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गोरखपुर: लर्निंग आउटकम परीक्षा से सुधरेगी प्राथमिक स्कूलों की दशा - लर्निंग आउटकम परीक्षा

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में प्राथमिक स्कूलों की दशा सुधारने के लिए 'लर्निंग आउटकम' की परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है. पठन-पाठन के माहौल को परखने के लिए इस परीक्षा का आयोजन होगा.

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अब सुधरेगी प्राथमिक स्कूलों की दशा.
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Published : Feb 20, 2020, 5:41 AM IST

गोरखपुर: जिले में प्राथमिक स्कूलों की दशा सुधारने और पठन-पाठन के माहौल को परखने के लिए 'लर्निंग आउटकम' की परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है. करीब एक लाख 93 हजार छात्र-छात्राओं ने बुधवार को इसकी परीक्षा दी. परीक्षा में कक्षा तीन से आठवीं तक के विद्यार्थी शामिल हुए. यह परीक्षा जिले के 3006 स्कूलों पर आयोजित की गई. इसमें भी शुचिता का ध्यान रखते हुए कक्ष निरीक्षक के तौर पर बीएड और बीटीसी के ट्रेनिंग छात्रों को कक्ष निरीक्षक बनाया गया था. स्कूलों के प्रधानाचार्य केंद्र व्यवस्थापक की भूमिका में रहे. इस परीक्षा का समय कुल दो घंटे था, जिसमें कुल 50 प्रश्न हल करने थे.

अब सुधरेगी प्राथमिक स्कूलों की दशा.

कई स्कूलों के बच्चों ने लिया भाग

समग्र शिक्षा अभियान के तहत परिषदीय, प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कस्तूरबा गांधी विद्यालय में कक्षा आठवीं तक अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को इस परीक्षा में शामिल होना था. विद्यालयवार आयोजित यह परीक्षा सुबह 10:30 से 12:30 बजे तक संचालित हुई. शुचिता पूर्ण परीक्षा संपन्न कराने के लिए प्रत्येक विद्यालय में एक-एक पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए थे.

छात्रों के शैक्षिक कौशल को पहचानने के लिए है यह परीक्षा

लर्निंग आउटकम की परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए प्रश्नों का स्वरूप लघु उत्तरी और बहुविकल्पी दोनों था. कक्षा तीन से पांच तक के छात्रों के लिए 40 और कक्षा छह से आठ तक के परीक्षार्थियों के लिए 50 प्रश्न करने अनिवार्य थे. इस परीक्षा के आयोजन को लेकर स्कूलों के प्रधानाचार्यों ने कहा कि यह छात्रों के शैक्षिक कौशल को पहचानने और स्कूलों में चल रही पढ़ाई के स्तर को परखने के लिए है.

बेसिक शिक्षा विभाग ने की पहल

बेसिक शिक्षा विभाग की इस विशेष पहल को पूर्ण कराने के लिए इसकी गंभीरता इसी बात से समझी जा सकती है कि जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई. मुख्य विकास अधिकारी, डायट के प्राचार्य, जिला विद्यालय निरीक्षक सदस्य के रूप में शामिल हुए. बीएसए को सचिव की जिम्मेदारी दी गई. तहसील स्तर पर उप जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित की गई, जो इस परीक्षा के संचालन से लेकर गुणवत्ता पर पूरी नजर बनाये हुए थे.

'लर्निंग आउटकम' की परीक्षा से बच्चों के सीखने की क्षमता को पता करना है. इस तरह की परीक्षा से बच्चों में एक नई तरह की जागरूकता आ रही है. बच्चे बहुत उत्साहित हो रहे हैं.

शफीउद्दीन खान, प्रधानाचार्य

गोरखपुर: जिले में प्राथमिक स्कूलों की दशा सुधारने और पठन-पाठन के माहौल को परखने के लिए 'लर्निंग आउटकम' की परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है. करीब एक लाख 93 हजार छात्र-छात्राओं ने बुधवार को इसकी परीक्षा दी. परीक्षा में कक्षा तीन से आठवीं तक के विद्यार्थी शामिल हुए. यह परीक्षा जिले के 3006 स्कूलों पर आयोजित की गई. इसमें भी शुचिता का ध्यान रखते हुए कक्ष निरीक्षक के तौर पर बीएड और बीटीसी के ट्रेनिंग छात्रों को कक्ष निरीक्षक बनाया गया था. स्कूलों के प्रधानाचार्य केंद्र व्यवस्थापक की भूमिका में रहे. इस परीक्षा का समय कुल दो घंटे था, जिसमें कुल 50 प्रश्न हल करने थे.

अब सुधरेगी प्राथमिक स्कूलों की दशा.

कई स्कूलों के बच्चों ने लिया भाग

समग्र शिक्षा अभियान के तहत परिषदीय, प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कस्तूरबा गांधी विद्यालय में कक्षा आठवीं तक अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को इस परीक्षा में शामिल होना था. विद्यालयवार आयोजित यह परीक्षा सुबह 10:30 से 12:30 बजे तक संचालित हुई. शुचिता पूर्ण परीक्षा संपन्न कराने के लिए प्रत्येक विद्यालय में एक-एक पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए थे.

छात्रों के शैक्षिक कौशल को पहचानने के लिए है यह परीक्षा

लर्निंग आउटकम की परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए प्रश्नों का स्वरूप लघु उत्तरी और बहुविकल्पी दोनों था. कक्षा तीन से पांच तक के छात्रों के लिए 40 और कक्षा छह से आठ तक के परीक्षार्थियों के लिए 50 प्रश्न करने अनिवार्य थे. इस परीक्षा के आयोजन को लेकर स्कूलों के प्रधानाचार्यों ने कहा कि यह छात्रों के शैक्षिक कौशल को पहचानने और स्कूलों में चल रही पढ़ाई के स्तर को परखने के लिए है.

बेसिक शिक्षा विभाग ने की पहल

बेसिक शिक्षा विभाग की इस विशेष पहल को पूर्ण कराने के लिए इसकी गंभीरता इसी बात से समझी जा सकती है कि जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई. मुख्य विकास अधिकारी, डायट के प्राचार्य, जिला विद्यालय निरीक्षक सदस्य के रूप में शामिल हुए. बीएसए को सचिव की जिम्मेदारी दी गई. तहसील स्तर पर उप जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित की गई, जो इस परीक्षा के संचालन से लेकर गुणवत्ता पर पूरी नजर बनाये हुए थे.

'लर्निंग आउटकम' की परीक्षा से बच्चों के सीखने की क्षमता को पता करना है. इस तरह की परीक्षा से बच्चों में एक नई तरह की जागरूकता आ रही है. बच्चे बहुत उत्साहित हो रहे हैं.

शफीउद्दीन खान, प्रधानाचार्य

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