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गोरखपुर : एनजीटी का निर्देश, सभी नर्सिंग होम और अस्पतालों को लेना होगा प्रदूषण बोर्ड से प्रमाण पत्र

गोरखपुर में एनजीटी निर्देश जारी कर सभी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स को प्रदूषण बोर्ड से प्रमाण पत्र लेने का निर्देश जारी किया है. यह प्रमाण पत्र 15 दिन के भीतर लेना होगा. बता दें कि गोरखपुर शहर में करीब छोटे बड़े कुल 80 से ज्यादा नर्सिंग होम, अस्पताल हैं.

सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी.
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Published : Mar 19, 2019, 3:10 PM IST

गोरखपुर : पूर्वी उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सर्वाधिक अस्पतालों, नर्सिंग होम्स की संख्या रखने वाला गोरखपुर शहर, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निशाने पर आ गया है. मेडिकल कचरे के निस्तारण और इसे प्रदूषण का बड़ा केंद्र मानते हुए एनजीटी ने 2 सप्ताह के भीतर अस्पतालों को प्रदूषण बोर्ड से प्रमाण पत्र लेने का निर्देश जारी किया है.

जानकारी देते सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी.

यह आदेश उत्तर प्रदेश सरकार के माध्यम से जिले के सीएमओ को प्राप्त हुआ है. इस आदेश के आने के बाद सीएमओ भी हरकत में आ गए हैं. उन्होंने अस्पतालों को नोटिस जारी करना शुरू कर दिया है. खास बात यह है कि इस दायरे में एनजीटी ने सरकारी अस्पतालों को भी ले लिया है, जिसके बाद महकमे की सिर दर्दी बढ़ गई है.

बता दें कि अस्पताल और नर्सिंग होम पर एनजीटी की इस कार्रवाई से पहले गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज को भी मेडिकल कचरा का सही तरीके से निष्पादन न करने पर हर्जाने का शिकार होना पड़ा था. शहर में करीब छोटे बड़े कुल 80 से ज्यादा नर्सिंग होम, अस्पताल हैं. इसके अलावा पैथोलॉजी सेंटर की संख्या 400 के पार है.

सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी की मानें तो वह इस आदेश के बाद अपने अस्पतालों को भी प्रदूषण मुक्त बनाने के प्रयास के साथ इसका अनापत्ति प्रमाण पत्र लेंगे. साथ ही सभी प्राइवेट अस्पतालों को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह के भीतर प्रमाण पत्र लेने का निर्देश भी जारी करेंगे. उन्होंने कहा कि जो भी एनजीटी के आदेश का उल्लंघन करेगा वह बड़े जुर्माने का शिकार होगा या फिर उसके अस्पताल में ताला लग जाएगा.

गोरखपुर : पूर्वी उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सर्वाधिक अस्पतालों, नर्सिंग होम्स की संख्या रखने वाला गोरखपुर शहर, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निशाने पर आ गया है. मेडिकल कचरे के निस्तारण और इसे प्रदूषण का बड़ा केंद्र मानते हुए एनजीटी ने 2 सप्ताह के भीतर अस्पतालों को प्रदूषण बोर्ड से प्रमाण पत्र लेने का निर्देश जारी किया है.

जानकारी देते सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी.

यह आदेश उत्तर प्रदेश सरकार के माध्यम से जिले के सीएमओ को प्राप्त हुआ है. इस आदेश के आने के बाद सीएमओ भी हरकत में आ गए हैं. उन्होंने अस्पतालों को नोटिस जारी करना शुरू कर दिया है. खास बात यह है कि इस दायरे में एनजीटी ने सरकारी अस्पतालों को भी ले लिया है, जिसके बाद महकमे की सिर दर्दी बढ़ गई है.

बता दें कि अस्पताल और नर्सिंग होम पर एनजीटी की इस कार्रवाई से पहले गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज को भी मेडिकल कचरा का सही तरीके से निष्पादन न करने पर हर्जाने का शिकार होना पड़ा था. शहर में करीब छोटे बड़े कुल 80 से ज्यादा नर्सिंग होम, अस्पताल हैं. इसके अलावा पैथोलॉजी सेंटर की संख्या 400 के पार है.

सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी की मानें तो वह इस आदेश के बाद अपने अस्पतालों को भी प्रदूषण मुक्त बनाने के प्रयास के साथ इसका अनापत्ति प्रमाण पत्र लेंगे. साथ ही सभी प्राइवेट अस्पतालों को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह के भीतर प्रमाण पत्र लेने का निर्देश भी जारी करेंगे. उन्होंने कहा कि जो भी एनजीटी के आदेश का उल्लंघन करेगा वह बड़े जुर्माने का शिकार होगा या फिर उसके अस्पताल में ताला लग जाएगा.

Intro:ओपनिंग पीटीसी से खबर की शुरुआत...

गोरखपुर। पूर्वी उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सर्वाधिक अस्पतालों/नर्सिंग होम्स की संख्या रखने वाला गोरखपुर शहर, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निशाने पर आ गया है। मेडिकल कचरे के निस्तारण और इसे प्रदूषण का बड़ा केंद्र मानते हुए एनजीटी ने 2 सप्ताह के भीतर अस्पतालों को प्रदूषण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने का निर्देश, उत्तर प्रदेश शासन के माध्यम से जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भिजवाया है। इस आदेश के आने के बाद सीएमओ भी हरकत में आ गए हैं।उन्होंने अस्पतालों को नोटिस जारी करना शुरू कर दिया है। खास बात यह है कि इस दायरे में एनजीटी ने सरकारी अस्पतालों को भी ले लिया है जिसके बाद महकमे की सिर दर्दी बढ़ गई है।


Body:अस्पताल और नर्सिंग होम पर एनजीटी की इस कार्रवाई से पहले गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज को भी मेडिकल कचरा का सही तरीके से निष्पादन न करने पर हर्जाने का शिकार होना पड़ा था। एक बार फिर एनजीटी ने जब इस तरफ नजर मोड़ा तो शहर का जिला अस्पताल हो या फिर महिला अस्पताल और तो और कई सीएचसी और पीएचसी भी इसके अनुपालन न करने के दायरे में आ गए। शहर में करीब छोटे बड़े कुल 80 से ज्यादा नर्सिंग होम अस्पताल हैं। इसके अलावा पैथोलॉजी सेंटर की संख्या 400 के पार है। सीएमओ डॉ श्रीकांत तिवारी की मानें तो वह इस आदेश के बाद अपने अस्पतालों को भी प्रदूषण मुक्त बनाने के प्रयास के साथ इसका अनापत्ति प्रमाण पत्र लेंगे साथ ही सभी प्राइवेट अस्पतालों को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह के भीतर ऐसा कर ले जाने का निर्देश भी जारी करेंगे। उन्होंने कहा कि जो भी एनजीटी के आदेश का उल्लंघन करेगा वह बड़े जुर्माने का शिकार होगा या फिर उसके अस्पताल में ताला लग जाएगा। वहीं सामाजिक लोगों का मानना है कहीं न कहीं एनजीटी का यह आदेश स्वच्छ भारत मिशन के क्रम में उठाया गया बेजोड़ का दम है।

बाइट-डॉ श्रीकांत तिवारी, सीएमओ, गोरखपुर
बाइट-प्रमोद शुक्ला, स्थानीय नागरिक


Conclusion:स्वच्छता और सफाई को लेकर जो मुहिम देश में चल रही है उसमें एनजीटी का यह आदेश इस बात की ओर संकेत करता है कि जानलेवा प्रदूषण फैलाने वाले केंद्रों पर इस तरह के अभियान चलाने वालों की नजर नहीं जाती। यह आदेश उत्तर प्रदेश सरकार के माध्यम से जिले के सीएमओ को प्राप्त हुआ है। जिसके बाद इसके पालन के लिए महकमे में खलबली मच गई है। खास बात यह है कि जिसके ऊपर इस समस्या के निस्तारण का दायित्व सौंपा गया है वह संस्थान खुद इसके दायरे में है। लिहाजा नोटिस को तामील कराना बड़ा चैलेंज हैं। गोरखपुर सीएम योगी आदित्यनाथ का शहर है और यह आदेश शासन को एनजीटी ने जारी किया है। इसके अनुपालन में कोई कोर कसर होगी तो जवाब सरकार को देना होगा। वजह यह है कि नाली और नाले से जो जानलेवा बैक्टीरिया पैदा नहीं होते वह मेडिकल कचरे की वजह से तेजी से पनपते है। इसलिए इसका पालन सुनिश्चित करना बड़ी जिम्मेदारी है। वहीं इस आदेश की आड़ में भ्रष्टाचार के भी बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है।

क्लोजिंग पीटीसी-मुकेश पाण्डेय
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