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आसान नहीं है बीजेपी सरकार के कमबैक की डगर, एसपी दे रही टक्कर: डॉ. अमित उपाध्याय

बीजेपी के बड़े नेता योगी सरकार के कमबैक को लेकर जहां घर-घर संपर्क अभियान करते नजर आ रहे हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी योगी सरकार के एंटी इनकंबेंसी का लाभ उठाती नजर आ रही है. गोरखपुर विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर और सेफोलॉजी के विशेषज्ञ डॉ. अमित उपाध्याय ने कहा कि अब मतदाता भी जागरूक हो गये हैं.

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प्रोफेसर डॉ. अमित उपाध्याय
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Published : Jan 28, 2022, 6:04 PM IST

Updated : Jan 28, 2022, 10:41 PM IST

गोरखपुर: बीजेपी के बड़े नेता योगी सरकार के कमबैक को लेकर जहां घर-घर संपर्क अभियान करते नजर आ रहे हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी योगी सरकार के एंटी इनकंबेंसी का लाभ उठाती नजर आ रही है. इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी की सक्रियता काफी धीमी है, जिसकी वजह से समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी में ही आमने-सामने की लड़ाई है.

मतदाताओं से मिल रहे रुझान के आधार पर स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि इस बार के चुनाव में हार-जीत का अंतर प्रत्याशियों के बीच बहुत बड़ा होने की संभावाना नहीं जतायी जा रही है. यही वजह है कि बीजेपी सरकार के पुनः सत्ता में लौटने में काफी कठिन लड़ाई दिखाई दे रही है. समाजवादी पार्टी की तरफ ब्राह्मण और दलित समाज का भी वोट खिसकता नजर आ रहा है. उक्त बातें गोरखपुर विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर और सेफोलॉजी (चुनाव पूर्व सर्वे या ओपिनियन पोल का परिणाम तय करने का पैमाना) के विशेषज्ञ डॉ. अमित उपाध्याय ने कहीं. वह ईटीवी भारत से बातचीत कर रहे थे और चुनावी समीकरण में अपने द्वारा किए जा रहे सर्वेक्षण का हवाला दे रहे थे.

प्रोफेसर डॉ. अमित उपाध्याय

इसे भी पढ़ेंः अबकी बार 300 के पार, यह नारा नहीं है यह सार्थक होगा- नागेंद्र सिंह राठौर

उन्होंने कहा कि अब मतदाता भी जागरूक हो गये हैं. बहुत स्पष्ट तौर पर वे अब अपनी बातों को सामने नहीं रखते. लेकिन सर्वेक्षण के तौर तरीकों से परिणाम को समझना आसान हो जाता है. उन्होंने कहा कि चुनाव प्रक्रिया और रुझान को लेकर उन्होंने जो अध्ययन किया है, उसके आधार पर परिणाम यही निकलकर आ रहा है कि बीजेपी 2017 जैसी बड़ी जीत हासिल नहीं कर पाएगी.

पूर्वांचल में ही उसे तमाम जीती हुई सीटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है. डॉ. अमित उपाध्याय ने कहा कि धर्म के एजेंडे पर चलने वाली भाजपा अपनी तमाम योजनाओं जैसे कि घर-घर राशन वितरण के कार्य के आधार पर चुनाव में सफलता पाने का जो ख्वाब देख रही है, वह सफल तो होगा, लेकिन पिछला रिकॉर्ड तय करना मुश्किल सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि बहुत सारे ऐसे मतदाता जो सरकार से नाराज होकर समाजवादी पार्टी की ओर जाते दिखाई दे रहे हैं. इनमें ब्राह्मण और दलित समाज के लोगों की संख्या ज्यादा है. इसके साथ ही मुस्लिम समाज का वोट अधिकतम समाजवादी पार्टी की ओर जा सकता है. ओवैसी की पार्टी में यह समाज अपना वोट करके सपा को कमजोर नहीं करना चाहता. कुछ हिस्सों में कांग्रेस को भी मुस्लिमों का वोट मिल सकता है .

