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साल के आखिरी दिन कुलपति समेत शिक्षक और छात्र साइकिल पर सवार होकर पहुंचे गोरखपुर विश्वविद्यालय

पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में साल 2022 के आखिरी दिन कुलपति के साथ शिक्षक और विद्यार्थी साइकिल से विश्वविद्यालय पहुंचे. बता दें कि हर माह के आखिरी दिन गोरखपुर विश्वविद्यालय में नो व्हीकल डे मनाया जाता है.

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नो व्हीकल डे
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Published : Dec 31, 2022, 9:18 PM IST

गोरखपुरः साल 2022 के आखिरी दिन शनिवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय का कैंपस पूरी तरह से नो व्हीकल जोन में बदला नजर आया. इस दौरान परिसर में दो पहिया वाहन से लेकर कोई भी बड़ा वाहन प्रवेश नहीं कर पाया. खुद कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह अपने आवास से साइकिल पर सवार होकर विश्वविद्यालय कार्यालय तक पहुंचे. उनके साथ तमाम शिक्षक और विद्यार्थी भी शामिल थे. इसके अलावा नियंता मंडल के सदस्य और एनसीसी की टीम सुरक्षा में थी. वह भी साइकिल पर सवार नजार आई.

गौरतलब है कि गोरखपुर विश्वविद्यालय में पर्यावरण संरक्षण और ईंधन की बचत को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक माह के आखिरी दिन को विश्वविद्यालय में नो व्हीकल डे का नाम दिया गया है. लेकिन साल 2022 के आखिरी दिन पड़े इस नो व्हीकल डे खास बनाया दिया. विश्वविद्यालय ने इस पहल की शुरुआत 31 अगस्त 2021 (अगस्त महीने के आखिरी कार्यदिवस) से किया था.

परिसर में दाखिल होने के लिए पैदल, साईकिल, ई बाइक या ई रिक्शा का ही इस्तेमाल किया गया है. 'नो व्हीकल डे' विश्विद्यालय की 'ग्रीन कैंपस, क्लीन कैंपस' के दिशा में पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश सिंह 'नो व्हीकल डे' पर अपने आवास से कार्यस्थल प्रशासनिक भवन साईकिल से गए.

कुलपति प्रो सिंह ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता अभियान के तहत प्रत्येक माह के अंतिम कार्य दिवस पर 'नो व्हीकल डे' मनाने का निर्णय लिया था, जिसके माध्यम से समाज को पर्यावरण संरक्षण का सकारात्मक संदेश देने की विश्विद्यालय ने पहल की है. कुलपति का कहना है कि एक दिन के लिए ही सही इस आयोजन को विश्वविद्यालय के शिक्षक, छात्र सभी बड़े उत्साह के साथ लेते हैं. कार्यालयों तक जाने में लोग साइकिल के अलावा पदयात्रा भी कर लेते हैं.

विश्वविद्यालय परिसर का क्षेत्रफल काफी बड़ा है ऐसे में इसे नो व्हीकल डे के रूप में भले ही घोषित किया गया है लेकिन, साइकिल से और इको फ्रेंडली रिक्शा से लोगों का आना जाना हो सकता है. आज के इस आयोजन से लोगों ने जाते हुए साल को साइकिल यात्रा के माध्यम से जहां सेलिब्रेट किया वहीं देश और समाज को पर्यावरण के साथ ईंधन की बचत का भी संदेश देने का काम किया.

ये भी पढ़ेंः अधिवक्ताओं की चेतावनी, रात भर धरने पर बैठेंगे, पुलिसकर्मियों पर मारपीट का आरोप

गोरखपुरः साल 2022 के आखिरी दिन शनिवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय का कैंपस पूरी तरह से नो व्हीकल जोन में बदला नजर आया. इस दौरान परिसर में दो पहिया वाहन से लेकर कोई भी बड़ा वाहन प्रवेश नहीं कर पाया. खुद कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह अपने आवास से साइकिल पर सवार होकर विश्वविद्यालय कार्यालय तक पहुंचे. उनके साथ तमाम शिक्षक और विद्यार्थी भी शामिल थे. इसके अलावा नियंता मंडल के सदस्य और एनसीसी की टीम सुरक्षा में थी. वह भी साइकिल पर सवार नजार आई.

गौरतलब है कि गोरखपुर विश्वविद्यालय में पर्यावरण संरक्षण और ईंधन की बचत को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक माह के आखिरी दिन को विश्वविद्यालय में नो व्हीकल डे का नाम दिया गया है. लेकिन साल 2022 के आखिरी दिन पड़े इस नो व्हीकल डे खास बनाया दिया. विश्वविद्यालय ने इस पहल की शुरुआत 31 अगस्त 2021 (अगस्त महीने के आखिरी कार्यदिवस) से किया था.

परिसर में दाखिल होने के लिए पैदल, साईकिल, ई बाइक या ई रिक्शा का ही इस्तेमाल किया गया है. 'नो व्हीकल डे' विश्विद्यालय की 'ग्रीन कैंपस, क्लीन कैंपस' के दिशा में पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश सिंह 'नो व्हीकल डे' पर अपने आवास से कार्यस्थल प्रशासनिक भवन साईकिल से गए.

कुलपति प्रो सिंह ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता अभियान के तहत प्रत्येक माह के अंतिम कार्य दिवस पर 'नो व्हीकल डे' मनाने का निर्णय लिया था, जिसके माध्यम से समाज को पर्यावरण संरक्षण का सकारात्मक संदेश देने की विश्विद्यालय ने पहल की है. कुलपति का कहना है कि एक दिन के लिए ही सही इस आयोजन को विश्वविद्यालय के शिक्षक, छात्र सभी बड़े उत्साह के साथ लेते हैं. कार्यालयों तक जाने में लोग साइकिल के अलावा पदयात्रा भी कर लेते हैं.

विश्वविद्यालय परिसर का क्षेत्रफल काफी बड़ा है ऐसे में इसे नो व्हीकल डे के रूप में भले ही घोषित किया गया है लेकिन, साइकिल से और इको फ्रेंडली रिक्शा से लोगों का आना जाना हो सकता है. आज के इस आयोजन से लोगों ने जाते हुए साल को साइकिल यात्रा के माध्यम से जहां सेलिब्रेट किया वहीं देश और समाज को पर्यावरण के साथ ईंधन की बचत का भी संदेश देने का काम किया.

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