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गोरखपुर : पूर्वोत्तर रेलवे ने दी सौगात, कुली करा सकेंगे मुफ्त इलाज

गोरखपुर में पीआरकेएस की पहल पर पूर्वोत्तर रेलवे के कुलियों को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ अब रेलवे अस्पताल में मिल सकेगा. इस सुविधा के तहत लाइसेंसधारी कुली खुद या घर के किसी भी सदस्य के बीमार होने पर रेलवे अस्पताल में निशुल्क इलाज करा सकेंगे.

इस सुविधा के तहत कुलियों का इलाज रेलवे अस्पतालों में निशुल्क किया जाएगा.
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Published : Apr 3, 2019, 1:36 PM IST

गोरखपुर : दूर-दराज से आए यात्रियों का बोझ उठाने वाले कुलियों की सुध अब पूर्वोत्तर रेलवे ने ली है. 15 वर्षों के लम्बे संघर्ष के बाद कुलियों को स्वास्थ्य लाभ की सुविधा रेलवे अस्पताल में मिल सकेगी. इस घोषणा के बाद कुलियों में खुशी की लहर दौड़ गई. प्रसन्नता जाहिर करते हुए गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर कार्यरत लाइसेंस धारक कुलियों ने पीआरकेएस के कार्यालय पर खुशी का इजहार किया और एक-दूसरे का मुंह मीठा कराया.

इस सुविधा के तहत कुलियों का इलाज रेलवे अस्पतालों में निशुल्क किया जाएगा.


कुलियों का कहना है कि रेल मंत्रालय ने इनकी सुध ली है. अभी तक इन्हें सिर्फ आउटडोर चिकित्सा की सुविधा मिल रही थी. उन्होंने कहा कि कुली संघ के अध्यक्ष और पीआरकेएस पदाधिकारियों के साथ मिलकर केंद्रीय मजदूर यूनियन के नेताओं के सहयोग से अब देश के किसी भी रेलवे अस्पताल में मुफ्त इलाज होगा. अब अपने परिवार के सदस्यों का इलाज रेलवे अस्पतालों में करा सकेंगे. इस सुविधा के तहत लाइसेंसधारी सहायक खुद या घर के किसी भी सदस्य के बीमार होने पर रेलवे अस्पताल में निशुल्क इलाज करा सकेंगे. रेल मंत्रालय की जनकल्याणकारी योजना भारतीय रेलवे के सभी अस्पतालों में लागू होगी. इस संबंध में रेलवे बोर्ड ने समस्त महाप्रबंधक को दिशा निर्देश भी जारी कर दिया है.


इस संबंध में केंद्रीय प्रवक्ता एके सिंह ने बताया कि पीआरकेएस और केंद्रीय मजदूर यूनियन कुलियों के हक के लिए वर्षों से लड़ाई लड़ता चला आ रहा है और उसी का परिणाम है कि अब कुलियों को रेलवे अस्पतालों में मुफ्त चिकित्सा सुविधा मिल सकेगा. वहीं कुली संघ के उपाध्यक्ष शंभू नाथ का कहना है कि हम लोग आर्थिक रूप से बहुत कमजोर हैं. पीआरकेएस के नेताओं ने हमारी लड़ाई लड़कर हमें स्वास्थ्य सुविधा का लाभ दिलाया है. इसके साथ ही हमें रेलवे से पास भी मुहैया कराया है. हमें खुशी है कि अब हमारे परिवार का इलाज रेल कर्मचारियों की ही तरह रेलवे अस्पतालों में निशुल्क किया जाएगा.


पीआरकेएस के महामंत्री विनोद राय ने बताया कि पूर्वोत्तर रेलवे में 184 से ज्यादा कुली स्टेशनों पर यात्रियों का बोझ उठाते हैं. हमने अपने केंद्रीय पदाधिकारियों से इन कुलियों को मिलाया और उनकी समस्याओं से अवगत कराया. इस पर आश्वासन देते हुए हमारे केंद्रीय पदाधिकारियों ने रेल मंत्रालय व रेलवे बोर्ड से इनके हक की लड़ाई लड़ी और आज उसी का परिणाम है कि इन्हें रेलवे की तरफ से तमाम सुविधाएं मिलने लगी है.

गोरखपुर : दूर-दराज से आए यात्रियों का बोझ उठाने वाले कुलियों की सुध अब पूर्वोत्तर रेलवे ने ली है. 15 वर्षों के लम्बे संघर्ष के बाद कुलियों को स्वास्थ्य लाभ की सुविधा रेलवे अस्पताल में मिल सकेगी. इस घोषणा के बाद कुलियों में खुशी की लहर दौड़ गई. प्रसन्नता जाहिर करते हुए गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर कार्यरत लाइसेंस धारक कुलियों ने पीआरकेएस के कार्यालय पर खुशी का इजहार किया और एक-दूसरे का मुंह मीठा कराया.

