गोरखपुर: हिमाचल प्रदेश राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले और हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लेने वाले क्रांतिकारी व शहीदों का जो सपना था, वह धीरे-धीरे विकसित भारत के रूप में पूरा होता दिखाई दे रहा है. उन्होंने कहा कि देश वर्ष 1947 में आजाद हुआ था. जब आजादी के 100 वर्ष 2047 में पूरे होंगे तो उस समय भारत दुनिया में विश्व गुरु की स्थिति में स्थापित हो चुका होगा. हिमाचल के राज्यपाल ने मंगलवार को गोरखपुर के मंडलीय कारागार में शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने और आयोजित समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए यह बातें कहीं.
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि जिन क्रांतिकारियों ने अपनी शहादत देश की आजादी के लिए दी, उन्होंने अपने लिए कुछ नहीं किया. उनका सपना ही भारत मां को आजादी में देखना और गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराना था. उनके मन के अंदर बस एक कसक, एक दर्द रह गया कि उन्होंने अपनी आंखों के सामने भारत मां को आजाद होते नहीं देखा. लेकिन, समाज के लिए वह जो प्रेरणा छोड़कर गए थे, देश के लिए जो सपने देखे थे, वह आज विकसित भारत के रूप में परीक्षित हो रहे हैं.
काकोरी कांड के महानायक पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को 19 दिसंबर 1927 को गोरखपुर के मंडलीय कारागार में फांसी दी गई थी. उनकी कोठरी, प्रतिमा और फांसी का तख्त, कुआं सब कुछ इस जेल के अंदर मौजूद है. जो अब लोगों के लिए बड़ी ही आसानी से पहुंच का विषय है. वर्ष 2017 से पहले यह जेल की दीवारों में कैद हुआ करता था. लेकिन, योगी सरकार ने इसे जेल की दीवारों से मुक्त करते हुए एक अलग रास्ता दे दिया है. जहां हर दिन कोई भी बड़ी आसानी से पहुंचकर बिस्मिल से जुड़ी यादों, उनकी कृतियों को देख सकता है. साथ ही उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर सकता है.
बिस्मिल की याद में गोरखपुर में पिछले 15 वर्षों से गुरु कृपा संस्थान और अखिल भारतीय क्रांतिकारी संघर्ष मोर्चा बलिदानी मेला और खेल महोत्सव का आयोजन करता है. इसके माध्यम से शहर में विभिन्न तरह के आयोजन होते हैं और लोग इससे जुड़ते भी हैं. यह मेला उन लाइनों को भी चरितार्थ करता है कि 'शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले, वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशा होगा'. इस मेले के आयोजक बृजेश राम त्रिपाठी कहते हैं कि देश में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की यह शहादत स्थली शायद पहला स्थल है, जहां पर सबसे पहले कोई शहीदी मेला और सम्मान समारोह का आयोजन प्रारंभ हुआ. जो अब लोगों में एक जुनून बनता जा रहा है.
मंडलीय कारागार में मंगलवार को आयोजित हुए इस बलिदानी मेले में स्कूली बच्चों ने भी कई तरह की भावपूर्ण प्रस्तुति दीं. इन प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को देशभक्ति के भाव से भर दिया. कार्यक्रम में मौजूद राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने भी बच्चों की प्रस्तुतियों को खूब सराहा और कहा कि ऐसे कार्यक्रम बच्चों में देशभक्ति का भाव पैदा करते हैं. इससे उन्हें इतिहास के बारे में ज्ञान होता है. कार्यक्रम में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र सिंह भी मौजूद रहे. उन्होंने लोगों के बीच पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की उनकी मां के साथ हुई फांसी से पहले की वार्तालाप को रखा. उन्होंने कहा कि बिस्मिल सिर्फ क्रांतिकारी ही नहीं थे, बल्कि वह एक साहित्यकार, कवि और लेखक भी थे. इनकी लेखनी से निकले शब्द भी लोगों के लिए बड़े प्रेरणा का विषय हैं.
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