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योग एवं आयुर्वेद विश्व को भारत की अमूल्य देन: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

गोरखपुर में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने यूपी के पहले आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास पूजन किया. इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि योग एवं आयुर्वेद विश्व को भारत की अमूल्य देन है.

योग एवं आयुर्वेद विश्व को भारत की अमूल्य देन.
योग एवं आयुर्वेद विश्व को भारत की अमूल्य देन.
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Published : Aug 28, 2021, 2:31 PM IST

गोरखपुर: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद गुरुवार को गोरखपुर एयरपोर्ट पहुंचे. यहां से सेना के हेलीकॉप्टर से वह कार्यक्रम स्थल पिपरी पहुंचे. यहां यूपी के पहले आयुष विश्वविद्यालय का राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शिलान्यास पूजन किया. इस दौरान उनके साथ उनकी पत्नी सविता कोविंद भी रहीं. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सांसद रवि किशन भी भूमि पूजन के समय मौजूद रहे.

कार्यक्रम के संबोधन के दौरान बारिश होता देख राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि यह कार्यक्रम की शुभता को दर्शता है. यह धर्म और संस्कृति की व्याख्या करता है. उन्होंने बारिश को इंद्रदेव के आशीर्वाद के रूप में लिया. योग के माध्यम से सामाजिक जागरण की अलख जगाने वाले महान गुरु की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि योग और अध्यात्म की चर्चा मिलती है. आप सभी का शरीर स्वस्थ रहे, इसलिए इस विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है. शरीर को स्वस्थ रखने की अनेक चिकित्सा पद्धित रही है, जिसे वर्ष 2014 में संयुक्त रूप से 'आयुष' नाम दिया गया.

योग एवं आयुर्वेद विश्व को भारत की अमूल्य देन.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि अब राष्ट्रीय स्तर की सुविधा से लैश होकर यहां विश्वविद्यालय स्थापित होगा. यहां शोध कार्य भी होगा. बाबा गोरखनाथ आयुष चिकित्सा पद्धित में श्रेष्ठ कार्य किया जाएगा. उन्होंने योग को प्रेम कहा. भारत में योग उतना ही प्राचीन है, जितनी भारतीय संस्कृति. इसलिए उनके नाम पर स्थापित होना इस विश्वविद्यालय का महान कार्य है. योग, सिद्ध और आयुर्वेद चिकित्सा दुनिया को भारत की देन है.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ऋग्वेद के समय से योग के चलन की बात कही, जो इस समय जीवन शैली में शामिल है. तनाव और संकट में योग मदद देता है. इसके उपचार में शरीर, मन को नियंत्रित किया जाता है. राष्ट्रपति भवन में भी आयुष आरोग्य केंद्र स्थापित है. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा में बल है. विद्यार्थियों को गांव की फसलों और वनस्पतियों की जानकारी होनी चाहिए, जिससे सामान्य लोगों का उपचार कम खर्च में होता है. कोविड काल में इसका लोगों को फायदा हुआ है. इसकी मांग बढ़ी है. इसकी स्थापना से शिक्षा और लोकप्रियता बढ़ेगी. उन्होंने रामचरित मानस की भी चर्चा की.

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत की परंपरागत चिकित्सा पद्धति को पीएम मोदी ने जो वैश्विक पहचान दी, उसका आज पूरी दुनिया लोहा मानती है. उसी का अनुसरण करते हुए यूपी सरकार भी आयुष मंत्रालय का गठन करके इस चिकित्सा पद्धति की आगे बढ़ा रही है. हल्दी का पानी पीने के लिए दुनिया के लोग आज आतुर हैं. भारत में यह परंपरा का हिस्सा है. सीएम योगी ने उपस्थित जनसमूह का भी स्वागत किया. उन्होंने कहा कि प्रदेश में जितने भी मेडिकल कॉलेज हैं, वह अटल यूनिवर्सिटी से जुड़ गए हैं. आज गोरखपुर में आयुष विश्वविद्यालय की जो स्थापना हो रही है, उससे 94 आयुष/यूनानी महाविद्यालय प्रदेश के जुड़ेंगे. उन्होंने इस दौरान गुरु गोरखनाथ के योग क्रिया की भी चर्चा की. जब हम आयुर्वेद की बात करते हैं तो उसके मूल में भी महायोगी गोरखनाथ हैं.