इस सुविधा के तहत कुलियों का इलाज रेलवे अस्पतालों में निशुल्क किया जाएगा.


कुलियों का कहना है कि रेल मंत्रालय ने इनकी सुध ली है. अभी तक इन्हें सिर्फ आउटडोर चिकित्सा की सुविधा मिल रही थी. उन्होंने कहा कि कुली संघ के अध्यक्ष और पीआरकेएस पदाधिकारियों के साथ मिलकर केंद्रीय मजदूर यूनियन के नेताओं के सहयोग से अब देश के किसी भी रेलवे अस्पताल में मुफ्त इलाज होगा. अब अपने परिवार के सदस्यों का इलाज रेलवे अस्पतालों में करा सकेंगे. इस सुविधा के तहत लाइसेंसधारी सहायक खुद या घर के किसी भी सदस्य के बीमार होने पर रेलवे अस्पताल में निशुल्क इलाज करा सकेंगे. रेल मंत्रालय की जनकल्याणकारी योजना भारतीय रेलवे के सभी अस्पतालों में लागू होगी. इस संबंध में रेलवे बोर्ड ने समस्त महाप्रबंधक को दिशा निर्देश भी जारी कर दिया है.


इस संबंध में केंद्रीय प्रवक्ता एके सिंह ने बताया कि पीआरकेएस और केंद्रीय मजदूर यूनियन कुलियों के हक के लिए वर्षों से लड़ाई लड़ता चला आ रहा है और उसी का परिणाम है कि अब कुलियों को रेलवे अस्पतालों में मुफ्त चिकित्सा सुविधा मिल सकेगा. वहीं कुली संघ के उपाध्यक्ष शंभू नाथ का कहना है कि हम लोग आर्थिक रूप से बहुत कमजोर हैं. पीआरकेएस के नेताओं ने हमारी लड़ाई लड़कर हमें स्वास्थ्य सुविधा का लाभ दिलाया है. इसके साथ ही हमें रेलवे से पास भी मुहैया कराया है. हमें खुशी है कि अब हमारे परिवार का इलाज रेल कर्मचारियों की ही तरह रेलवे अस्पतालों में निशुल्क किया जाएगा.


पीआरकेएस के महामंत्री विनोद राय ने बताया कि पूर्वोत्तर रेलवे में 184 से ज्यादा कुली स्टेशनों पर यात्रियों का बोझ उठाते हैं. हमने अपने केंद्रीय पदाधिकारियों से इन कुलियों को मिलाया और उनकी समस्याओं से अवगत कराया. इस पर आश्वासन देते हुए हमारे केंद्रीय पदाधिकारियों ने रेल मंत्रालय व रेलवे बोर्ड से इनके हक की लड़ाई लड़ी और आज उसी का परिणाम है कि इन्हें रेलवे की तरफ से तमाम सुविधाएं मिलने लगी है.

Intro: गोरखपुर। दूर-दराज से आए यात्रियों का बोझ उठाने वाले कुलियों की सुध अब पूर्वोत्तर रेलवे ने ली है, 15 वर्षों के लम्बे संघर्ष के बाद कुलियों को स्वास्थ्य लाभ की सुविधा रेलवे चिकित्सालयों में मिल सकेगी। इन कुलियों को अब रेलवे बोर्ड के द्वारा प्रत्येक वर्ष लाल रंग की 3 सामान्य और 1 ऊनी शर्ट, 50 से अधिक कुलियों वाले स्टेशनों पर बनाए जाएंगे रेस्ट रूम, साथ ही ट्राली पाथ से जोड़े जाएंगे रेलवे स्टेशन के सभी प्लेटफार्म। इस सुविधाओ पर रेलवे बोर्ड ने मुहर लगाई है। वही इन कुलियों को मिलने सुविधा में प्रत्येक वर्ष कुलियों/सहायकों के खुद के लिए एक सेट रेलवे पास के साथ ही सहायकों को रेलवे अस्पताल के आउटडोर मेडिकल की सुविधा को सुचारू रखा जाएगा।


Body:अब रेलवे अस्पतालों में रेल कर्मियों की भारती गोलियों के परिजनों को भी चिकित्सा सुविधा मिलने की घोषणा के बाद कुलियों में खुशी की लहर दौड़ गई। प्रसन्नता जाहिर करते हुए गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर कार्यरत लाइसेंस धारक कुलियों ने पी आर के एस के कार्यालय पर खुशी का इजहार किया और पीआरपीएस के नेताओं के साथ एक दूसरे का मुंह मीठा किया, इस दौरान उन्होंने पी आर के एस जिंदाबाद के नारे भी लगाए।

