गोरखपुर: मासूम बच्चों को बेहतर जीवन देने के लिए और कई तरह की बीमारियों से बचाने के लिए टीके लगाए जाते हैं. लेकिन, यही टीका सही तरीके और समय के अंतराल पर नहीं लगाए जाने की वजह से गोरखपुर के ग्रीनलैंड हॉस्पिटल में 5 मार्च को जहां एक बच्चे की मौत हो गई थी, वहीं दूसरा बच्चा जिंदगी और मौत से जूझते हुए बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आखिरकार रविवार (12 मार्च) की रात उसने भी दम तोड़ दिया. जिला प्रशासन इस अस्पताल की कार्यशैली को लेकर जांच पड़ताल में जुटा था. मामले में FIR चिलुआताल थाने में दर्ज की गई थी. दूसरे बच्चे की मौत के बाद आनन-फानन में रविवार देर रात पहुंची पुलिस, प्रशासन और स्वास्थ विभाग की टीम ने ग्रीनलैंड अस्पताल को सील कर दिया. यहां भर्ती मरीजों को बीआरडी मेडिकल कॉलेज और निजी अस्पताल में शिफ्ट कराया गया है. जांच की कार्रवाई आगे बढ़ाई गई है.
यह अस्पताल बीआरडी मेडिकल कॉलेज में तैनात डॉक्टर सुधीर गुप्ता के द्वारा संचालित किया जाता है. जहां पर मरीजों की ओपीडी से लेकर ऑपरेशन और भर्ती की प्रक्रिया पूरी होती है. सीएमओ डॉ आशुतोष कुमार दुबे के निर्देश पर एसीएमओ डॉ एके चौधरी, डिप्टी सीएमओ डॉ अनिल कुमार सिंह और अपर मजिस्ट्रेट ने शील की इस कार्यवाही को पूरा किया. हॉस्पिटल में कुल 9 मरीज भर्ती थे. इन्हें अलग-अलग अस्पतालों में शिफ्ट किया गया है. इस मामले में सीएमओ डॉ आशुतोष कुमार दुबे ने कहा है कि जांच की कार्यवाही चल रही है. जिस वैक्सीन को लगाया गया था, उसके वायल को जांच के लिए लखनऊ भेजा गया है. रिपोर्ट के बाद ही आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.
शाहपुर थाना क्षेत्र के धर्मपुर के रहने वाले सुशांत चार्ल्स की पत्नी की डिलीवरी 5 मार्च को ग्रीनलैंड अस्पताल में हुई थी. बच्चा स्वस्थ था. दो अन्य बच्चों के साथ उसे भी टीका लगाया गया था. इसके बाद बच्चे की हालत बिगड़ गई. नवजात को इलाज के लिए उसी समय मेडिकल कॉलेज बाल रोग विभाग में आईसीयू में भर्ती किया गया. लेकिन, उसमें से एक की मौत हो गई. जिस बच्चे की मौत हुई उसके परिजनों का आरोप है कि उसे 3 टीके लगे थे. इसमें ओरल पोलियो वैक्सीन, हेपेटाइटिस बी और बीसीजी का टीका शामिल है. शायद इसी में से किसी के रिएक्शन से यह हादसा हुआ. पीड़ित पिता की तहरीर पर हॉस्पिटल के डॉक्टर के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया.
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