गोरखपुर: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद गुरुवार को गोरखपुर एयरपोर्ट पहुंचे. यहां से सेना के हेलीकॉप्टर से वह कार्यक्रम स्थल पिपरी पहुंचे. यहां यूपी के पहले आयुष विश्वविद्यालय का राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शिलान्यास पूजन किया. इस दौरान उनके साथ उनकी पत्नी सविता कोविंद भी रहीं. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सांसद रवि किशन भी भूमि पूजन के समय मौजूद रहे.

कार्यक्रम के संबोधन के दौरान बारिश होता देख राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि यह कार्यक्रम की शुभता को दर्शता है. यह धर्म और संस्कृति की व्याख्या करता है. उन्होंने बारिश को इंद्रदेव के आशीर्वाद के रूप में लिया. योग के माध्यम से सामाजिक जागरण की अलख जगाने वाले महान गुरु की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि योग और अध्यात्म की चर्चा मिलती है. आप सभी का शरीर स्वस्थ रहे, इसलिए इस विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है. शरीर को स्वस्थ रखने की अनेक चिकित्सा पद्धित रही है, जिसे वर्ष 2014 में संयुक्त रूप से 'आयुष' नाम दिया गया.

योग एवं आयुर्वेद विश्व को भारत की अमूल्य देन.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि अब राष्ट्रीय स्तर की सुविधा से लैश होकर यहां विश्वविद्यालय स्थापित होगा. यहां शोध कार्य भी होगा. बाबा गोरखनाथ आयुष चिकित्सा पद्धित में श्रेष्ठ कार्य किया जाएगा. उन्होंने योग को प्रेम कहा. भारत में योग उतना ही प्राचीन है, जितनी भारतीय संस्कृति. इसलिए उनके नाम पर स्थापित होना इस विश्वविद्यालय का महान कार्य है. योग, सिद्ध और आयुर्वेद चिकित्सा दुनिया को भारत की देन है.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ऋग्वेद के समय से योग के चलन की बात कही, जो इस समय जीवन शैली में शामिल है. तनाव और संकट में योग मदद देता है. इसके उपचार में शरीर, मन को नियंत्रित किया जाता है. राष्ट्रपति भवन में भी आयुष आरोग्य केंद्र स्थापित है. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा में बल है. विद्यार्थियों को गांव की फसलों और वनस्पतियों की जानकारी होनी चाहिए, जिससे सामान्य लोगों का उपचार कम खर्च में होता है. कोविड काल में इसका लोगों को फायदा हुआ है. इसकी मांग बढ़ी है. इसकी स्थापना से शिक्षा और लोकप्रियता बढ़ेगी. उन्होंने रामचरित मानस की भी चर्चा की.

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत की परंपरागत चिकित्सा पद्धति को पीएम मोदी ने जो वैश्विक पहचान दी, उसका आज पूरी दुनिया लोहा मानती है. उसी का अनुसरण करते हुए यूपी सरकार भी आयुष मंत्रालय का गठन करके इस चिकित्सा पद्धति की आगे बढ़ा रही है. हल्दी का पानी पीने के लिए दुनिया के लोग आज आतुर हैं. भारत में यह परंपरा का हिस्सा है. सीएम योगी ने उपस्थित जनसमूह का भी स्वागत किया. उन्होंने कहा कि प्रदेश में जितने भी मेडिकल कॉलेज हैं, वह अटल यूनिवर्सिटी से जुड़ गए हैं. आज गोरखपुर में आयुष विश्वविद्यालय की जो स्थापना हो रही है, उससे 94 आयुष/यूनानी महाविद्यालय प्रदेश के जुड़ेंगे. उन्होंने इस दौरान गुरु गोरखनाथ के योग क्रिया की भी चर्चा की. जब हम आयुर्वेद की बात करते हैं तो उसके मूल में भी महायोगी गोरखनाथ हैं.

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