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जानिए कब है महानवमी: किस लकड़ी से करे मां दुर्गा का हवन, जिससे हो धन की वर्षा

शास्त्रों में नवरात्रि की नवमी तिथि को हवन करने का विधान है. देवी भागवत में मान्यता है कि व्रत और पूजा को संपूर्णता प्रदान करने के लिए हवन किया जाना चाहिए. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने ज्योतिषाचार्य धनेश मणि से जाना कि हवन कैसे किया जाए और हवन करने से किन फलों की प्राप्ति होती है.

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Published : Oct 5, 2019, 5:58 PM IST

Updated : Oct 5, 2019, 9:23 PM IST

ज्योतिषाचार्य डॉ धनेश मणि

गोरखपुर: नवरात्रि के पावन पर्व में देवी दुर्गा की आराधना के साथ-साथ नवमी वाले दिन शास्त्रों में हवन करने का भी विधान है. व्रत और पूजा को संपूर्णता प्रदान करने के लिए हवन किया जाना देवी भागवत में भी अनिवार्य बताया गया है. इस बार नवरात्रि की नवमी तिथि रविवार 6 अक्टूबर को दोपहर के 2 बजकर 15 मिनट से प्रारम्भ हो रही है, जो कि सोमवार 7 अक्टूबर तक 3 बजकर 15 मिनट तक रहेगी. वहीं चंडू पंचाग के अनुसार 6 अक्टूबर दिन में 10 बजकर 58 मिनट से नवमी तिथि प्रारम्भ होगी, जो कि सोमवार को 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगी. विद्वानों का मत है कि नवमी तिथि में ही हवन किया जाना चाहिए, जिसके लिए रविवार दिन के 2 बजकर 15 मिनट से सोमवार के 3 बजकर 15 मिनट तक का समय बेहद उपयुक्त है. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने ज्योतिषाचार्य डॉ. धनेश मणि से खास बातचीत की.

पढ़ें: Navratra 2019: महासप्तमी के दिन ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा, भय और बाधाओं का होता है नाश

ज्योतिषाचार्य धनेश मणि ने दी जानकारी
सुख -समृद्धि के लिए 'आम की लकड़ी' तो लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए 'बेल की लकड़ी' पर हवन करना फलदायी होता है. उन्होंने कहा कि श्रद्धा और समर्पण से मां की आराधना में लीन रहने वाले भक्त संपूर्णता प्रदान करने वाले हवन को पूरी शुद्धता के साथ करें तो निश्चित ही उन्हें विशेष फल की प्राप्ति होती है.

धूप की लकड़ी से नहीं करना चाहिए हवन
ज्योतिषाचार्य डॉ. धनेश मणि ने जानकारी देते हुए बताया कि कभी-कभी लोग हवन सामग्री जिसे 'शाकल्य' कहते हैं, उसे बनाने के लिए तेल, चावल, जौ, घी, गुड़ के साथ ही धूप की लकड़ी का भी प्रयोग हवन करने के लिए करते हैं. जबकि धूप की लकड़ी को स्वाहा के उच्चारण के साथ अग्नि में प्रविष्ट नहीं कराना चाहिए. उन्होंने कहा कि धूप की लकड़ी देवताओं को सुगंध प्राप्त करने वाली लकड़ी मानी गई है. जब अग्नि को प्रज्वलित किया जाए तो उस दौरान ही इस लकड़ी को हवन कुंड में डाल देना चाहिए और हवन सामग्री से आहुति देनी चाहिए.

हवन करने से इच्छित फल की होती है प्राप्ति
ज्योतिषाचार्य धनेश मणि ने बताया कि देवी दुर्गा की आराधना करने के लिए नवरात्रि एक ऐसा काल है, जिसमें हर साधक मां की कृपा प्राप्त करना चाहता है, जिसकी प्राप्ति हवन के साथ ही पूर्ण होती है. उन्होंने कहा कि निश्चित समय, काल और शुद्ध तत्वों के साथ इस कार्य को संपन्न कराया जाए, तो भक्तों को इच्छित फल की प्राप्ति होती है. इससे जहां भक्त मां भगवती को प्रसन्न करता है, तो वहीं सफलतापूर्वक पूर्ण हुई हवन की प्रक्रिया से वह खुद भी आनंदित और प्रसन्न चित्त हो जाता है.

गोरखपुर: नवरात्रि के पावन पर्व में देवी दुर्गा की आराधना के साथ-साथ नवमी वाले दिन शास्त्रों में हवन करने का भी विधान है. व्रत और पूजा को संपूर्णता प्रदान करने के लिए हवन किया जाना देवी भागवत में भी अनिवार्य बताया गया है. इस बार नवरात्रि की नवमी तिथि रविवार 6 अक्टूबर को दोपहर के 2 बजकर 15 मिनट से प्रारम्भ हो रही है, जो कि सोमवार 7 अक्टूबर तक 3 बजकर 15 मिनट तक रहेगी. वहीं चंडू पंचाग के अनुसार 6 अक्टूबर दिन में 10 बजकर 58 मिनट से नवमी तिथि प्रारम्भ होगी, जो कि सोमवार को 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगी. विद्वानों का मत है कि नवमी तिथि में ही हवन किया जाना चाहिए, जिसके लिए रविवार दिन के 2 बजकर 15 मिनट से सोमवार के 3 बजकर 15 मिनट तक का समय बेहद उपयुक्त है. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने ज्योतिषाचार्य डॉ. धनेश मणि से खास बातचीत की.

