गोरखपुरः कोरोना महामारी में मुख्यमंत्री कार्यालय, उनके ट्विटर हैंडलर और खुद मुख्यमंत्री किस तरह एक्टिव हैं, इसका एक बड़ा प्रमाण गोरखपुर में देखने को मिला है. शहर के अलीनगर मोहल्ले में तरंग क्रॉसिंग के पास सुनीता नाम की एक महिला गरिमा देवी के मकान में वर्षों से काम करती थी. बीते कुछ दिनों से सुनीता की तबीयत खराब चल रही थी. इस बीच घर वालों ने उसका इलाज कराया था, लेकिन वह कोरोना संक्रमित हो गई और घर में ही उसकी मौत हो गई. इसके बाद उसके परिवार के लोग कोरोना के खौफ से अंतिम संस्कार के लिए आगे नहीं आए. ऐसे में गरिमा ने मुख्यमंत्री कार्यालय और शासन को ट्वीट कर मदद मांगी.
सीएम के आदेश पर सुनीता का हुआ अंतिम संस्कार
सीएम के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग और फायर ब्रिगेड की टीम के साथ कोतवाली पुलिस महिला के घर पहुंची और अंतिम संस्कार के लिए जरूरी कदम उठाते हुए राजघाट पर उसका अंतिम संस्कार कराया गया. इस मामले में एडीजी और वरिष्ठ पुलिस कप्तान भी पूरी तरह सक्रिय हो गए. सुनीता का अंतिम संस्कार भी हुआ और उसके घर को पूरी तरह से सैनिटाइज भी कराया गया. इस मामले में एसएसपी दिनेश कुमार पी ने बताया कि शासन से निर्देश मिलते ही कोतवाली पुलिस के साथ फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंच गई थी. सुनीता का अंतिम संस्कार उसी तरह हुआ जैसे एक परिवार के लोगों के द्वारा किया जाता है.
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पुलिस और स्वास्थ्य विभाग ने निभाई अंतिम संस्कार की रस्म
सुनीता की मौत के बाद उसके घर वाले भी उसके करीब नहीं आए. बताया जाता है कि सुनीता की बेटी दिल्ली में रहती है, जिसका आ पाना संभव नहीं था और संस्कार भी जरूरी था. ऐसे में जिसके घर सुनीता काम करती थी. उस महिला ने घटना को संज्ञान में लिया और उचित प्लेटफार्म से मदद मांगने पर उसे तत्काल मदद मिली. जिससे सुनीता के अंतिम संस्कार का रास्ता तय हुआ. नहीं तो सुनीता का अंतिम संस्कार होना संकट बन गया था.