डॉ. उपाध्याय ने कहा कि बहुत सारे दल हैं और वे चुनाव भी लड़ रहे हैं लेकिन कुल मिलाकर लड़ाई सिर्फ बीजेपी और सपा के बीच सिमटी नजर आ रही है. जैसे ब्रिटेन और अमेरिका में दो दलों में घमासान छिड़ा होता है. उन्होंने कहा कि तमाम समीकरणों, ध्रुवीकरण के कारण स्पष्ट बहुमत के आंकड़े को कौन सा दल छू जाएगा, फिलहाल कुछ भी कहना मुश्किल है. लेकिन निश्चित तौर पर समाजवादी पार्टी का ग्राफ बढ़ता हुआ नजर आ रहा है और इसमें हर दिन इजाफा हो रहा है.

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गोरखपुर: बीजेपी के बड़े नेता योगी सरकार के कमबैक को लेकर जहां घर-घर संपर्क अभियान करते नजर आ रहे हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी योगी सरकार के एंटी इनकंबेंसी का लाभ उठाती नजर आ रही है. इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी की सक्रियता काफी धीमी है, जिसकी वजह से समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी में ही आमने-सामने की लड़ाई है.

मतदाताओं से मिल रहे रुझान के आधार पर स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि इस बार के चुनाव में हार-जीत का अंतर प्रत्याशियों के बीच बहुत बड़ा होने की संभावाना नहीं जतायी जा रही है. यही वजह है कि बीजेपी सरकार के पुनः सत्ता में लौटने में काफी कठिन लड़ाई दिखाई दे रही है. समाजवादी पार्टी की तरफ ब्राह्मण और दलित समाज का भी वोट खिसकता नजर आ रहा है. उक्त बातें गोरखपुर विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर और सेफोलॉजी (चुनाव पूर्व सर्वे या ओपिनियन पोल का परिणाम तय करने का पैमाना) के विशेषज्ञ डॉ. अमित उपाध्याय ने कहीं. वह ईटीवी भारत से बातचीत कर रहे थे और चुनावी समीकरण में अपने द्वारा किए जा रहे सर्वेक्षण का हवाला दे रहे थे.

प्रोफेसर डॉ. अमित उपाध्याय

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उन्होंने कहा कि अब मतदाता भी जागरूक हो गये हैं. बहुत स्पष्ट तौर पर वे अब अपनी बातों को सामने नहीं रखते. लेकिन सर्वेक्षण के तौर तरीकों से परिणाम को समझना आसान हो जाता है. उन्होंने कहा कि चुनाव प्रक्रिया और रुझान को लेकर उन्होंने जो अध्ययन किया है, उसके आधार पर परिणाम यही निकलकर आ रहा है कि बीजेपी 2017 जैसी बड़ी जीत हासिल नहीं कर पाएगी.

पूर्वांचल में ही उसे तमाम जीती हुई सीटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है. डॉ. अमित उपाध्याय ने कहा कि धर्म के एजेंडे पर चलने वाली भाजपा अपनी तमाम योजनाओं जैसे कि घर-घर राशन वितरण के कार्य के आधार पर चुनाव में सफलता पाने का जो ख्वाब देख रही है, वह सफल तो होगा, लेकिन पिछला रिकॉर्ड तय करना मुश्किल सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि बहुत सारे ऐसे मतदाता जो सरकार से नाराज होकर समाजवादी पार्टी की ओर जाते दिखाई दे रहे हैं. इनमें ब्राह्मण और दलित समाज के लोगों की संख्या ज्यादा है. इसके साथ ही मुस्लिम समाज का वोट अधिकतम समाजवादी पार्टी की ओर जा सकता है. ओवैसी की पार्टी में यह समाज अपना वोट करके सपा को कमजोर नहीं करना चाहता. कुछ हिस्सों में कांग्रेस को भी मुस्लिमों का वोट मिल सकता है .

डॉ. उपाध्याय ने कहा कि बहुत सारे दल हैं और वे चुनाव भी लड़ रहे हैं लेकिन कुल मिलाकर लड़ाई सिर्फ बीजेपी और सपा के बीच सिमटी नजर आ रही है. जैसे ब्रिटेन और अमेरिका में दो दलों में घमासान छिड़ा होता है. उन्होंने कहा कि तमाम समीकरणों, ध्रुवीकरण के कारण स्पष्ट बहुमत के आंकड़े को कौन सा दल छू जाएगा, फिलहाल कुछ भी कहना मुश्किल है. लेकिन निश्चित तौर पर समाजवादी पार्टी का ग्राफ बढ़ता हुआ नजर आ रहा है और इसमें हर दिन इजाफा हो रहा है.

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Last Updated : Jan 28, 2022, 10:41 PM IST
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