गोरखपुर: नगर निगम चुनाव (municipal elections in up) धीरे-धीरे करीब आता जा रहा है. माना जा रहा है कि यह दिसंबर 2022 से पहले पूर्ण कर लिया जाएगा. इसी बीच गोरखपुर में चुनाव से पहले निगम की एक कारगुजारी से शहर में रहने वाले लाखों लोगों की समस्या बढ़ गई है. निगम ने जीआईएस सर्वे के आधार पर करीब 60 हजार मकान मालिकों का हाउस टैक्स 10 गुना बढ़ा दिया है. यही नहीं इसकी नोटिस भी मकान मालिकों को जाने लगी है. जिसके बाद इन घरों में रहने वाले लोगों की बेचैनी बढ़ गई है. इससे वर्तमान पार्षद जहां परेशान हैं, वहीं आगामी चुनाव में उम्मीदवारी जताने वालों के सामने भी मुश्किल खड़ी हो गई है. ऐन चुनाव के वक्त बीजेपी के इस गढ़ में निगम की यह कार्यशैली पार्टी को भी बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है. साठ हजार घरों का टैक्स बढ़ने का मतलब है करीब 2 लाख मतदाताओं पर इसका सीधा असर पड़ेगा.
टैक्स की बढ़ोतरी के बाद इसका विरोध भी शुरू हो गया है. वर्तमान पार्षद से लेकर आम नागरिक भी नगर निगम कार्यालय पहुंचकर अपना विरोध जता रहे हैं. इसकी वजह से नगर आयुक्त भी सकते में आ गए हैं. उन्होंने लोगों से आपत्तियों को दाखिल करने का निवेदन किया है और कहा है कि इसके आधार पर समीक्षा की जाएगी. वही इन आपत्तियों को दाखिल करने में भी नगर निगम लोगों से पैसे वसूल रहा है. प्रति आपत्तियां 100 रुपये की रसीद काटने के बाद ही आपत्ति जमा की जा रही हैं. यह अलग से विरोध का विषय बन गया है.
नगर निगम के 80 वार्डों में से करीब 40 वार्ड में जीआईएस सर्वे हो चुका है. इसमें पुराने मकानों का दायरा बढ़ा हुआ दिखाकर अधिक टैक्स लगाया गया है. इसी को आधार बनाकर भवन स्वामियों को नोटिस दिया जा रहा है. शहर के सूर्य विहार कॉलोनी की रहने वाली नीता पांडेय ईडब्ल्यूएस के मकान में रहती हैं. उनके मकान का जितना एरिया है, उससे 6 गुना अधिक एरिया दिखाकर कर निर्धारण किया गया है.
यह भी पढ़ें: निकाय चुनाव से पहले ही गोरखपुर नगर निगम बना राजनीति का अखाड़ा, जानिये क्यों हो रहा विरोध
इस मामले को सभापति ऋषि मोहन वर्मा ने नगर आयुक्त के समक्ष पहुंचाया है. वहीं बिछिया वार्ड में रहने वाले संजीव श्रीवास्तव का मकान वर्ष 1978 में बना है. लेकिन उनके मकान का निर्माण साल 2000 का बताकर टैक्स बढ़ा दिया गया है. शाहपुर में रहने वाले रमाकांत का मकान 1350 वर्ग फीट मे बना है. मौजूदा समय में उनका एरिया बढ़ा दिया गया है. पहले हाउस टैक्स इनका 400 रुपए प्रति वर्ष था, जो अब बढ़कर 4600 रुपये कर दिया गया है. जनता से लेकर पार्षद काफी नाराज हैं और अपनी आपत्तियों के साथ इसे खत्म करने की मांग कर रहे हैं.
आपत्तियों को दाखिल करने का निगम ने एक महीने का समय निर्धारित किया है. जिसके आधार पर सर्वे होगा और नए सिरे से कर निर्धारण किया जाएगा. ऐसा अधिकारी आश्वस्त कर रहे हैं. लेकिन कर निर्धारण से फिलहाल लोगों की बेचैनी बढ़ी हुई है. वजह यह है कि टैक्स एक दो नहीं बल्कि 10 गुना बढ़ा है. लोगों को यह चिंता सता रही है कि अगर कटौती भी होती है तो क्या पूर्व की स्थिति बहाल रहेगी?
वहीं पार्षदों के लिए भी अपने मोहल्ले के लोगों की यह समस्या दूर कराना बड़ी चुनौती बनी हुई है. कुछ पार्षदों की जहां खुद आने वाले निगम चुनाव में प्रत्याशी होने की उम्मीद है तो वहीं कुछ अपने सहयोगी को आरक्षण के हिसाब से लड़ा सकते हैं. ऐसे में हाउस टैक्स की प्रक्रिया ने जनता से लेकर नेता सभी को हिलाकर रख दी है. सबसे बड़ी समस्या इसको बीजेपी ही महसूस कर रही है. जो इस नगर निगम में बार-बार अब अपना महापौर बनाने में कामयाब होती है. सुधार नहीं हुआ तो इसका नुकसान बीजेपी को उठाना पड़ सकता है.
यह भी पढ़ें: स्कूल जा रही बच्ची को बोरी में भर रहे थे बच्चा चोर, ऐसे पकड़े गए