस्टर समिट में गोरखपुर अपनी सफलता और निवेश का 65 हजार करोड़ का लक्ष्य हासिल करने में जुटा है. जिसके लिए गीडा को अकेले 60 हजार करोड़ का लक्ष्य मिला है.
गीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी पवन अग्रवाल ने ईटीवी भारत को बताया कि समिट के लिए मिले कुल टारगेट का 60 हजार करोड़ गीडा को देना है. शेष की पूर्ति के लिए अन्य विभाग जुटे हुए हैं. उन्होंने कहा कि करीब 30 हजार करोड़ का प्रस्ताव और एमओयू ऑनलाइन तौर पर गीडा ने हासिल कर लिया है. इन्वेस्टर्स समिट पूर्ण होने के बाद उद्योगों की स्थापना के लिए हुए करार को धरातल पर उतारने का प्रयास तेज होगा. जिसके लिए तैयारियां तेज कर दी गई हैं. उन्होंने कहा कि फिलहाल गोरखपुर क्षेत्र में लैंड की कमी उद्योगों की स्थापना में नहीं आएगी. डिमांड के अनुकूल 3 महीने के भीतर उद्योग को जमीन उपलब्ध करा दी जाएगी.
पवन अग्रवाल ने बताया कि गोरखपुर में टेक्सटाइल सेक्टर में 1271 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव हो चुका है. इसमें 4000 लोगों को रोजगार मिलेगा. सेनेटरी नैपकिन बनाने वाली नाइन कंपनी 500 करोड़ का निवेश करेगी. पूर्वांचल का पहला निजी टैक्सटाइल पार्क हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग का दूसरा सबसे बड़ा निवेश होगा. इसमें 300 करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव इन्वेस्टर्स समिट में सौंपने की तैयारी है. इन्वेस्टर्स के लिए गीडा ने करीब 145 प्लाट पहले से तैयार कर रखे हैं. जो दो हजार करोड़ का हैंडलूम विभाग को लक्ष्य मिला है. वहीं, एक हजार करोड़ का जिला उद्योग केंद्र को भी लक्ष्य मिला हुआ है.
चेंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र अग्रवाल ने ईटीवी भारत को बताया कि गोरखपुर में उद्योगों की स्थापना की अपार संभावना है. सीएम योगी के मुंबई दौर में इसमें और इजाफा हुआ है. उन्होंने बड़ी मजबूती से कहा कि मुंबई दौरे के बाद वहां के कुछ उद्योगपति गोरखपुर में उद्योग लगाने के लिए इच्छुक हैं. लेकिन यहां टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल्स, प्लास्टिक पार्क जैसे उद्योगों की स्थापना होती है. तो बड़े स्तर पर जहां रोजगार सृजन होगा. वहीं, यहां कई प्रकार के अनुपूरक उद्योगों की संभावना भी प्रबल होगी. उन्होंने कहा कि अनुपूरक उद्योग का तात्पर्य उन छोटी इकाइयों से है जैसे कि हीरो होंडा अपनी गाड़ियों में जितने भी तरह के पार्ट्स लगाता है. वह उसे स्थानीय स्तर पर ही निर्मित होकर विभिन्न कंपनियों के माध्यम से मिले. जिसका करार हो तो यह छोटे जिसे अनुपूरक उद्योग कहते हैं. वह भी चलने में सफल होंगे.इससे मुख्य औद्योगिक संस्थान भी तेजी से दौड़ लगाएगा. इससे रोजगार में बड़ा इजाफा भी होगा.
सुरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि पूरे देश में मौजूदा समय में जीडीपी का 20% ग्रोथ मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से आ रहा है. जिसे और बढ़ाने की जरूरत है. यहां उद्योगों की स्थापना के लिए समिट के बाद जो भी उद्योग छोटे हो या बड़े अधिकतम 3 से डेढ़ साल में स्थापित हो जाएंगे. इनके निर्माण में इतना ही समय लगेगा. गीडा को चाहिए कि वह सबसे पहले सीटीपी प्लांट लगाने पर भी मजबूती से विचार करे. क्योंकि उद्योगों की स्थापना के साथ जल और वायु प्रदूषण के नियंत्रण पर भी बड़ा फोकस करना होगा. यही नहीं गीडा को मौजूदा समय में 1071 करोड़ के पेप्सीको प्लांट, गत्वा प्लास्टिक पार्क और स्टील क्षेत्र में उद्योगों की स्थापना से बड़ी ताकत मिलने जा रही है. जिसमें करीब 5 हजार करोड़ का निवेश हो रहा है.