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लाइब्रेरी के जनक डॉ. एसआर रंगनाथन के सिद्धांतों पर कार्य करती है पूर्वोत्तर रेलवे की लाइब्रेरी

ईटीवी भारत 'गोरखपुर के ग्रंथालय' को लेकर एक खास रिपोर्ट पेश कर रहा है. इसके चौथे भाग में आज हम बात करेंगे पूर्वोत्तर रेलवे की केंद्रीय लाइब्रेरी की... यह लाइब्रेरी आज के इंटरनेट के युग में भी पाठकों को अपनी तरफ आकर्षित करती है. यह लाइब्रेरी साइंस के जनक डॉ. एसआर रंगनाथन के सिद्धांतों पर काम करती है. देखिए हमारी ये स्पेशल रिपोर्ट...

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Published : Dec 26, 2019, 11:31 PM IST

Updated : Dec 26, 2019, 11:55 PM IST

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पूर्वोत्तर रेलवे की लाइब्रेरी.

गोरखपुर: पढ़ने-पढ़ाने और लोगों को शिक्षित बनाने के उद्देश्य से पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर में सन 1960 में केंद्रीय लाइब्रेरी स्थापित की गई. यह लाइब्रेरी साइंस के जनक डॉ. एसआर रंगनाथन के सिद्धांतों और नियमों पर काम करती है.

देखें वीडियो.

अपनी विशेष शैली, सुंदरता, स्वच्छता और शांति के बेहतर माहौल की वजह से यह लाइब्रेरी सिर्फ रेलवे के कर्मचारियों और उनके परिवार के लोगों को ही पढ़ने-लिखने का मौका नहीं देती, बल्कि जो पढ़ने-लिखने के लिए इच्छुक लोग होते हैं, उनके लिए भी यह पब्लिक लाइब्रेरी के रूप में काम करती है. हालांकि इसके लिए कुछ नियम-शर्तें हैं.

एक क्लिक पर मिलती है किताबों की जानकारी
डिजिटल इंडिया की तरफ बढ़ रहे पूर्वोत्तर रेलवे की इस लाइब्रेरी के बारे में रेलवे की वेबसाइट पर जाकर लाइब्रेरी सेक्शन में एक क्लिक करते ही पाठक के सामने यहां मौजूद किताबों का विवरण प्रस्तुत हो जाता है. पहले लाइब्रेरी के सदस्य रेलकर्मी ही होते थे, लेकिन अब किसी भी रेलकर्मी के प्रस्ताव पर कोई भी आम व्यक्ति सदस्य बन सकता है.

लाइब्रेरी एक विशाल क्षेत्रफल में स्थापित है और पूर्व के समय में यह काफी समृद्ध हुआ करती थी. पहले यहां पर कुल 27 लोगों का स्टाफ कार्यरत था, लेकिन मौजूदा समय में इनकी संख्या भी घटकर महज 9 ही रह गई है, जिनमें से 2-3 तो इसी वर्ष रिटायर हो जाएंगे.

अलग-अलग रखी जाती है हिंदी और अंग्रेजी की किताबें
लाइब्रेरी असिस्टेंट नीलम वर्मा यहां की सुविधाओं के बारे में खुलकर जिक्र करते हुए बताती हैं कि जो सुविधा यहां नहीं है, उसे लागू करने का प्रयास किया जा रहा है. बावजूद इसके यह लाइब्रेरी, लाइब्रेरी के जनक के निर्धारित सिद्धांतों के हिसाब से संचालित होती है, जहां अंग्रेजी और हिंदी की किताबें अलग-अलग रखी जाती हैं, जिसके चलते पाठकों को काफी सुविधा रहती है.

ये भी पढ़ें: गोरखपुर विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी की किताबों का पता लगाएगी माइक्रोचिप

कई साहित्यकारों की रचनाएं हैं मौजूद
1960 में स्थापित यह केंद्रीय ग्रंथालय अपने आप में एक धरोहर है, जहां ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी से लेकर विश्वकोश, आजादी के पूर्व की गजेटियर, रेलवे की दुर्लभ पांडुलिपियों और पुस्तकें संरक्षित हैं. ग्रंथालय में महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, भीमराव अंबेडकर,अरविंदो, ओशो, अज्ञेय, प्रेमचंद, भारतेंदु हरिश्चंद्र, रामधारी सिंह दिनकर, हरिवंश राय बच्चन और माखनलाल चतुर्वेदी जैसे साहित्यकारों की रचनाएं मौजूद हैं.

