ETV Bharat / state

तकनीकी विशेषज्ञों ने डुबा दी गोरखपुर की 22 कॉलोनियां, सीएम योगी हुए खफा - गोरखपुर की कॉलोनियों में जलभराव

यूपी के गोरखपुर में हुई भारी बारिश से तालाब और नाले पूरी तरह लबालब हो गए हैं. इससे स्थानीय लोगों का काफी समस्याएं हो रही हैं. लोगों का कहना है कि तकनीकी विशेषज्ञों ने कॉलोनियों को डुबाया है. कॉलोनी में रहने वाले लोगों और इलाके के पार्षद ने बताया कि नाली निर्माण के समय तकनीकी विशेषज्ञों और आला अधिकारियों से इसकी शिकायत की गई थी कि इससे जलभराव की समस्या खड़ी होगी, लेकिन उस वक्त अमल नहीं किया गया. वहीं हाल ही में सीएम योगी ने इस पर नाराजगी जताई है.

गोरखपुर में नालियों के पानी से जलभराव.
गोरखपुर में नालियों के पानी से जलभराव.
author img

By

Published : Sep 9, 2021, 11:46 AM IST

गोरखपुर: जिन जिम्मेदार अधिकारियों के ऊपर गोरखपुर शहर के जल निकासी की व्यवस्था को ठीक करने, कॉलोनियों को जलभराव से मुक्ति देने की जिम्मेदारी थी, उन्हीं अधिकारियों की लापरवाही ने अगस्त के महीने में हुई जोरदार बारिश में गोरखपुर शहर की 22 कॉलोनियों को डुबा दिया. स्थिति यह है कि लोग या तो अपने घरों में कैद रहे या फिर घरों को छोड़कर अपने रिश्तेदार या किसी ऐसी जगह पर जाकर ठिकाना लिया, जहां पर वह चैन से रह सकें. कॉलोनियों में घुटने से लेकर कमर भर तक पानी लगा होने से लोगों को खाने से लेकर पीने तक की परेशानी हो रही है. बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारियों ने कोई निगरानी नहीं की. यही वजह थी कि जब इन कॉलोनियों की समस्याओं को मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लगी, तो उन्होंने शिक्षक दिवस 5 सितंबर पर गोरखपुर की ऐसी कॉलोनियों न सिर्फ दौरा किया, बल्कि लापरवाह अधिकारियों को उन निर्माण कार्यों को ध्वस्त करने और सही तरीके से नाले और नालियों के निर्माण का आदेश दिया, जिसकी वजह से लोगों का जीवन नारकीय हो गया है.

गोरखपुर में नालियों के पानी से जलभराव.

पार्षदों के साथ जनता भी हुई मुखर

शहर की कॉलोनियों को जलभराव से मुक्त करने की जिम्मेदारी जहां नगर निगम को है, वहीं पर गोरखपुर से देवरिया, गोरखपुर से महाराजगंज और गोरखपुर से नेपाल को जाने वाली रोड फोर लेन बनाई जा रही है. इन सड़कों के दोनों किनारों पर बड़े और गहरे नाले का निर्माण किया गया है. यही नाले कॉलोनियों को इस भारी बरसात में डुबाने का कारण बने हैं. वजह यह थी कि बिना उचित ड्राइंग-डिजाइन के इन नालों को कॉलोनियों से 3 से 4 फीट ऊपर बना दिया. जब बारिश जोरदार हुई तो जो पानी पिछले वर्षों में आसानी से निकल जाया करता था, वह इन नालों में न जाकर कॉलोनियों में जमा होने लगा, जिससे यहां पर हाय तौबा मच गई. लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया. पानी निकालने का कोई तरीका भी नहीं सूझ रहा था. लगातार दबाव के बाद भी नगर निगम इतने संसाधन नहीं दे पा रहा था कि एक साथ सभी कॉलोनियों को जलभराव से मुक्ति मिल सके. निगम को कानपुर, कुशीनगर जैसी जगहों से सेक्शन पाइप और मशीन मंगानी पड़ी. फिर भी लोगों की दिक्कत जस की तस बनी रही. मौजूदा समय में भी इन कॉलोनियों से पानी निकाले जाने की प्रक्रिया जारी है, लेकिन राहत नहीं मिल रही.


आपको बता दें कि इस वर्ष अगस्त के महीने में मानक से 60 फीसदी अधिक बारिश हुई है, जिसकी वजह से अधिकारियों की तैयारी और उनकी कार्यशैली की पोल पट्टी खुल गई है, जो लोग इस जलभराव की तबाही झेलें हैं, वह आज भी नाराज हैं. उनके घरों से पानी नहीं निकल रहा है. सामानों की बर्बादी हो चुकी है. मोहल्ले के नागरिक तो आक्रोशित हैं ही पार्षद भी काफी गुस्से में हैं, क्योंकि स्थानीय स्तर पर जनता का गुस्सा उन्हें ही झेलना पड़ रहा है.

