गोरखपुर: यूपी में लगातार बारिश के चलते नदियां उफान पर हैं. जिसके कारण यूपी के 7 जिले बाढ़ प्रभावित हैं. सीएम योगी के निर्देश पर बाढ़ प्रभावित जिलों का निरीक्षण करने जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह गोरखपुर पहुंचे. जहां जिले की भयावह स्थिति को देखते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह से राप्ती, सरयू, घाघरा, रोहिन खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. ऐसे में तट बंध और लोगों को भगवान ही बचा रहे हैं.
मीडिया से बातचीत करते हुए मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने बताया कि गोरखपुर के करीब 181 गांव बाढ़ से घिरे हुए हैं. लगभग 2 लाख की आबादी यहां प्रभावित है, लेकिन किसी भी गांव को भी विस्थापित करने की जरूरत नहीं पड़ी है. शहरी क्षेत्र के करीब डेढ़ सौ लोगों को बाढ़ के पानी से निकालकर सुरक्षित कैंप में पहुंचा दिया गया है. जहां लोगों को जरूरत के सभी सामान मुहैया कराए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि नेपाल और उत्तराखंड की पहाड़ी बारिश से नदियों का जलस्तर बढ़ा है. यही वजह है कि जिले में बाढ़ की हालत बन आई है, लेकिन सरकार इसे लेकर पूरी तरह सजग है और सभी जरूरी उपाय किए जा रहे हैं.
गोरखपुर में बाढ़ बचाव के लिए 333 नाव लगाई गई हैं. बाढ़ से घिरे हुए लोगों तक राहत और खाद्य सामग्री पहुंचाई जा रही है. जरूरी दवाएं और मोमबत्ती, पेट्रोमेक्स भी लोगों को दिया जा रहा है. राप्ती नदी का जलस्तर बुधवार की रात 10:00 बजे 77.25 मीटर से ऊपर हो गया था जो 1998 में आई भयंकर बाढ़ से मात्र अब 29 सेंटीमीटर नीचे है, लेकिन नदी लगातार बढ़ रही है. बढ़त का स्तर 24 घंटे में 27 सेंटीमीटर है. यही वजह है कि अधिकारी और मंत्री खतरे को देखते हुए लगातार निगरानी बरत रहे हैं.
डॉ. महेंद्र सिंह ने बताया कि सरयू पिछले 39 दिनों से, राप्ती और रोहिन 25 दिनों से खतरे के निशान से ऊपर बह रहीं है. जिसके कारण जिले में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई है, लेकिन खतरा अभी टला हुआ है. यह सब भगवान की कृपा है.
सिंचाई मंत्री से जब यह सवाल हुआ कि क्या नदियों के बढ़ते जलस्तर से लोगों को सिर्फ भगवान ही बचाएंगे या योगी सरकार ने भी पिछले साढे 4 सालों में कुछ कार्य किया है तो उन्होंने कहा कि 24 जनवरी 1950 को उत्तर प्रदेश का गठन हुआ था, लेकिन प्रदेश की योगी सरकार ही ऐसी पहली सरकार है जिसने मानसून सत्र से पहले बाढ़ बचाव का पैसा जनवरी माह में ही जारी कर दिया. जिससे बंधों का अनुरक्षण करके उसे सुदृढ़ और मजबूत बनाने का कार्य किया गया. यही वजह है कि खतरे के निशान से दो से ढाई मीटर नदियों के ऊपर रहने के बाद भी बंधे नदी का वेग झेल रहे हैं. हालांकि 50 साल पुराने बंधे कमजोर हो चुके हैं. गोरखपुर की 27 बाढ़ बचाव परियोजनाओं पर 215 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. 22 लाख क्यूसेक पानी राजस्थान और 5 लाख क्यूसेक पानी मध्यप्रदेश से छूटने के बाद भी आज उत्तरप्रदेश सुरक्षित है, जबकि देश के कई प्रदेश बाढ़ से तबाह हुए हैं.
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