लखनऊ: आज देशभर में सकट चौथ या संकष्टी चौथ का व्रत रखा जा रहा है. सकट चौथ के व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. इस दिन लोग भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा अर्चना करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सकट चौथ का व्रत रखने से संतान निरोगी और दीर्घायु होती है. गणेश चतुर्थी व्रत रविवार और सोमवार को भी मनाया जाएगा. ऐसा पंडितों के आपसी मतभेद के कारण हो रहा है. इस व्रत को सकट चौथ व्रत भी कहते हैं. इस तिथि में गणेश जी की पूजा की जाती है. पुत्रवती महिलाएं इस व्रत को रखती हैं.
पंडितों के मतभेद
चिंताहरण पंचाग के अनुसार चौथ रविवार को रात 8 बजकर 25 मिनट से और सोमवार को शाम 6:25 बजे तक है. इस पंचाग में रविवार को ही सकट चौथ बताया गया है. भारतीय नक्षत्रवाणी पंचाग के अनुसार भी सकठ चौथ को रविवार को ही बताया गया.
चौथ पर पंडितों की राय
पंडित अनिल कुमार पांडेय के अनुसार सकट व्रत सोमवार को ही रखना उचित होगा. पंडित अनिल कुमार पांडेय के अनुसार रविवार को चौथ आधे से ज्यादा दिन बीत जाने के बाद लग रहा है. सोमवार को पूरा दिन चौथ है. ऐसे में शाम को भी गोधूलि बेला में पूजा के समय चौथ रहेगी. फिर चंद्रमा को अर्घ देकर पूजा पूर्ण की जा सकती है. वहीं चौक के पंडित मंगलू पाधा के अनुसार सकट चौथ रविवार को मनाना चाहिए. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मध्यान व्यापिनी लिया जाता है.
सकट चौथ व्रत
धर्म ग्रंथों के अनुसार सकट चौथ व्रत माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इसी दिन संकट हरण गणेश जी का पूजन किया जाता है. महिलाएं सुबह से निर्जला व्रत रखकर शाम को पूजा के बाद फलाहार ग्रहण करती हैं. फलाहार में अधिकांश परिवारों में शकरकंद खाने की परंपरा है. दूसरे दिन सुबह पूजन के प्रसाद से व्रत को खोला जाता है. पूजन में तिल और गुड़ को मिलाकर कहीं पहाड़ बनाया जाता है, तो कहीं बकरा भी बनाया जाता है. भक्त अपनी-अपनी पारीवारिक परम्परा के अनुसार पूजा करते हैं. अंत में कथा कहकर पूजा पूरी की जाती है. कथा में कुम्हार के आंवा और एक बुढ़िया की कथा प्रमुख रूप से कही जाती है.