पढ़ें: Navratra 2019: महासप्तमी के दिन ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा, भय और बाधाओं का होता है नाश

ज्योतिषाचार्य धनेश मणि ने दी जानकारी
सुख -समृद्धि के लिए 'आम की लकड़ी' तो लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए 'बेल की लकड़ी' पर हवन करना फलदायी होता है. उन्होंने कहा कि श्रद्धा और समर्पण से मां की आराधना में लीन रहने वाले भक्त संपूर्णता प्रदान करने वाले हवन को पूरी शुद्धता के साथ करें तो निश्चित ही उन्हें विशेष फल की प्राप्ति होती है.

धूप की लकड़ी से नहीं करना चाहिए हवन
ज्योतिषाचार्य डॉ. धनेश मणि ने जानकारी देते हुए बताया कि कभी-कभी लोग हवन सामग्री जिसे 'शाकल्य' कहते हैं, उसे बनाने के लिए तेल, चावल, जौ, घी, गुड़ के साथ ही धूप की लकड़ी का भी प्रयोग हवन करने के लिए करते हैं. जबकि धूप की लकड़ी को स्वाहा के उच्चारण के साथ अग्नि में प्रविष्ट नहीं कराना चाहिए. उन्होंने कहा कि धूप की लकड़ी देवताओं को सुगंध प्राप्त करने वाली लकड़ी मानी गई है. जब अग्नि को प्रज्वलित किया जाए तो उस दौरान ही इस लकड़ी को हवन कुंड में डाल देना चाहिए और हवन सामग्री से आहुति देनी चाहिए.

हवन करने से इच्छित फल की होती है प्राप्ति
ज्योतिषाचार्य धनेश मणि ने बताया कि देवी दुर्गा की आराधना करने के लिए नवरात्रि एक ऐसा काल है, जिसमें हर साधक मां की कृपा प्राप्त करना चाहता है, जिसकी प्राप्ति हवन के साथ ही पूर्ण होती है. उन्होंने कहा कि निश्चित समय, काल और शुद्ध तत्वों के साथ इस कार्य को संपन्न कराया जाए, तो भक्तों को इच्छित फल की प्राप्ति होती है. इससे जहां भक्त मां भगवती को प्रसन्न करता है, तो वहीं सफलतापूर्वक पूर्ण हुई हवन की प्रक्रिया से वह खुद भी आनंदित और प्रसन्न चित्त हो जाता है.

Intro:गोरखपुर। नवरात्र के पावन पर्व में देवी दुर्गा की आराधना के साथ उसकी पूर्णता के लिए हवन का भी विशेष विधान है। व्रत और पूजा को संपूर्णता प्रदान करने के लिए हवन किया जाना शास्त्रों में अनिवार्य बताया गया है। इस बार नवरात्र की नवमी तिथि रविवार 6 अक्टूबर को दिन के 2:15 से शुरू हो जा रही है जो सोमवार 7 अक्टूबर तक करीब 3:15 बजे तक रहेगी। विद्वानों का मत है कि नवमी तिथि में ही हवन किया जाना चाहिए जिसके लिए रविवार दिन के 2:15 बजे से सोमवार के 3:15 बजे तक का समय बेहद उपयुक्त है।

नोट--कम्प्लीट स्पेशल पैकेज, वॉइस ओवर अटैच है


Body:गोरखपुर के जाने-माने विद्वान ज्योतिषाचार्य डॉक्टर धनेश मणि की माने तो सुख -समृद्धि के लिए 'आम की लकड़ी' तो लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए 'बेल की लकड़ी' पर हवन करना फलदाई होता है। उन्होंने कहा कि श्रद्धा और समर्पण से मां की आराधना में लीन रहने वाले भक्त संपूर्णता प्रदान करने वाले हवन को पूरी शुद्धता के साथ करें तो निश्चित ही उन्हें विशेष फल की प्राप्ति होती है। कभी-कभी लोग हवन सामग्री जिसे 'शाकल्य' कहते हैं उसको बनाने के लिए तेल, चावल, जौ, घी, गुड़ के साथ धूप की लकड़ी का भी प्रयोग हवन करने के लिए कर देते हैं। जबकि धूप की लकड़ी को स्वाहा के उच्चारण के साथ अग्नि में प्रविष्ट नहीं कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि धूप को देवताओं को सुगंध प्राप्त करने वाली लकड़ी मानी गई है। जब अग्नि को प्रज्वलित किया जाए तो उस दौरान ही इस लकड़ी हवन कुंड में डाल देना चाहिए और हवन सामग्री से आहुति देनी चाहिए।

बाइट--डॉ धनेश मणि, ज्योतिषचार्य


Conclusion:उन्होंने कहा कि देवी दुर्गा की आराधना नवरात्र एक ऐसा काल है जिसमें हर साधक मां की श्रद्धा प्राप्त करना चाहता है। जिसकी प्राप्ति हवन के साथ ही पूर्ण होती है। उन्होंने कहा कि निश्चित समय, काल और शुद्ध तत्वों के साथ इस कार्य को संपन्न कराया जाए तो भक्तों को इच्छित फल की प्राप्ति होती है। इससे जहां भक्त मां भगवती को प्रसन्न करता है वही सफलतापूर्वक पूर्व हुई हवन की प्रक्रिया से वह खुद भी आनंदित और प्रसन्न चित्त हो जाता है।

मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
9415875724
Last Updated : Oct 5, 2019, 9:23 PM IST
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