शक्ति नगर के पार्षद आलोक सिंह विशेन, झरना टोला के रमेश गुप्ता, इंजीनियरिंग कॉलेज के हीरा लाल यादव, बशारतपुर के राजेश तिवारी, राप्ती नगर के बृजेश सिंह छोटू कहते हैं कि नाला निर्माण के दौरान गला फाड़-फाड़कर चिल्ला रहे थे कि नाला गलत बन रहा है लेकिन कोई नहीं सुना. जब तबाही आई है तो सीएम से लेकर अधिकारी भी जाग गए हैं.



सीएम योगी ने दिया आदेश
आपको बता दें कि गोरखपुर नगर निगम में जो मुख्य अभियंता कार्यरत हैं, वह पिछले करीब 8 वर्षों से यहां तैनात है. जिसे हर वर्ष जलभराव की समस्या की जानकारी है. फिर भी उसकी कोई ऐसी ड्राइंग डिजाइन नहीं हो पाई, जो जलभराव से मुक्ति दे पाए. वहीं फोरलेन सड़क और नाला के निर्माण में लोक निर्माण विभाग, सीएनडीएस जैसी संस्था से जुड़ी हुई हैं. लेकिन इनके इंजीनियरों ने भी ऐसी कारस्तानी किया, जिसका खामियाजा आज आम नागरिकों को भोगना पड़ रहा है.

नगर आयुक्त अविनाश सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ तौर पर निर्देश दिया है कि इन कॉलोनियों को जलभराव से मुक्ति दिलाने के लिए नगर निगम, जीडीए, PWD और जिला प्रशासन मिलकर एक संयुक्त कार्य योजना बनाएं. जहां भी नाले का निर्माण ध्वस्त करना हो उसे करें. नाली समेट कच्चा नाला बनाया जाना हो तो भी बनाएं, लेकिन लोगों को जलभराव से मुक्ति मिलनी चाहिए. इसके साथ ही स्थाई प्लान भी उन्हें उपलब्ध कराया जाए, जिससे भविष्य में यह संकट लोगों को न झेलना पड़े.


जिन कॉलोनियों में पानी लगा उनमें श्रवण नगर, स्वर्ण सिटी, सरयू नहर कॉलोनी, फ्रेंड्स कॉलोनी, करीमनगर, शक्तिनगर, प्रज्ञा पुरम, गोरक्षनगर, बसारतपुर, राप्ती नगर, राम जानकी नगर, प्रकृति नगर, गंगा टोला, सिंघड़िया, साहबगंज मंडी, महेवा मंडी, जंगल शालिग्राम, व्यास नगर कॉलोनी, ग्रीन सिटी, इलाहीबाग, बसंतपुर, वृंदावन,रामअवध नगर, विष्णुपुरम शामिल है.

इसे भी पढ़ें- गोरखपुर में पीएम आवास योजना में धांधली, जरूरतमंदों की नहीं हो रही सुनवाई

गोरखपुर: जिन जिम्मेदार अधिकारियों के ऊपर गोरखपुर शहर के जल निकासी की व्यवस्था को ठीक करने, कॉलोनियों को जलभराव से मुक्ति देने की जिम्मेदारी थी, उन्हीं अधिकारियों की लापरवाही ने अगस्त के महीने में हुई जोरदार बारिश में गोरखपुर शहर की 22 कॉलोनियों को डुबा दिया. स्थिति यह है कि लोग या तो अपने घरों में कैद रहे या फिर घरों को छोड़कर अपने रिश्तेदार या किसी ऐसी जगह पर जाकर ठिकाना लिया, जहां पर वह चैन से रह सकें. कॉलोनियों में घुटने से लेकर कमर भर तक पानी लगा होने से लोगों को खाने से लेकर पीने तक की परेशानी हो रही है. बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारियों ने कोई निगरानी नहीं की. यही वजह थी कि जब इन कॉलोनियों की समस्याओं को मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लगी, तो उन्होंने शिक्षक दिवस 5 सितंबर पर गोरखपुर की ऐसी कॉलोनियों न सिर्फ दौरा किया, बल्कि लापरवाह अधिकारियों को उन निर्माण कार्यों को ध्वस्त करने और सही तरीके से नाले और नालियों के निर्माण का आदेश दिया, जिसकी वजह से लोगों का जीवन नारकीय हो गया है.

गोरखपुर में नालियों के पानी से जलभराव.

