ETV Bharat / state

गोरखपुर में कोरोना से इस अनोखे तरीके से बचाया जा रहा फलों के राजा आम को.... - gorakhpur mango

यूपी के गोरखपुर में एक महिला और उसके पुत्र ने अनोखी पहल की है. बागबानी करने वाली अनीता मर्तिया ने आम के पेड़ों में लगे आमों को कोरोना से बचाने के लिए मास्क पहना दिया है. उनके पुत्र उत्सव ने बताया कि इस तरह से आम को कोरोना के साथ-साथ बंदर, गिलहरी, चिड़ियों और कीड़ों से भी बचाया जा सकता है.

आम को कोरोना से बचाने के लिए अनोखी पहल.
आम को कोरोना से बचाने के लिए अनोखी पहल.
author img

By

Published : Jun 14, 2020, 8:09 PM IST

गोरखपुर: पूरा देश इन दिनों कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रहा है. लोग कोरोना से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और सैनेटाइजर के प्रयोग के साथ ही मास्क भी लगा रहे हैं. इतना ही नहीं कुछ समय पहले जानवरों को भी मास्क पहनाए जाने की खबरें सामने आईं थीं. अब जिले में आमों को भी कोरोना से बचाने के लिए मास्क पहनाए जा रहे हैं. जिले के बेतियाहाता इलाके के न्‍यू चन्‍द्रगुप्‍त नगर कॉलोनी की रहने वाली उद्यमी अनीता मर्तिया ने ये पहल की है.

प्रकृति, पर्यावरण और पेड़-पौधों से प्‍यार करने वाली इस उद्यमी महिला ने अपनी पूरी कॉलोनी को वृक्षों से हरा-भरा कर दिया है. अब इन पेड़ों पर फल भी लगने लगे हैं. उन्‍होंने बेटे के साथ मिलकर आम को कोरोना के खतरे से बचाने के लिए फ्रूट मास्‍क तक पहना दिया है. इससे कोरोना के साथ-साथ फलों को बंदर, गिलहरी, चिड़ियों और कीड़ों से भी बचाया जा सकता है.

आम को कोरोना से बचाने के लिए अनोखी पहल.

आमों को पहनाया मास्क
जिले के बेतियाहाता इलाके के न्‍यू चन्‍द्रगुप्‍त नगर कॉलोनी की रहने वाली उद्यमी अनीता मर्तिया अपने बेटे उत्सव के साथ मिलकर बागबानी करती हैं. मर्तिया ग्रुप के नाम से ही आर्गेनिक खेती कर वह फल और सब्जियों से भी अच्‍छे रुपए कमा लेती हैं. लॉकडाउन के बाद से ही घर में लगे आम के पेड़ों पर बौर आने लगा था. बौर को बचाने के लिए उन्होंने बौर को हल्‍के कपड़े के बने बैग यानी फ्रूट मास्‍क से कवर कर टेप लगा दिया. अब इन पेड़ों में लगी झोलियों में फल भी बड़े हो गए हैं. वह बताती हैं कि इससे जहां फलों की शुद्धता पर खरीदने वालों का विश्‍वास बना रहेगा. साथ ही बाहर से आम तोड़ने आने वाले कोरोना संक्रमित या संदिग्‍ध के छूने से भी फल सुरक्षित रहेगा.

आम को मास्क पहनाते उत्सव.
आम को मास्क पहनाते उत्सव.

करती हैं आर्गेनिक तरीके से बागबानी
लॉकडाउन लागू होने के बाद से न तो वे घर से बाहर निकली हैं और न ही उनके घर के कामगार. अनीता बताती हैं कि लॉकडाउन के बाद से कोरोना के खतरे को देखते हुए उनके परिवार में कोई भी बाहर नहीं निकला है. वे घर से ही सारे व्‍यापार को बेटे उत्‍सव की मदद से देख रही हैं. इसके साथ ही घर में पैदा होने वाली सब्जियों और फलों से ही उनके घर का खान-पान भी चल रहा है. उन्‍होंने लॉकडाउन के बाद से अभी तक बाहर से फल और सब्जियां भी नहीं खरीदी हैं. वे बताती हैं कि फ्रूट मास्‍क पहनाने से कीट-पतंगों के साथ चिड़ियों और गिलहरी से होने वाले नुकसान और कीटनाशक के छिड़काव के खर्च और दुष्‍प्रभाव से भी बचा जा सकता है.