ये भी पढ़ें: गुलाम भारत में बेहतर थी गोरखपुर नगर निगम लाइब्रेरी, अब सत्ता की बेरुखी पड़ रही भारी

घर बैठे किताबों की मिलती है जानकारी
पूर्वोत्तर रेलवे की वेबसाइट पर इस लाइब्रेरी की पूरी किताबों का कैटलॉग उपलब्ध है, जिसमें करीब 35 हजार किताबें हैं. पुस्तकालय में कौन सी पुस्तक मौजूद है, इसकी भी जानकारी पाठक को एक क्लिक पर मिल जाएगी. बावजूद इसके यहां की शांति पाठक को अपनी ओर खींच ही लाता है. चाहे वह बुजुर्ग हों, हाई स्कूल-इंटरमीडिएट के छात्र हों या फिर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले युवा. सबके लिए यह लाइब्रेरी उपयोगी साबित होती है.

ये भी पढ़ें: MMMTU है प्रदेश की पहली ई-लाइब्रेरी, जल्द RFID सुविधा से होगी लैस

इस वजह से पाठकों को मिलती है निराशा
ऐसे लोगों को सिर्फ निराशा हाथ लगती है तो यह कि लाइब्रेरी अभी तक खुद में इंटरनेट और वाई-फाई की सुविधा से युक्त नहीं है. यहां पर कंप्यूटर लैब नहीं है, जिसमें पाठक बैठकर ऑनलाइन अपनी पढ़ाई कर सके. इसी की कमी पाठकों को रहती है, लेकिन यहां की शांति उन्हें पढ़ने के लिए अपने पास बुला ही लेती है.

गोरखपुर: पढ़ने-पढ़ाने और लोगों को शिक्षित बनाने के उद्देश्य से पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर में सन 1960 में केंद्रीय लाइब्रेरी स्थापित की गई. यह लाइब्रेरी साइंस के जनक डॉ. एसआर रंगनाथन के सिद्धांतों और नियमों पर काम करती है.

देखें वीडियो.

अपनी विशेष शैली, सुंदरता, स्वच्छता और शांति के बेहतर माहौल की वजह से यह लाइब्रेरी सिर्फ रेलवे के कर्मचारियों और उनके परिवार के लोगों को ही पढ़ने-लिखने का मौका नहीं देती, बल्कि जो पढ़ने-लिखने के लिए इच्छुक लोग होते हैं, उनके लिए भी यह पब्लिक लाइब्रेरी के रूप में काम करती है. हालांकि इसके लिए कुछ नियम-शर्तें हैं.

एक क्लिक पर मिलती है किताबों की जानकारी
डिजिटल इंडिया की तरफ बढ़ रहे पूर्वोत्तर रेलवे की इस लाइब्रेरी के बारे में रेलवे की वेबसाइट पर जाकर लाइब्रेरी सेक्शन में एक क्लिक करते ही पाठक के सामने यहां मौजूद किताबों का विवरण प्रस्तुत हो जाता है. पहले लाइब्रेरी के सदस्य रेलकर्मी ही होते थे, लेकिन अब किसी भी रेलकर्मी के प्रस्ताव पर कोई भी आम व्यक्ति सदस्य बन सकता है.

लाइब्रेरी एक विशाल क्षेत्रफल में स्थापित है और पूर्व के समय में यह काफी समृद्ध हुआ करती थी. पहले यहां पर कुल 27 लोगों का स्टाफ कार्यरत था, लेकिन मौजूदा समय में इनकी संख्या भी घटकर महज 9 ही रह गई है, जिनमें से 2-3 तो इसी वर्ष रिटायर हो जाएंगे.

