गोरखपुर: आज हनुमान जयंती है. इस अवसर पर आनन्द महाऔदायिक योग भी बन रहा है. दक्षिणात्य मत के अनुसार चैत्र पूर्णिमा के दिन सुबह के समय मेष लग्न में हनुमान जी का जन्म हुआ था, जो चिरंजीवियों में से एक हैं. वैसे तो हनुमान जी का जन्म साल में दो बार आयोजित होता है लेकिन प्रधानता ग्रीष्म ऋतु में पड़ने वाले जन्मदिन की है. 'हनुमत् उपासना कल्पद्रुम' नामक ग्रन्थ ने प्रधानता ग्रीष्म ऋतु में पड़ने वाले जन्मदिन को दिया है.
गोरखपुर के जाने-माने ज्योतिषी शरद चंद मिश्र ने इस दिन अपने घर पर रहकर हनुमान उपासना की विधि लोगों को बताया है. उन्होंने कहा है कि सुबह सूर्योदय के समय स्नान के अनन्तर राम परिवार का चित्र या पूर्व स्थापित हनुमान जी की मूर्ति के समीप बैठकर संकल्प करें. इसके बाद 'अमुक नामाहं मम सपरिवारस्य हनुमत् प्रीति द्वारा सकल मनोकामना सिद्य्यर्थं हनुमत् जन्म उपलक्षे हनुमत् पूजनं करिष्ये' का उच्चारण कर हाथ में लिया हुआ जल और अक्षत मूर्ति या चित्र के सामने रख दें.
इसके बाद पंचामृत, स्नान, श्रंगार आदि कर पूजन करें. इस दिन वाल्मिकी रामायण, तुलसीराम कृत रामायण, सुन्दर काण्ड या हनुमान चालीसा का पाठ अपने घर में पूजा स्थल पर सम्पन्न करें. हनुमान जी का गुणगान व भजन, हनुमत्- नाम स्मरण मानव मात्र के कल्याण एवं आरोग्यता के लिए प्रार्थना करें. यदि उपलब्ध हो तो भीगा चना, गुड़ या भुना हुआ चना, पेड़ा और केले का फल अर्पण करें. नैवेद्य में चना रखने का कारण है कि यह वानर जाति का प्रिय खाना है और गुड़ शक्ति देने वाला है.