पार्षदों के साथ जनता भी हुई मुखर

शहर की कॉलोनियों को जलभराव से मुक्त करने की जिम्मेदारी जहां नगर निगम को है, वहीं पर गोरखपुर से देवरिया, गोरखपुर से महाराजगंज और गोरखपुर से नेपाल को जाने वाली रोड फोर लेन बनाई जा रही है. इन सड़कों के दोनों किनारों पर बड़े और गहरे नाले का निर्माण किया गया है. यही नाले कॉलोनियों को इस भारी बरसात में डुबाने का कारण बने हैं. वजह यह थी कि बिना उचित ड्राइंग-डिजाइन के इन नालों को कॉलोनियों से 3 से 4 फीट ऊपर बना दिया. जब बारिश जोरदार हुई तो जो पानी पिछले वर्षों में आसानी से निकल जाया करता था, वह इन नालों में न जाकर कॉलोनियों में जमा होने लगा, जिससे यहां पर हाय तौबा मच गई. लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया. पानी निकालने का कोई तरीका भी नहीं सूझ रहा था. लगातार दबाव के बाद भी नगर निगम इतने संसाधन नहीं दे पा रहा था कि एक साथ सभी कॉलोनियों को जलभराव से मुक्ति मिल सके. निगम को कानपुर, कुशीनगर जैसी जगहों से सेक्शन पाइप और मशीन मंगानी पड़ी. फिर भी लोगों की दिक्कत जस की तस बनी रही. मौजूदा समय में भी इन कॉलोनियों से पानी निकाले जाने की प्रक्रिया जारी है, लेकिन राहत नहीं मिल रही.


आपको बता दें कि इस वर्ष अगस्त के महीने में मानक से 60 फीसदी अधिक बारिश हुई है, जिसकी वजह से अधिकारियों की तैयारी और उनकी कार्यशैली की पोल पट्टी खुल गई है, जो लोग इस जलभराव की तबाही झेलें हैं, वह आज भी नाराज हैं. उनके घरों से पानी नहीं निकल रहा है. सामानों की बर्बादी हो चुकी है. मोहल्ले के नागरिक तो आक्रोशित हैं ही पार्षद भी काफी गुस्से में हैं, क्योंकि स्थानीय स्तर पर जनता का गुस्सा उन्हें ही झेलना पड़ रहा है.

शक्ति नगर के पार्षद आलोक सिंह विशेन, झरना टोला के रमेश गुप्ता, इंजीनियरिंग कॉलेज के हीरा लाल यादव, बशारतपुर के राजेश तिवारी, राप्ती नगर के बृजेश सिंह छोटू कहते हैं कि नाला निर्माण के दौरान गला फाड़-फाड़कर चिल्ला रहे थे कि नाला गलत बन रहा है लेकिन कोई नहीं सुना. जब तबाही आई है तो सीएम से लेकर अधिकारी भी जाग गए हैं.



सीएम योगी ने दिया आदेश
आपको बता दें कि गोरखपुर नगर निगम में जो मुख्य अभियंता कार्यरत हैं, वह पिछले करीब 8 वर्षों से यहां तैनात है. जिसे हर वर्ष जलभराव की समस्या की जानकारी है. फिर भी उसकी कोई ऐसी ड्राइंग डिजाइन नहीं हो पाई, जो जलभराव से मुक्ति दे पाए. वहीं फोरलेन सड़क और नाला के निर्माण में लोक निर्माण विभाग, सीएनडीएस जैसी संस्था से जुड़ी हुई हैं. लेकिन इनके इंजीनियरों ने भी ऐसी कारस्तानी किया, जिसका खामियाजा आज आम नागरिकों को भोगना पड़ रहा है.

नगर आयुक्त अविनाश सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ तौर पर निर्देश दिया है कि इन कॉलोनियों को जलभराव से मुक्ति दिलाने के लिए नगर निगम, जीडीए, PWD और जिला प्रशासन मिलकर एक संयुक्त कार्य योजना बनाएं. जहां भी नाले का निर्माण ध्वस्त करना हो उसे करें. नाली समेट कच्चा नाला बनाया जाना हो तो भी बनाएं, लेकिन लोगों को जलभराव से मुक्ति मिलनी चाहिए. इसके साथ ही स्थाई प्लान भी उन्हें उपलब्ध कराया जाए, जिससे भविष्य में यह संकट लोगों को न झेलना पड़े.


जिन कॉलोनियों में पानी लगा उनमें श्रवण नगर, स्वर्ण सिटी, सरयू नहर कॉलोनी, फ्रेंड्स कॉलोनी, करीमनगर, शक्तिनगर, प्रज्ञा पुरम, गोरक्षनगर, बसारतपुर, राप्ती नगर, राम जानकी नगर, प्रकृति नगर, गंगा टोला, सिंघड़िया, साहबगंज मंडी, महेवा मंडी, जंगल शालिग्राम, व्यास नगर कॉलोनी, ग्रीन सिटी, इलाहीबाग, बसंतपुर, वृंदावन,रामअवध नगर, विष्णुपुरम शामिल है.

इसे भी पढ़ें- गोरखपुर में पीएम आवास योजना में धांधली, जरूरतमंदों की नहीं हो रही सुनवाई

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.