लोगों को मिले साफ फ्रूट
उनके इस प्रयोग को लेकर पुत्र उत्‍सव मर्तिया ने बताया कि इस साल से ही उन्होंने फलों को फ्रूट मास्‍क पहनाए हैं. वे बताते हैं कि उनके इस काम के पीछे उनका उद्देश्य है कि कोरोना काल में आर्गेनिक विधि से तैयार किया गया अच्‍छा फ्रूट लोगों को खाने के लिए मिले. वह अपने फलों में किसी भी तरह के केमिकल का प्रयोग नहीं करते हैं. ये फल प्राकृतिक रूप से बड़े होते हैं.

उन्होंने बताया कि फ्रूट मास्‍क में भी फलों को हवा-पानी मिलता रहता है और झोले के बड़ा साइज का होने के कारण पूरे गुच्‍छे के आम उसमें सुरक्षित रहते हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि ऐसा करने के बाद अगर कोई कोरोना संक्रमित इसे छू भी दे तो नुकसान नहीं होता है.

20 साल पहले शुरू की थी बागबानी
उत्‍सव बताते हैं कि उनकी मां अनीता ने बागबानी के इस काम को 20 साल पहले शुरू किया था. अब वह इस काम को आगे बढ़ा रहे हैं. उत्सव ने बताया कि यह फ्रूट मास्क बायोडिग्रेडिबल हैं. इसलिए सस्टिनेबल डेवलपमेंट में भी मदद मिलेगी. बायोडिग्रेडिबल होने के कारण ये फ्रूट बैग अपने से सड़कर खाद बन जाते हैं. केमिकल और लेबर की कास्‍ट भी बचती है. इस विधि से किसान शुद्ध फसल तैयार कर अच्‍छा मुनाफा जैविक खेती के माध्‍यम से कमा सकते हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने घर में 10 से 11 पेड़ों पर मास्‍क लगा रखे हैं. सभी पेड़ों पर लगभग 2000 मास्‍क लगे हुए हैं.

गोरखपुर: पूरा देश इन दिनों कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रहा है. लोग कोरोना से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और सैनेटाइजर के प्रयोग के साथ ही मास्क भी लगा रहे हैं. इतना ही नहीं कुछ समय पहले जानवरों को भी मास्क पहनाए जाने की खबरें सामने आईं थीं. अब जिले में आमों को भी कोरोना से बचाने के लिए मास्क पहनाए जा रहे हैं. जिले के बेतियाहाता इलाके के न्‍यू चन्‍द्रगुप्‍त नगर कॉलोनी की रहने वाली उद्यमी अनीता मर्तिया ने ये पहल की है.

प्रकृति, पर्यावरण और पेड़-पौधों से प्‍यार करने वाली इस उद्यमी महिला ने अपनी पूरी कॉलोनी को वृक्षों से हरा-भरा कर दिया है. अब इन पेड़ों पर फल भी लगने लगे हैं. उन्‍होंने बेटे के साथ मिलकर आम को कोरोना के खतरे से बचाने के लिए फ्रूट मास्‍क तक पहना दिया है. इससे कोरोना के साथ-साथ फलों को बंदर, गिलहरी, चिड़ियों और कीड़ों से भी बचाया जा सकता है.

आम को कोरोना से बचाने के लिए अनोखी पहल.

