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गोरखपुरः इतिहास में क्यों दर्ज है चौरी चौरा कांड, महात्मा गांधी से क्या है नाता

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Published : Sep 3, 2019, 10:07 AM IST

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में स्थित चौरी चौरा इतिहास के पन्नों में दर्ज है, जिसकी वजह चौरी चौरा कांड है. महात्मा गांधी के आह्वान पर देश के साथ यहां के लोगों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.

महात्मा गांधी.

गोरखपुरः चौरी चौरा कांड भारतीय संघर्षों के बीच का एक ऐसा कांड जो देश ही नहीं पूरी दुनिया में एक मिसाल कायम करता है. इसकी वजह है महात्मा गांधी ने 1920 में अंग्रेजों को देश से भगाने के लिए असहयोग आंदोलन शुरू किया था. इस आंदोलन के तहत विदेशी वस्तुएं, जो कपड़े थे उनका परित्याग किया गया. साथ ही अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद की गई.

चौरी चौरा कांड.

शहीदों की याद में बना है स्मारक
यह आंदोलन पूरे देश में चल रहा था और गोरखपुर इससे अछूता नहीं था. चौरी चौरा में कपड़े की बहुत बड़ी मार्केट हुआ करती थी. यहीं से लोग कपड़ों की खरीदारी करते थे, लेकिन गांधी जी के कहने से सारे लोग इकट्ठा हो हुए और विदेशी वस्तुओं का परित्याग करने लगे. जो लोग विरोध कर रहे थे अंग्रेज पुलिस उनसे सख्ती से पेश आ रही थी. इससे क्रांतिकारियों में पुलिसिया दमन की भावना और प्रबल हो गई. कुछ क्रांतिकारियों ने पुलिस के अत्याचारों को देखते हुए थाने में आग लगा दिया. इसमें 22 पुलिसकर्मी जलकर मर गए थे.

5 फरवरी 1922 को इतिहास में दर्ज हुआ
जिस दिन क्रांतिकारियों ने पुलिस चौकी में आग लगाई थी, वह तारीख थी 5 फरवरी 1922. इतिहास में यह दिन चौरी चौरा कांड के नाम से दर्ज हो गया. चौरी चौरा में जिस जगह यह घटना हुई थी. वहां एक शहीद स्मारक बनाया गया है. यहां स्थापित स्मारक पत्थर पर शहीदों का इतिहास लिखा गया है.

गोरखपुरः चौरी चौरा कांड भारतीय संघर्षों के बीच का एक ऐसा कांड जो देश ही नहीं पूरी दुनिया में एक मिसाल कायम करता है. इसकी वजह है महात्मा गांधी ने 1920 में अंग्रेजों को देश से भगाने के लिए असहयोग आंदोलन शुरू किया था. इस आंदोलन के तहत विदेशी वस्तुएं, जो कपड़े थे उनका परित्याग किया गया. साथ ही अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद की गई.

चौरी चौरा कांड.

शहीदों की याद में बना है स्मारक
यह आंदोलन पूरे देश में चल रहा था और गोरखपुर इससे अछूता नहीं था. चौरी चौरा में कपड़े की बहुत बड़ी मार्केट हुआ करती थी. यहीं से लोग कपड़ों की खरीदारी करते थे, लेकिन गांधी जी के कहने से सारे लोग इकट्ठा हो हुए और विदेशी वस्तुओं का परित्याग करने लगे. जो लोग विरोध कर रहे थे अंग्रेज पुलिस उनसे सख्ती से पेश आ रही थी. इससे क्रांतिकारियों में पुलिसिया दमन की भावना और प्रबल हो गई. कुछ क्रांतिकारियों ने पुलिस के अत्याचारों को देखते हुए थाने में आग लगा दिया. इसमें 22 पुलिसकर्मी जलकर मर गए थे.

5 फरवरी 1922 को इतिहास में दर्ज हुआ
जिस दिन क्रांतिकारियों ने पुलिस चौकी में आग लगाई थी, वह तारीख थी 5 फरवरी 1922. इतिहास में यह दिन चौरी चौरा कांड के नाम से दर्ज हो गया. चौरी चौरा में जिस जगह यह घटना हुई थी. वहां एक शहीद स्मारक बनाया गया है. यहां स्थापित स्मारक पत्थर पर शहीदों का इतिहास लिखा गया है.

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