गोरखपुर: सिख समाज में हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को गुरुनानक जयंती के रूप में मनाया जाता है. गुरु नानक जी के जन्मदिवस का यह दिन प्रकाश पर्व कहलाता है. शहर के जटाशंकर गुरुद्वारे में पिछ्ले 80 सालों से यह पर्व लगातार मनाते चले आ रहे हैं. जिसमें बड़ी संख्या में हर धर्म के श्रद्धालु भी पहुंचते हैं. इस बार भी यहां का आयोजन खास रहा.
गुरुनानक सिख समुदाय के पहले गुरु थे जिन्होंने सिख धर्म की नींव रखी थी. गुरु नानक जी को बाबा नानक और नानकशाह के नाम से भी उनके अनुयायी संबोधित करते हैं. देशभर में जब कार्तिक पूर्णिमा पर गुरुद्वारे में नानक जयंती मनाई जा रही गई तो गोरखपुर में भी लोगों ने इस पर्व का खूब आनंद लिया. इस मौके पर यहां दिनभर संगत, कीर्तन चलता रहा. कार्यक्रम में महिलाओं और बच्चों ने भी शिरकत की.
इस दौरान पंजाबी एकेडमी यूपी के सदस्य जगनैन सिंह नीटू ने कहा कि नानक देव ने अपना सारा जीवन मानवता को समर्पित कर दिया था. उनके जन्मदिन को उनके भक्त प्रकाश पर्व के तौर पर मनाते हैं. अपने जीवन में दूसरों के हित के लिए नानक जी ने काम किए. उन्होंने हमेशा समाज में बढ़ रही कुरीतियों और बुराइयों को दूर किया और लोगों के जीवन को सुखद बनाने में लगे रहे.
नानक देव अपने पारिवारिक जीवन की चिंता न करते हुए दूसरों के जीवन को संवारने के लिए काम किया. दूर-दूर यात्राएं करते हुए वो बस दूसरे लोगों के जीवन में प्रकाश भरते रहे. इसलिए सिख समुदाय के लोग नानक को भगवान और मसीहा मानते हैं. इसी वजह से उनके जन्मदिवस को प्रकाश पर्व के तौर पर मनाते हैं.
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सिखों के प्रथम गुरु थे नानक देव-
गौरतलब है कि गुरु नानक देव सिखों के प्रथम गुरु थे. उन्होंने ही सिख समुदाय की नींव रखी थी. नानक का जन्म 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी में हुआ था, जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित ननकाना साहिब (Nankana Sahib) में पड़ता है. इस स्थान का नाम नानक देव के नाम पर ही पड़ा था. इस स्थान पर आज भी गुरुद्वारा बना है, जिसे ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है. इस गुरुद्वारे का निर्माण शेर-ए-पंजाब नाम से प्रसिद्ध सिख साम्राज्य के राजा महाराजा रणजीत सिंह ने कराया था. आज भी तमाम लोग इस गुरुद्वारे में दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं.
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