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MMMTU: आरक्षण के पेंच में फंस गई प्रोफेसरों की नियुक्ति - 'एमएमएमटीयू में शिक्षकों का अभाव

मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय में शिक्षकों का अभाव है. 5 साल पहले इसे इंजीनियरिंग कॉलेज से विश्वविद्यालय में तब्दील तो कर दिया गया, लेकिन मौजूदा दौर में यहां समस्याएं कुछ ज्यादा ही हैं.

एमएमएमटीयू में शिक्षकों का अभाव.
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Published : Jun 15, 2019, 7:14 PM IST

Updated : Jun 15, 2019, 7:35 PM IST

गोरखपुर: दुनिया को टॉप इंजीनियर देने वाला मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय 'एमएमएमटीयू' मौजूदा समय में बेहतर फैकल्टी के भारी संकट से जूझ रहा है. रिजर्वेशन नियमावली ने ऐसा पेंच फंसाया है कि इस विश्वविद्यालय में पिछले डेढ़ से दो वर्षों में प्रोफेसर की नियुक्ति नहीं हो पाई है, जबकि इस बीच में विश्वविद्यालय ने दुनिया के कई विश्वविद्यालय से फैकल्टी ट्रांसफर और शोध के क्षेत्र में नए-नए समझौते भी किए हैं.

एमएमएमटीयू में शिक्षकों का अभाव.

रिजर्वेशन नियमावली ने बढ़ाया संकट

  • इस तकनीकी विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग का कोई ऐसा विभाग नहीं है, जो प्रोफेसर की कमी न झेल रहा हो.
  • यही नहीं शोध को बढ़ावा देने के लिए बेहतर लैब की जरूरत होती है और लैब के संचालन के लिए योग्य लैब सहायकों की भी आवश्यकता होती है, विश्वविद्यालय इस दिशा में भी काफी कमजोर स्थिति में आकर खड़ा है.
  • मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय अब से करीब 5 साल पहले एक इंजीनियरिंग कॉलेज हुआ करता था.
  • जिसे प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार ने तकनीकी विश्वविद्यालय का दर्जा देते हुए पूर्वांचल को एक बड़ा तोहफा दिया था.
  • यहां के इंजीनियरों ने भी इस कॉलेज का मान दुनिया में स्थापित किया है, पर मौजूदा दौर में यहां समस्याएं कुछ ज्यादा ही उठ खड़ी हुई हैं.
  • मदन मोहन मालवीय यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी को विश्वविद्यालय स्तर के जो जरूरी मानक होते हैं, उसे पूरा करना चाहिए, लेकिन यह विश्वविद्यालय अपने अभी कॉलेज स्वरूप में ही संचालित हो रहा है.

नियुक्ति और समस्याओं को लेकर शासन स्तर पर कई बार प्रयास किया. राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री तक को इस समस्या को दूर करने, नियुक्तियां शीघ्र करने की मांग की, लेकिन रिजर्वेशन नियमावली के पेंच से यह समस्या अभी बरकरार है. इसका दूर होना विश्वविद्यालय के बेहतर भविष्य के लिए बेहद जरूरी है.

-प्रो. एसएन सिंह, कुलपति, एमएमएमयूटी, गोरखपुर

गोरखपुर: दुनिया को टॉप इंजीनियर देने वाला मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय 'एमएमएमटीयू' मौजूदा समय में बेहतर फैकल्टी के भारी संकट से जूझ रहा है. रिजर्वेशन नियमावली ने ऐसा पेंच फंसाया है कि इस विश्वविद्यालय में पिछले डेढ़ से दो वर्षों में प्रोफेसर की नियुक्ति नहीं हो पाई है, जबकि इस बीच में विश्वविद्यालय ने दुनिया के कई विश्वविद्यालय से फैकल्टी ट्रांसफर और शोध के क्षेत्र में नए-नए समझौते भी किए हैं.

एमएमएमटीयू में शिक्षकों का अभाव.