आमों को पहनाया मास्क
जिले के बेतियाहाता इलाके के न्‍यू चन्‍द्रगुप्‍त नगर कॉलोनी की रहने वाली उद्यमी अनीता मर्तिया अपने बेटे उत्सव के साथ मिलकर बागबानी करती हैं. मर्तिया ग्रुप के नाम से ही आर्गेनिक खेती कर वह फल और सब्जियों से भी अच्‍छे रुपए कमा लेती हैं. लॉकडाउन के बाद से ही घर में लगे आम के पेड़ों पर बौर आने लगा था. बौर को बचाने के लिए उन्होंने बौर को हल्‍के कपड़े के बने बैग यानी फ्रूट मास्‍क से कवर कर टेप लगा दिया. अब इन पेड़ों में लगी झोलियों में फल भी बड़े हो गए हैं. वह बताती हैं कि इससे जहां फलों की शुद्धता पर खरीदने वालों का विश्‍वास बना रहेगा. साथ ही बाहर से आम तोड़ने आने वाले कोरोना संक्रमित या संदिग्‍ध के छूने से भी फल सुरक्षित रहेगा.

आम को मास्क पहनाते उत्सव.
आम को मास्क पहनाते उत्सव.

करती हैं आर्गेनिक तरीके से बागबानी
लॉकडाउन लागू होने के बाद से न तो वे घर से बाहर निकली हैं और न ही उनके घर के कामगार. अनीता बताती हैं कि लॉकडाउन के बाद से कोरोना के खतरे को देखते हुए उनके परिवार में कोई भी बाहर नहीं निकला है. वे घर से ही सारे व्‍यापार को बेटे उत्‍सव की मदद से देख रही हैं. इसके साथ ही घर में पैदा होने वाली सब्जियों और फलों से ही उनके घर का खान-पान भी चल रहा है. उन्‍होंने लॉकडाउन के बाद से अभी तक बाहर से फल और सब्जियां भी नहीं खरीदी हैं. वे बताती हैं कि फ्रूट मास्‍क पहनाने से कीट-पतंगों के साथ चिड़ियों और गिलहरी से होने वाले नुकसान और कीटनाशक के छिड़काव के खर्च और दुष्‍प्रभाव से भी बचा जा सकता है.

लोगों को मिले साफ फ्रूट
उनके इस प्रयोग को लेकर पुत्र उत्‍सव मर्तिया ने बताया कि इस साल से ही उन्होंने फलों को फ्रूट मास्‍क पहनाए हैं. वे बताते हैं कि उनके इस काम के पीछे उनका उद्देश्य है कि कोरोना काल में आर्गेनिक विधि से तैयार किया गया अच्‍छा फ्रूट लोगों को खाने के लिए मिले. वह अपने फलों में किसी भी तरह के केमिकल का प्रयोग नहीं करते हैं. ये फल प्राकृतिक रूप से बड़े होते हैं.

उन्होंने बताया कि फ्रूट मास्‍क में भी फलों को हवा-पानी मिलता रहता है और झोले के बड़ा साइज का होने के कारण पूरे गुच्‍छे के आम उसमें सुरक्षित रहते हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि ऐसा करने के बाद अगर कोई कोरोना संक्रमित इसे छू भी दे तो नुकसान नहीं होता है.

20 साल पहले शुरू की थी बागबानी
उत्‍सव बताते हैं कि उनकी मां अनीता ने बागबानी के इस काम को 20 साल पहले शुरू किया था. अब वह इस काम को आगे बढ़ा रहे हैं. उत्सव ने बताया कि यह फ्रूट मास्क बायोडिग्रेडिबल हैं. इसलिए सस्टिनेबल डेवलपमेंट में भी मदद मिलेगी. बायोडिग्रेडिबल होने के कारण ये फ्रूट बैग अपने से सड़कर खाद बन जाते हैं. केमिकल और लेबर की कास्‍ट भी बचती है. इस विधि से किसान शुद्ध फसल तैयार कर अच्‍छा मुनाफा जैविक खेती के माध्‍यम से कमा सकते हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने घर में 10 से 11 पेड़ों पर मास्‍क लगा रखे हैं. सभी पेड़ों पर लगभग 2000 मास्‍क लगे हुए हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.