गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता के निधन के बाद गोरखनाथ मंदिर में भी शोक की लहर दौड़ गई है. हालांकि लॉकडाउन के दौरान पहले से ही मंदिर में खामोशी थी, लेकिन जो लोग व्यवस्थाओं से जुड़े हुए थे और यहां मौजूद साधु-संत वह गोरक्ष पीठाधीश्वर और प्रदेश के मुख्यमंत्री के पिता के निधन से बेहद आहत हैं. लॉकडाउन की सीमाओं में बंधे होने की वजह से वह अंदर ही अंदर काफी दुखी तो हैं, लेकिन वह अपना दुख व्यक्त भी नहीं कर पाए. इस दौरान ईटीवी भारत ने गोरखनाथ मंदिर का जायजा लिया तो यहां पूरी तरह सन्नाटा पसरा हुआ था और कोई कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं था.
योगी आदित्यनाथ ने 1994 में गोरखनाथ मंदिर में प्रवेश किया था. वह ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के शिष्य थे. जिस दौर में वह नाथ संप्रदाय से जुड़े और गोरक्षपीठ के उतराधिकारी की भूमिका का भार उन्होंने अपने कंधे पर लिया वह पूरी तरह से अपने मूल परिवार से विरक्त हो गए थे. नाथ समाज की परंपरा है कि इसमें शामिल होने के बाद संत और योगी को अपने मूल परिवार से दूर हो जाना पड़ता है, जो उसका गुरु होता है, वही उसके पिता के समान होता है. योगी आदित्यनाथ गोरक्षपीठाधीश्वर होने के साथ-साथ लोकसभा के सदस्य भी निर्वाचित होते रहे हैं. उनके पिता के कालम में उनके गुरु अवेद्यनाथ का नाम शामिल होता था न कि उनके पिता का.
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हालांकि जीवित रहने के दौरान योगी आदित्यनाथ के पिता का इलाज दिल्ली एम्स में चल रहा था तो योगी ने उनसे जाकर मुलाकात की थी, लेकिन सिद्धांत और परंपराओं के कारण अब अपने पिता के निधन और अंत्येष्टि में वह शामिल नहीं होंगे. वहीं योगी आदित्यनाथ के पिता के निधन की सूचना से मंदिर प्रबंध से जुड़े हुए लोग और साधु-संत काफी दुखी हैं. इस बात का भी उनके अंदर काफी दुख है कि एक पुत्र जिसके ऊपर संत परंपरा के निर्वहन का भार है. वह अपने पिता के निधन में शामिल नहीं हो पा रहा है.