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भारत-नेपाल मैत्री संघ ने मनाया 'शौर्य दिवस'

सेना के शौर्य दिवस को गोरखपुर में भी बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. गोरखपुर में कूड़ाघाट तिराहे पर स्थापित कारगिल युद्ध के शहीद लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके 1971 के युद्ध में शामिल सैनिकों के शौर्य को सलाम किया.

शौर्य दिवस मनाते सदस्य.
शौर्य दिवस मनाते सदस्य.
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Published : Dec 16, 2020, 5:00 PM IST

गोरखपुर: सेना के शौर्य दिवस को गोरखपुर में भी बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. भारत-नेपाल मैत्री संघ और सेना के रिटायर्ड सेना कुछ जांबाजों के साथ इस दिवस को मनाने हर साल लोग जुटते हैं, लेकिन इस बार के आयोजन में कोविड की वजह से संख्या थोड़ी कम रही, लेकिन उत्साह पहले जैसा ही कायम रहा. भारत-पाकिस्तान के बीच सन 1971 में हुए युद्ध के बाद 16 दिसंबर सन 1971 को बांग्लादेश की स्थापना करने के साथ भारतीय वीर सैनिकों के पराक्रम को शौर्य दिवस के रूप में याद किया जाता है.

शौर्य दिवस.
बांग्लादेश के निर्माण की गाथा है शौर्य दिवस

शौर्य दिवस के लिए लोग तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व की भी सराहना करते हैं. गोरखपुर में कूड़ाघाट तिराहे पर स्थापित कारगिल युद्ध के शहीद लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके 1971 के युद्ध में शामिल सैनिकों के शौर्य को सलाम किया. संघ के अध्यक्ष अनिल गुप्ता ने कहा कि यह वह दिन है, जब भारत ने पाकिस्तान को पूरी तरह अलग-थलग कर दिया था. पाक के 93 हजार सैनिक भारतीय सेना के कब्जे में थे. इसी दिन बांग्लादेश की नींव पड़ गई थी, फिर कैसे इस अद्भुत दिन को भूला जा सकता है.


सैनिकों के सम्मान से बढ़ती है समरसता

पूर्व सैनिकों और कार्यक्रम के आयोजकों ने कहा कि भारतीय सीमा की रक्षा करने वाले अपने जवानों का सम्मान करने से हमें पीछे नहीं हटना चाहिए. उनके बलबूते ही सभी भारतीय चैन से सोते हैं. ऐसे में अगर एक दिन क्या हर दिन उनके सम्मान में कोई कार्यक्रम करना पड़े तो पीछे नहीं हटना चाहिए. इससे जहां समाज को भी बड़ा संदेश जाता है, वहीं सैनिकों का भी हौसला बढ़ता है.

गोरखपुर: सेना के शौर्य दिवस को गोरखपुर में भी बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. भारत-नेपाल मैत्री संघ और सेना के रिटायर्ड सेना कुछ जांबाजों के साथ इस दिवस को मनाने हर साल लोग जुटते हैं, लेकिन इस बार के आयोजन में कोविड की वजह से संख्या थोड़ी कम रही, लेकिन उत्साह पहले जैसा ही कायम रहा. भारत-पाकिस्तान के बीच सन 1971 में हुए युद्ध के बाद 16 दिसंबर सन 1971 को बांग्लादेश की स्थापना करने के साथ भारतीय वीर सैनिकों के पराक्रम को शौर्य दिवस के रूप में याद किया जाता है.

शौर्य दिवस.
बांग्लादेश के निर्माण की गाथा है शौर्य दिवस

शौर्य दिवस के लिए लोग तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व की भी सराहना करते हैं. गोरखपुर में कूड़ाघाट तिराहे पर स्थापित कारगिल युद्ध के शहीद लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके 1971 के युद्ध में शामिल सैनिकों के शौर्य को सलाम किया. संघ के अध्यक्ष अनिल गुप्ता ने कहा कि यह वह दिन है, जब भारत ने पाकिस्तान को पूरी तरह अलग-थलग कर दिया था. पाक के 93 हजार सैनिक भारतीय सेना के कब्जे में थे. इसी दिन बांग्लादेश की नींव पड़ गई थी, फिर कैसे इस अद्भुत दिन को भूला जा सकता है.


सैनिकों के सम्मान से बढ़ती है समरसता

पूर्व सैनिकों और कार्यक्रम के आयोजकों ने कहा कि भारतीय सीमा की रक्षा करने वाले अपने जवानों का सम्मान करने से हमें पीछे नहीं हटना चाहिए. उनके बलबूते ही सभी भारतीय चैन से सोते हैं. ऐसे में अगर एक दिन क्या हर दिन उनके सम्मान में कोई कार्यक्रम करना पड़े तो पीछे नहीं हटना चाहिए. इससे जहां समाज को भी बड़ा संदेश जाता है, वहीं सैनिकों का भी हौसला बढ़ता है.

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