अलग-अलग रखी जाती है हिंदी और अंग्रेजी की किताबें
लाइब्रेरी असिस्टेंट नीलम वर्मा यहां की सुविधाओं के बारे में खुलकर जिक्र करते हुए बताती हैं कि जो सुविधा यहां नहीं है, उसे लागू करने का प्रयास किया जा रहा है. बावजूद इसके यह लाइब्रेरी, लाइब्रेरी के जनक के निर्धारित सिद्धांतों के हिसाब से संचालित होती है, जहां अंग्रेजी और हिंदी की किताबें अलग-अलग रखी जाती हैं, जिसके चलते पाठकों को काफी सुविधा रहती है.

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कई साहित्यकारों की रचनाएं हैं मौजूद
1960 में स्थापित यह केंद्रीय ग्रंथालय अपने आप में एक धरोहर है, जहां ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी से लेकर विश्वकोश, आजादी के पूर्व की गजेटियर, रेलवे की दुर्लभ पांडुलिपियों और पुस्तकें संरक्षित हैं. ग्रंथालय में महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, भीमराव अंबेडकर,अरविंदो, ओशो, अज्ञेय, प्रेमचंद, भारतेंदु हरिश्चंद्र, रामधारी सिंह दिनकर, हरिवंश राय बच्चन और माखनलाल चतुर्वेदी जैसे साहित्यकारों की रचनाएं मौजूद हैं.

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घर बैठे किताबों की मिलती है जानकारी
पूर्वोत्तर रेलवे की वेबसाइट पर इस लाइब्रेरी की पूरी किताबों का कैटलॉग उपलब्ध है, जिसमें करीब 35 हजार किताबें हैं. पुस्तकालय में कौन सी पुस्तक मौजूद है, इसकी भी जानकारी पाठक को एक क्लिक पर मिल जाएगी. बावजूद इसके यहां की शांति पाठक को अपनी ओर खींच ही लाता है. चाहे वह बुजुर्ग हों, हाई स्कूल-इंटरमीडिएट के छात्र हों या फिर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले युवा. सबके लिए यह लाइब्रेरी उपयोगी साबित होती है.

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इस वजह से पाठकों को मिलती है निराशा
ऐसे लोगों को सिर्फ निराशा हाथ लगती है तो यह कि लाइब्रेरी अभी तक खुद में इंटरनेट और वाई-फाई की सुविधा से युक्त नहीं है. यहां पर कंप्यूटर लैब नहीं है, जिसमें पाठक बैठकर ऑनलाइन अपनी पढ़ाई कर सके. इसी की कमी पाठकों को रहती है, लेकिन यहां की शांति उन्हें पढ़ने के लिए अपने पास बुला ही लेती है.

Intro:नोट- यह खबर डेक्स के सहयोगी अच्युत द्विवेदी के निर्देश पर भेजी जा रही है जो लाइब्रेरी पर आधारित खबरों की सीरीज का हिस्सा है। इस खबर से अच्युत द्विवेदी को अवगत कराने का कष्ट करें। वीडियो -बाइट कम्प्लीट एडिटेड। पीटीसी का प्रयोग ओपनिंग-क्लोजिंग हर स्तर पर किया जा सकता है....

गोरखपुर। पढ़ने-पढ़ाने और लोगों को शिक्षित बनाने के उद्देश्य से पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर में सन 1960 में स्थापित की गई केंद्रीय लाइब्रेरी, लाइब्रेरी साइंस के जनक डॉ एस आर रंगनाथन के सिद्धांतों, नियमों पर काम करती है। अपनी विशेष शैली, सुंदरता, स्वच्छता और शांति के बेहतर माहौल की वजह से यह लाइब्रेरी सिर्फ रेलवे के कर्मचारियों और उनके परिवार के लोगों को ही पढ़ने लिखने का मौका नहीं देती बल्कि जो पढ़ने- लिखने के लिए इच्छुक होते हैं उनके लिए यह पब्लिक लाइब्रेरी के रूप में भी काम करती है। हालांकि उसके लिए कुछ नियम- शर्ते हैं फिर भी यह अपने वजूद और किताबों के विशाल संग्रह की वजह से ऑनलाइन के इस दौर में भी लोगों को अपनी ओर खींच लाती है।


