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बिहार चुनाव में गोरखपुर के 'मटकू टेलर' की धूम, मोदी-तेजस्वी कुर्ते की मांग - matkoo tailor from gorakhpur

यूपी के गोरखपुर में मटकू टेलर की दुकान इस चुनावी मौसम में नेताओं से गुलजार है. यहां उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा बिहार तक के नेता कुर्ता-पायजामा और सदरी सिलाने आ रहे हैं. दुकान में टंगे मोदी, तेजस्वी और अखिलेश स्टाइल के जैकेट और कुर्ते-पायजामे लोगों को बरबस ही आकर्षित करते हैं.

मटकू टेलर की दुकान चुनावी मौसम में नेताओं से गुलजार.
मटकू टेलर की दुकान चुनावी मौसम में नेताओं से गुलजार.
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Published : Oct 22, 2020, 5:17 PM IST

गोरखपुर: बिहार विधानसभा चुनाव में गोरखपुर के नामी टेलर के सिले जैकेट और कुर्ते-पायजामे की खूब डिमांड है. वहां के स्थानीय नेताओं के साथ ही यूपी से प्रचार के लिए बिहार जाने वाले नेता भी इस टेलर के यहां बड़े पैमाने पर सदरी और कुर्ते-पायजामे सिलवा रहे हैं. मटकू टेलर के नाम से प्रसिद्ध इस दुकान में वैसे तो हमेशा भीड़ लगी रहती है, लेकिन इस चुनावी मौसम में यहां नेताओं की बहार आई हुई है. खास बात यह है कि भाजपाइयों में जहां मोदी जैकेट सिलाने की होड़ है तो वहीं सपा और राजद के नेता अखिलेश और तेजस्वी यादव की स्टाइल के कुर्ता-जैकेट सिला रहे हैं.

मटकू टेलर की दुकान चुनावी मौसम में नेताओं से गुलजार.

नेताओं की पसंदीदा दुकान
मटकू टेलर की दुकान छात्र राजनीति से लेकर दलीय राजनीति करने वालों की पसंदीदा दुकान है. यहां कुर्ते की सिलाई मशीन के अलावा हाथ से भी की जाती है. यहां आम लोगों के भी कपड़े सिले जाते हैं, लेकिन राजनीति का कलेवर देने के लिए नेताओं के कपड़ों को मटकू ही आकार देते हैं. वर्ष 1944 में मटकू टेलर की दुकान शहर के गोलघर में खुली थी. आज वह मटकू टेलर एंड सन्स के नाम से गोरखपुर ही नहीं लखनऊ, बनारस और बिहार तक जानी जाती है. इस दुकान में आने पर मनपसंद कपड़े भी मिलते हैं और सिलाई भी बेहतर की जाती है. बिहार प्रचार में जाने वाले नेता यहां अपने कपड़े सिलवा रहे हैं तो तमाम नेताओं के कपड़े सिलाकर ले भी जा रहे हैं. लखनऊ से भी लोग यहां कपड़े सिलाने आते हैं. मटकू की बड़ी खासियत यह भी है कि एक दिन में भी उन्हें कपड़े सिलकर दे देते हैं.

मटकू की दुकान में इन दिनों बढ़ी है भीड़
बिहार चुनाव को देखते हुए इन दिनों मटकू की दुकान में भीड़ बढ़ी है. दुकान में टंगे मोदी, तेजस्वी और अखिलेश स्टाइल के जैकेट और कुर्ता-पायजामा लोगों को बरबस ही आकर्षित कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि कॉटन से लेकर लिलेन के महंगे कपड़े कुर्ते-सदरी सिलाने के लिए लेते हैं. ऐसे में अगर स्टिच और सिलाई बढ़िया नहीं होगी तो फिर उसका कोई मतलब नहीं रह जाएगा.

मिलती है जबरदस्त फिटिंग.
मिलती है जबरदस्त फिटिंग.