रिजर्वेशन नियमावली ने बढ़ाया संकट

  • इस तकनीकी विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग का कोई ऐसा विभाग नहीं है, जो प्रोफेसर की कमी न झेल रहा हो.
  • यही नहीं शोध को बढ़ावा देने के लिए बेहतर लैब की जरूरत होती है और लैब के संचालन के लिए योग्य लैब सहायकों की भी आवश्यकता होती है, विश्वविद्यालय इस दिशा में भी काफी कमजोर स्थिति में आकर खड़ा है.
  • मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय अब से करीब 5 साल पहले एक इंजीनियरिंग कॉलेज हुआ करता था.
  • जिसे प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार ने तकनीकी विश्वविद्यालय का दर्जा देते हुए पूर्वांचल को एक बड़ा तोहफा दिया था.
  • यहां के इंजीनियरों ने भी इस कॉलेज का मान दुनिया में स्थापित किया है, पर मौजूदा दौर में यहां समस्याएं कुछ ज्यादा ही उठ खड़ी हुई हैं.
  • मदन मोहन मालवीय यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी को विश्वविद्यालय स्तर के जो जरूरी मानक होते हैं, उसे पूरा करना चाहिए, लेकिन यह विश्वविद्यालय अपने अभी कॉलेज स्वरूप में ही संचालित हो रहा है.

नियुक्ति और समस्याओं को लेकर शासन स्तर पर कई बार प्रयास किया. राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री तक को इस समस्या को दूर करने, नियुक्तियां शीघ्र करने की मांग की, लेकिन रिजर्वेशन नियमावली के पेंच से यह समस्या अभी बरकरार है. इसका दूर होना विश्वविद्यालय के बेहतर भविष्य के लिए बेहद जरूरी है.

-प्रो. एसएन सिंह, कुलपति, एमएमएमयूटी, गोरखपुर

Intro:गोरखपुर। दुनिया को टॉप इंजीनियर से देने वाला मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय 'एमएमएमटीयू' मौजूदा समय में बेहतर फैकल्टी के भारी संकट से जूझ रहा है। रिजर्वेशन नियमावली ने ऐसा पेंच फसाया है कि इस विश्वविद्यालय में पिछले डेढ़ से दो वर्षों में प्रोफेसर की नियुक्ति नहीं हो पाई है। जबकि इस बीच में विश्वविद्यालय ने दुनिया के कई विश्वविद्यालय से फैकल्टी ट्रांसफर और शोध के क्षेत्र में नए-नए समझौते भी किए हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसएन सिंह की माने तो किसी भी संस्था के लिए बेहतर ह्यूमन रिसोर्स का होना काफी महत्व रखता है। लेकिन उनका विश्वविद्यालय फिलहाल इस संकट से जूझ रहा है।

नोट-कम्पलीट पैकेज,,, वॉइस ओवर अटैच है।


Body:सूत्रों की मानें तो इस तकनीकी विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग का कोई ऐसा विभाग नहीं है जो प्रोफेसर की कमी न झेल रहा हो। यही नहीं शोध को बढ़ावा देने के लिए बेहतर लैब की जरूरत होती है और लैब के संचालन के लिए योग्य लैब सहायकों की भी आवश्यकता होती है, विश्वविद्यालय इस दिशा में भी काफी कमजोर स्थिति में आकर खड़ा है। कुलपति एसएन सिंह ने कहा कि नियुक्ति और समस्याओं को लेकर शासन स्तर पर कई बार प्रयास किया। राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री तक को इस समस्या को दूर करने, नियुक्तियों को शीघ्र करने की मांग किया लेकिन, रिजर्वेशन नियमावली के पेंच से यह समस्या अभी बरकरार है जिसका दूर होना विश्वविद्यालय के बेहतर भविष्य के लिए बेहद जरूरी है।

बाइट--प्रो0 एसएन सिंह, कुलपति, एमएमएमयूटी, गोरखपुर


Conclusion:उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय बनने के बाद मदन मोहन मालवीय यूनिवर्सिटी आफ टेक्नोलॉजी को विश्वविद्यालय स्तर के जो जरूरी मानक होते हैं उसे पूरा करना चाहिए। लेकिन यह विश्वविद्यालय अपने अभी कॉलेज स्वरूप में ही संचालित हो रहा है। आपको बता दें कि मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय अब से करीब 5 साल पहले एक इंजीनियर कॉलेज हुआ करता था। जिसे प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार ने तकनीकी विश्वविद्यालय का दर्जा देते हुए पूर्वांचल को एक बड़ा तोहफा दिया था। यहां के इंजीनियरों ने भी इस कॉलेज का मान दुनिया में स्थापित किया था लिहाजा इसे विश्वविद्यालय बनाया जाना एक गौरव का विषय था, पर मौजूदा दौर में यहां समस्याएं कुछ ज्यादा ही उठ खड़ी हुई हैं।

मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
94158775724
Last Updated : Jun 15, 2019, 7:35 PM IST
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