Body:डिजिटल इंडिया की तरफ बढ़ रहे पूर्वोत्तर रेलवे की इस लाइब्रेरी के बारे में रेलवे की वेबसाइट पर जाकर लाइब्रेरी सेक्शन में एक क्लिक करते ही पाठक के सामने यहां मौजूद किताबों का विवरण प्रस्तुत हो जाता है। पहले लाइब्रेरी के सदस्य रेलकर्मी ही होते थे। लेकिन अब किसी भी रेलकर्मी के प्रस्ताव पर कोई भी आम व्यक्ति सदस्य बन सकता है। लाइब्रेरी एक विशाल क्षेत्रफल में स्थापित है और पूर्व के समय में यह काफी समृद्ध हुआ करती थी। यहां पर कुल 27 लोगों का स्टाफ कार्य करता था लेकिन मौजूदा समय में इनकी संख्या भी घटकर मात्र 9 रह गई है। जिनमें से 2-3 तो इसी वर्ष रिटायर हो जाएंगे। यहां की लाइब्रेरी असिस्टेंट यहां की सुविधाओं के बारे में खुलकर जिक्र करती हैं। वह कहती हैं जो सुविधा नहीं है उसे लागू करने का प्रयास चल रहा है। बावजूद इसके यह लाइब्रेरी, लाइब्रेरी के जनक के निर्धारित सिद्धांतों के हिसाब से संचालित होती है जहां अंग्रेजी और हिंदी की किताबें अलग अलग रखी होती है। यह पाठक को काफी सुविधा प्रदान करती है। 1960 में स्थापित यह केंद्रीय ग्रंथालय अपने आप में एक धरोहर है। जहां ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी से लेकर विश्वकोश, आजादी के पूर्व की गजेटियर, रेलवे की दुर्लभ पांडुलिपियों और पुस्तके संरक्षित हैं। ग्रंथालय में महात्मा गांधी, नेहरू, अंबेडकर,अरविंदो, ओशो, अज्ञेय, प्रेमचंद, भारतेंदु हरिश्चंद्र, रामधारी सिंह दिनकर, हरिवंश राय बच्चन और माखनलाल चतुर्वेदी जैसे लोगों की रचनाएं मौजूद हैं।

बाइट--नीलम वर्मा, लाइब्रेरी असिस्टेंट, केन्द्रीय ग्रंथालय NER


Conclusion:एनई रेलवे की वेबसाइट पर इस लाइब्रेरी की पूरी किताबों का कैटलॉग उपलब्ध है। जिसमें करीब 35 हजार किताबें हैं। घर बैठे ऐसी पुस्तकों की लोकेशन पाठक को मिल भी जाएगी। पुस्तकालय में कौन सी पुस्तक मौजूद है इसकी भी जानकारी पाठक को एक क्लिक पर मिल जाएगी। बावजूद इसके यहाँ की शांति और विशालता पाठक को अपनी ओर खींच ही लाता है।चाहे वह बुजुर्ग हों, हाई स्कूल-इंटरमीडिएट के छात्र हों या फिर आईएएस -पीसीएस की तैयारी करने वाले युवा। सबके लिए यह लाइब्रेरी उपयोगी साबित होती है। ऐसे लोगों को सिर्फ निराशा हाथ लगती है तो यह कि लाइब्रेरी अभी तक खुद में इंटरनेट और वाई-फाई की सुविधा से युक्त नहीं है। यहां पर कंप्यूटर लैब नहीं है। जिसमें पाठक बैठकर ऑनलाइन अपनी पढ़ाई को अंजाम दे सके। इसी की कमी पाठकों को सालती है, लेकिन यहां की शांति उन्हें पढ़ने के लिए अपने पास बुला ही लेती है।

बाइट--विद्या पाठक, पाठक(बुजुर्ग दाढ़ी में)
बाइट- कृष्ण कुमार, युवा विद्यार्थी
बाइट--अजय पाण्डेय, प्रतियोगी छात्र

पीटीसी... मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
9415875724
Last Updated : Dec 26, 2019, 11:55 PM IST
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