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दिल्ली का 'हैप्पीनेस पाठ्यक्रम' पहुंचेगा यूपी, कयावद जारी - यूपी में हैप्पीनेस पाठ्यक्रम

राजधानी दिल्ली के स्कूलों में चलाया जा रहा 'हैप्पीनेस पाठ्यक्रम' जल्द ही उत्तर प्रदेश में भी लागू हो सकता है. यह संकेत गोरखपुर आए 'हैप्पीनेस पाठ्यक्रम' टीम के प्रमुख सदस्य श्रवण कुमार शुक्ला ने मीडिया से बात करते हुए साझा की.

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'हैप्पीनेस पाठ्यक्रम' के सदस्य श्रवण शुक्ला पहुंचे गोरखपुर.
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Published : Mar 14, 2020, 4:15 PM IST

गोरखपुर: दिल्ली के 1024 स्कूलों में चलाया जा रहा 'हैप्पीनेस पाठ्यक्रम' बहुत जल्द यूपी के स्कूलों में भी लागू हो होगा. इसकी कवायद तेज हो गई है. इस पाठ्यक्रम की संरचना करने वाली कोर टीम के प्रमुख सदस्य श्रवण कुमार शुक्ला ने इस बात का संकेत शनिवार को गोरखपुर में मीडिया से बातचीत के दौरान दिया. उन्होंने कहा कि माना जाता है कि शिक्षा तनाव को दूर करती है, लेकिन यह देखने को मिल रहा कि जो शिक्षित हैं वह ज्यादा तनाव में हैं.

यह वही हैप्पीनेस पाठ्यक्रम है, जिसकी सफलता की कहानी सुनकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पत्नी मेलानिया दिल्ली के एक स्कूल में इसे देखने गईं. उन्होंने इसकी सराहना करते हुए यह कहा था कि इसे पूरे दुनिया के स्कूलों में लागू होना चाहिए. श्रवण शुक्ला ऐसे ही पाठ्यक्रम को गढ़ने वालों में एक विशेष सदस्य हैं. उन्होंने कहा कि निरंतर बदलते सामाजिक और आर्थिक आयामों के कारण अब इसकी स्पष्ट कल्पना भी मुश्किल हो गई है कि बच्चों का भविष्य क्या होगा. वह किस तरह के कार्य व्यवहार कर पाएंगे. वह सफलता पाने के लिए होड़ में तो लगे हैं लेकिन उठापटक के बावजूद खुश नहीं हो पा रहे.

'हैप्पीनेस पाठ्यक्रम' के सदस्य श्रवण शुक्ला पहुंचे गोरखपुर.

ये भी पढ़ें- कोरोना वायरस : पीएम मोदी के प्रस्ताव पर पाकिस्तान सहमत- कहा, वीडियो कॉन्फ्रेंस में लेंगे हिस्सा

उन्होंने बताया कि यह पाठ्यक्रम चार खंडों में बांटा गया है, जिसमें प्रथम खंड ध्यान देने की प्रक्रिया है जिससे बच्चों को जोड़ा जाता है. द्वितीय खंड में लॉजिकल कहानियां बच्चों के सामने पेश की जाती है. इसको जानने और समझने वाले बच्चों से रिफ्लेक्टिव सवाल के जरिए उनकी जिज्ञासा को समझने और शांत करने की कोशिश भी की जाती है. वहीं तृतीय खंड गतिविधियों से जुड़ा हुआ होता है. चतुर्थ खंड में हैप्पीनेस पाठ्यक्रम का हिस्सा बने छात्रों को अभिव्यक्त की आजादी मिलती है, जिसमें वह सप्ताह भर में हासिल किए ज्ञान कि अपने स्तर से व्याख्या करते हैं. जिसका मूल उद्देश्य ज्ञान के साथ आनंद की प्राप्ति और तनाव से दूर ले जाना होता है.

गोरखपुर: दिल्ली के 1024 स्कूलों में चलाया जा रहा 'हैप्पीनेस पाठ्यक्रम' बहुत जल्द यूपी के स्कूलों में भी लागू हो होगा. इसकी कवायद तेज हो गई है. इस पाठ्यक्रम की संरचना करने वाली कोर टीम के प्रमुख सदस्य श्रवण कुमार शुक्ला ने इस बात का संकेत शनिवार को गोरखपुर में मीडिया से बातचीत के दौरान दिया. उन्होंने कहा कि माना जाता है कि शिक्षा तनाव को दूर करती है, लेकिन यह देखने को मिल रहा कि जो शिक्षित हैं वह ज्यादा तनाव में हैं.

यह वही हैप्पीनेस पाठ्यक्रम है, जिसकी सफलता की कहानी सुनकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पत्नी मेलानिया दिल्ली के एक स्कूल में इसे देखने गईं. उन्होंने इसकी सराहना करते हुए यह कहा था कि इसे पूरे दुनिया के स्कूलों में लागू होना चाहिए. श्रवण शुक्ला ऐसे ही पाठ्यक्रम को गढ़ने वालों में एक विशेष सदस्य हैं. उन्होंने कहा कि निरंतर बदलते सामाजिक और आर्थिक आयामों के कारण अब इसकी स्पष्ट कल्पना भी मुश्किल हो गई है कि बच्चों का भविष्य क्या होगा. वह किस तरह के कार्य व्यवहार कर पाएंगे. वह सफलता पाने के लिए होड़ में तो लगे हैं लेकिन उठापटक के बावजूद खुश नहीं हो पा रहे.

'हैप्पीनेस पाठ्यक्रम' के सदस्य श्रवण शुक्ला पहुंचे गोरखपुर.

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उन्होंने बताया कि यह पाठ्यक्रम चार खंडों में बांटा गया है, जिसमें प्रथम खंड ध्यान देने की प्रक्रिया है जिससे बच्चों को जोड़ा जाता है. द्वितीय खंड में लॉजिकल कहानियां बच्चों के सामने पेश की जाती है. इसको जानने और समझने वाले बच्चों से रिफ्लेक्टिव सवाल के जरिए उनकी जिज्ञासा को समझने और शांत करने की कोशिश भी की जाती है. वहीं तृतीय खंड गतिविधियों से जुड़ा हुआ होता है. चतुर्थ खंड में हैप्पीनेस पाठ्यक्रम का हिस्सा बने छात्रों को अभिव्यक्त की आजादी मिलती है, जिसमें वह सप्ताह भर में हासिल किए ज्ञान कि अपने स्तर से व्याख्या करते हैं. जिसका मूल उद्देश्य ज्ञान के साथ आनंद की प्राप्ति और तनाव से दूर ले जाना होता है.

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