गोरखपुर: पूर्वोत्तर रेलवे के लोको पायलट और गार्ड आजकल धरना और हड़ताल पर चल रहे हैं. हालांकि, इससे ट्रेनों का संचालन प्रभावित नहीं है, लेकिन वह अपनी जिस मांग को लेकर आंदोलनरत हैं, अगर रेलवे प्रबंधन उसकी सुनवाई नहीं करता है तो हो सकता है कि आने वाले समय में ट्रेनों के पहिए रुक भी जाएं. दरअसल, लोको पायलट और गार्ड को रेलवे ने एक ट्राली बैग साथ लेकर ड्यूटी करने का नियम बना दिया है, जिसे लोको पायलट स्वीकार नहीं कर रहे. इस बैग में ट्रेन संचालन से जुड़े हुए टूलकिट्स होते हैं जो पहले लोहे के एक बॉक्स में रखे होते थे. इसको ढोने के लिए एक कर्मचारी होता है जो लोको पायलट और गार्ड के डिब्बे में तक इसे ले जाकर रखता है, लेकिन नई व्यवस्था के तहत करीब 50 किलो के भार से युक्त इस बैग को अब लोको पायलट और गार्ड को खुद साथ लेकर जाना है. जिसे रेलवे के गार्ड और लोको पायलट मानने को तैयार नहीं है. इसीलिए वह धरनारत हैं. वह लगातार अपनी मांग के साथ पूर्व के नियम को बहाल करने की मांग कर रहे हैं. जिससे न तो उनके स्वास्थ्य और प्रतिष्ठा पर कोई असर पड़े और न ही बॉक्स ढोने वाले कर्मचारियों की नौकरी पर कोई खतरा आ सके.
ईटीवी भारत से लोको पायलट और गार्ड ने कहा कि लोको पायलट और गार्ड पर पहले से ही काम का बोझ है. वह अपने निजी बैग को तो संभालता ही है टूल से भरे हुए इस ट्रॉली बैग को संभालना उसके लिए संभव इसलिए नहीं है क्योंकि, ट्रेनों के इंजन अक्सर प्लेटफार्म से बाहर होते हैं. कभी-कभी पटरियों पर भी चलना पड़ता है. इसलिए बैग साथ लेकर नहीं चलना चाहते. रेलवे उन्हें कुली बनाने पर आमादा है. उनके प्रतिष्ठा और स्वास्थ्य के साथ खेलना चाहती है. साथ ही रेलवे बॉक्स ब्यॉय का खर्च बचाना चाहती है. हालांकि, यह परंपरा अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही है, लेकिन लोको पायलट और गार्ड इसे अपने लिए हितकारी नहीं मानते. रेलवे के कई मंडलों में इस व्यवस्था को लागू करने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन इसका विरोध भी उतना ही तेजी से हो रहा है.
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बॉक्स में रखी जाने वाली सामग्री
टेल लैंप, हैंड सिंग्नल, टॉर्च, पटाखा, लास्ट वेहकिल बोर्ड, फर्स्ट एड बॉक्स, नियमावली पुस्तिका और अन्य सामग्री. रेलवे इस व्यवस्था को बेहतर और समसामयिक रूप से प्रभावशाली बनाने के क्रम में लागू करने में लगी है, लेकिन लोको पायलट और गार्ड इसे बेहतर नहीं मान रहे. क्योंकि इस बॉक्स को चढ़ाने-उतारने और सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के लिए पोर्टर तैनात रहते हैं, लेकिन अब रेलवे ने जो ट्राली बैग की व्यवस्था बनाई है उसे खुद गार्ड और लोको पायलट को न सिर्फ ढोना पड़ेगा, बल्कि उसकी पूरी निगरानी और जिम्मेदारी भी उसकी होगी. ट्रेन में चढ़ने से लेकर ट्रेन को समय से गंतव्य तक पहुंचाने तक बॉक्स को सुरक्षित रखना गार्ड और लोको पायलट के लिए चैलेंज होगा. इसीलिए यह हंगामा खड़ा हुआ है.