'लोगों के भरोसे का ही है परिणाम'
वहीं इस दुकान के संचालक रशीद अहमद कहते हैं कि यह लोगों के भरोसे का ही परिणाम है कि साल 1944 में स्थापित छोटी सी दुकान आज मटकू टेलर एंड सन्स के नाम से जानी जाती है. इसकी एक-दो नहीं बल्कि तीन-तीन शाखाएं हैं. यह पहचान के साथ तमाम हुनरमंद हाथों को रोजगार भी प्रदान कर रहा है. यही वजह है कि नेता कोई भी हो वह मटकू टेलर के यहां एक बार अपने कपड़े सिलाने जरूर आता है.

गोरखपुर: बिहार विधानसभा चुनाव में गोरखपुर के नामी टेलर के सिले जैकेट और कुर्ते-पायजामे की खूब डिमांड है. वहां के स्थानीय नेताओं के साथ ही यूपी से प्रचार के लिए बिहार जाने वाले नेता भी इस टेलर के यहां बड़े पैमाने पर सदरी और कुर्ते-पायजामे सिलवा रहे हैं. मटकू टेलर के नाम से प्रसिद्ध इस दुकान में वैसे तो हमेशा भीड़ लगी रहती है, लेकिन इस चुनावी मौसम में यहां नेताओं की बहार आई हुई है. खास बात यह है कि भाजपाइयों में जहां मोदी जैकेट सिलाने की होड़ है तो वहीं सपा और राजद के नेता अखिलेश और तेजस्वी यादव की स्टाइल के कुर्ता-जैकेट सिला रहे हैं.

मटकू टेलर की दुकान चुनावी मौसम में नेताओं से गुलजार.

नेताओं की पसंदीदा दुकान
मटकू टेलर की दुकान छात्र राजनीति से लेकर दलीय राजनीति करने वालों की पसंदीदा दुकान है. यहां कुर्ते की सिलाई मशीन के अलावा हाथ से भी की जाती है. यहां आम लोगों के भी कपड़े सिले जाते हैं, लेकिन राजनीति का कलेवर देने के लिए नेताओं के कपड़ों को मटकू ही आकार देते हैं. वर्ष 1944 में मटकू टेलर की दुकान शहर के गोलघर में खुली थी. आज वह मटकू टेलर एंड सन्स के नाम से गोरखपुर ही नहीं लखनऊ, बनारस और बिहार तक जानी जाती है. इस दुकान में आने पर मनपसंद कपड़े भी मिलते हैं और सिलाई भी बेहतर की जाती है. बिहार प्रचार में जाने वाले नेता यहां अपने कपड़े सिलवा रहे हैं तो तमाम नेताओं के कपड़े सिलाकर ले भी जा रहे हैं. लखनऊ से भी लोग यहां कपड़े सिलाने आते हैं. मटकू की बड़ी खासियत यह भी है कि एक दिन में भी उन्हें कपड़े सिलकर दे देते हैं.

मटकू की दुकान में इन दिनों बढ़ी है भीड़
बिहार चुनाव को देखते हुए इन दिनों मटकू की दुकान में भीड़ बढ़ी है. दुकान में टंगे मोदी, तेजस्वी और अखिलेश स्टाइल के जैकेट और कुर्ता-पायजामा लोगों को बरबस ही आकर्षित कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि कॉटन से लेकर लिलेन के महंगे कपड़े कुर्ते-सदरी सिलाने के लिए लेते हैं. ऐसे में अगर स्टिच और सिलाई बढ़िया नहीं होगी तो फिर उसका कोई मतलब नहीं रह जाएगा.

मिलती है जबरदस्त फिटिंग.
मिलती है जबरदस्त फिटिंग.

'लोगों के भरोसे का ही है परिणाम'
वहीं इस दुकान के संचालक रशीद अहमद कहते हैं कि यह लोगों के भरोसे का ही परिणाम है कि साल 1944 में स्थापित छोटी सी दुकान आज मटकू टेलर एंड सन्स के नाम से जानी जाती है. इसकी एक-दो नहीं बल्कि तीन-तीन शाखाएं हैं. यह पहचान के साथ तमाम हुनरमंद हाथों को रोजगार भी प्रदान कर रहा है. यही वजह है कि नेता कोई भी हो वह मटकू टेलर के यहां एक बार अपने कपड़े सिलाने जरूर आता है.

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