इनका कहना है कि रेल मंत्रालय ने इनकी सुध ली है, अभी तक इन्हें सिर्फ आउटडोर चिकित्सा की सुविधा मिल रही थी। कुली संघ के अध्यक्ष और पिआरकेएस पदाधिकारियों के साथ मिलकर केंद्रीय मजदूर यूनियन के नेताओं के सहयोग से अब देश के किसी भी रेलवे अस्पताल में इन कुलियों का इलाज मुफ्त में होगा। अब यह भी अपने परिवार के सदस्यों का इलाज रेलवे अस्पतालों में करा सकेंगे।

इस सुविधा के तहत लाइसेंसधारी सहायक खुद या घर के किसी भी सदस्य के बीमार होने पर रेलवे अस्पताल में निशुल्क इलाज करा सकेंगे, रेल मंत्रालय की जनकल्याणकारी योजना भारतीय रेलवे के सभी अस्पतालों में लागू होगी। इस संबंध में रेलवे बोर्ड ने समस्त महाप्रबंधक को दिशा निर्देश भी जारी कर दिया है।

पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय गोरखपुर जंक्शन पर लाइसेंसधारी सहायकों की संख्या 139 है, जो आर्थिक रूप से कमजोर होने के बाद भी कुली का कार्य वर्षों से करते आ रहे हैं।


Conclusion:इस संबंध में केंद्रीय प्रवक्ता ए के सिंह ने बताया कि पिआरकेएस और केंद्रीय मजदूर यूनियन कुलियों के हक के लिए वर्षों से लड़ाई लड़ता चला आ रहा है और उसी का परिणाम है कि अब कुलियों को रेलवे अस्पतालों में मुफ्त चिकित्सा सुविधा मिल सकेगी।

बाइट - ए. के. सिंह, केन्द्रीय प्रवक्ता - केन्द्रीय रेलवे मजदूर यूनियन

वहीं कुली संघ के उपाध्यक्ष शंभू नाथ का कहना है, कि हम लोग आर्थिक रूप से बहुत कमजोर है। हमें या परिवार में किसी भी सदस्य को कोई गंभीर बीमारी हो जाती थी तो उसका इलाज करा पाना हमारे लिए बहुत मुश्किल होता था। लेकिन पी आर के एस के नेताओं ने हमारी लड़ाई लड़कर, हमें स्वास्थ्य सुविधा का लाभ दिलाया है। इसके साथ ही हमें रेलवे से पास भी मुहैया कराया है, हमें खुशी है कि अब हमारे परिवार का इलाज रेल कर्मचारियों की ही तरह रेलवे अस्पतालों में निशुल्क किया जाएगा।

बाइट - शम्भू नाथ, उपाध्यक्ष - पूर्वोत्तर रेलवे कुली संघ

पी आर के एस के महामंत्री विनोद राय ने बताया कि पूर्वोत्तर रेलवे में 184 से ज्यादा खुली स्टेशनों पर यात्रियों का बोझ उठाते हैं, ऐसे में आए दिन इन कुलियों को चोट लगना, बीमार पड़ना आदि की समस्या होती थी। वहीं के परिवार में भी यही स्थिति रहती थी, इन कुलियों की आमदनी का साधन केवल बोझ उठाना है। ऐसे में किसी दिन बोहनी होती थी, तो किसी दिन खाली हाथ घर जाना पड़ता है, इन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। हमने अपने केंद्रीय पदाधिकारियों से इन कुलियों को मिलाया और उनकी समस्याओं से अवगत कराया। इस पर आश्वासन देते हुए हमारे केंद्रीय पदाधिकारियों ने रेल मंत्रालय व रेलवे बोर्ड से इनके हक की लड़ाई लड़ी और आज उसी का परिणाम है कि इन्हें रेलवे की तरफ से तमाम सुविधाएं मिलने लगी है।

बाइट - विनोद राय, महामंत्री- पिआरकेएस

वर्षों से कुली का कार्य कर रहे ज्ञान प्रकाश ने बताया कि हमें खुशी है कि अब हम में रेलवे की तरफ से कुछ सुविधाएं मिल रही है। जिसमें प्रमुख रुप से स्वास्थ्य और रेलवे पास की सुविधा है, अब हम भी अपने परिवार के सदस्यों का इलाज रेलवे चिकित्सालय में करा सकेंगे और जब परिवार का मन होगा तो हम भी उन्हें बाहर घुमा सकते हैं।

बाइट - ज्ञानप्रकाश, कुली




निखिलेश प्रताप
गोरखपुर
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