गोरखपुर: दुनिया को टॉप इंजीनियर देने वाला मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय 'एमएमएमटीयू' मौजूदा समय में बेहतर फैकल्टी के भारी संकट से जूझ रहा है. रिजर्वेशन नियमावली ने ऐसा पेंच फंसाया है कि इस विश्वविद्यालय में पिछले डेढ़ से दो वर्षों में प्रोफेसर की नियुक्ति नहीं हो पाई है, जबकि इस बीच में विश्वविद्यालय ने दुनिया के कई विश्वविद्यालय से फैकल्टी ट्रांसफर और शोध के क्षेत्र में नए-नए समझौते भी किए हैं.
रिजर्वेशन नियमावली ने बढ़ाया संकट
- इस तकनीकी विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग का कोई ऐसा विभाग नहीं है, जो प्रोफेसर की कमी न झेल रहा हो.
- यही नहीं शोध को बढ़ावा देने के लिए बेहतर लैब की जरूरत होती है और लैब के संचालन के लिए योग्य लैब सहायकों की भी आवश्यकता होती है, विश्वविद्यालय इस दिशा में भी काफी कमजोर स्थिति में आकर खड़ा है.
- मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय अब से करीब 5 साल पहले एक इंजीनियरिंग कॉलेज हुआ करता था.
- जिसे प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार ने तकनीकी विश्वविद्यालय का दर्जा देते हुए पूर्वांचल को एक बड़ा तोहफा दिया था.
- यहां के इंजीनियरों ने भी इस कॉलेज का मान दुनिया में स्थापित किया है, पर मौजूदा दौर में यहां समस्याएं कुछ ज्यादा ही उठ खड़ी हुई हैं.
- मदन मोहन मालवीय यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी को विश्वविद्यालय स्तर के जो जरूरी मानक होते हैं, उसे पूरा करना चाहिए, लेकिन यह विश्वविद्यालय अपने अभी कॉलेज स्वरूप में ही संचालित हो रहा है.
नियुक्ति और समस्याओं को लेकर शासन स्तर पर कई बार प्रयास किया. राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री तक को इस समस्या को दूर करने, नियुक्तियां शीघ्र करने की मांग की, लेकिन रिजर्वेशन नियमावली के पेंच से यह समस्या अभी बरकरार है. इसका दूर होना विश्वविद्यालय के बेहतर भविष्य के लिए बेहद जरूरी है.
-प्रो. एसएन सिंह, कुलपति, एमएमएमयूटी, गोरखपुर