गोरखपुर : प्रदेश सरकार के सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह का दावा है कि इस साल से बुंदेलखंड क्षेत्र सूखे की चपेट में नहीं आएगा. वह पानी की कमी नहीं झेलेगा. सरकार एक हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में कृत्रिम बारिश कराकर किसानों और लोगों को खेती के लिए पानी की उपलब्धता कराएगी. यह बारिश पूरी तरह से स्वदेशी वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई तकनीकी से होगी.
बुंदेलखंड को सूखे से बचाने के लिए कृत्रिम बारिश कराएगी योगी सरकार - कृत्रिम बारिश
प्रदेश सरकार अब बुंदेलखंड को सूखे की मार से बचाने के लिए कृत्रिम बारिश कराएगी. सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया कि आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने कृत्रिम बारिश की तकनीक ईजाद की है, जिसकी मदद से बुंदेलखंड में कृत्रिम बारिश कराई जाएगी.
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गोरखपुर : प्रदेश सरकार के सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह का दावा है कि इस साल से बुंदेलखंड क्षेत्र सूखे की चपेट में नहीं आएगा. वह पानी की कमी नहीं झेलेगा. सरकार एक हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में कृत्रिम बारिश कराकर किसानों और लोगों को खेती के लिए पानी की उपलब्धता कराएगी. यह बारिश पूरी तरह से स्वदेशी वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई तकनीकी से होगी.
Intro:गोरखपुर। उत्तर सरकार के सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह का दावा है कि इस सत्र से बुंदेलखंड क्षेत्र सूखे की चपेट में नहीं आएगा। वह पानी की कमी नहीं झेलेगा। प्रदेश की योगी सरकार इस क्षेत्र के एक हजार वर्ग किलोमीटर एरिया में कृत्रिम बारिश कराकर किसानों और लोगों को खेती के लिए पानी की उपलब्धता कराने जा रही है। सिंचाई मंत्री आज गोरखपुर में थे और जिला योजना की बैठक के बाद मीडिया से बात कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत को यह खास जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह बारिश पूरी तरह से स्वदेशी वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई तकनीकी आधार पर होगी।
नोट--वॉइस ओवर अटैच है...
Body:सिंचाई मंत्री ने कहा कि सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड में पानी की चिंता को लेकर राज्य सरकार निदान में जुटी हुई थी। इसके लिए चीन द्वारा कृत्रिम बारिश के तरीके को सरकार अपनाने पर सामत भी हो गई थी। चीन से तकनीकी आयात भी तय हो गया था और एक हजार वर्ग किलोमीटर कृत्रिम बारिश का खर्चा उसने 10:50 करोड़ मांगा था। यू पी सरकार इसे देने को तैयार भी हो गई थी, लेकिन आखिरी दौर में उसने यह समझौता तोड़ दिया जिसके बाद हमारे देश के वैज्ञानिकों ने इस तकनीक पर काम करना शुरू किया और आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने कितनी बारिश की जो तकनीक ईजाद की उसका खर्चा चीन के खर्चे से आधा हो गया मतलब एक हजार वर्ग किलोमीटर में बारिश का खर्चा अब 5.50 करोड़ हो गया। उन्होंने कहा कि अब तकनीक भी अपना और पैसा भी अपने देश में।
बाइट--धर्मपाल सिंह, सिंचाई मंत्री, यूपी
Conclusion:मंत्री ने इस दौरान कृत्रिम बारिश की पूरी प्रक्रिया को ईटीवी भारत के सामने रखा। उन्होंने कहा कि बारिश से पहले बुंदेलखंड क्षेत्र में हेलीकॉप्टर से बर्फ की मोटी परत गिराई जाएगी। इसके बाद नमक का छिड़काव किया जाएगा। फिर बादलों को तकनीक के सहारे नीचे लाया जाएगा और फिर जमकर बारिश होगी। उन्होंने इस दौरान यह भी साफ किया कि वैज्ञानिकों ने इस तकनीक के तहत भारी बारिश की भी संभावना जताई है। जिसके लिए कठोर मिट्टी वाले क्षेत्र को पहले चुना गया है। उन्होंने बताया कि इसके लिए महोबा जिले में सबसे पहले बारिश कराई जाएगी। वहां की मिट्टी का स्वरूप चट्टान जैसा है। जहां भारी बारिश का असर कम होगा। उन्होंने खुशी जाहिर की कि जो क्षेत्र हरियाली और पानी दोनों के लिए तरस रहा था, उसकी चिंता प्रदेश की योगी सरकार करते हुए आखिरकार निदान के रास्ते पर पहुंच गई।
मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
9415875724
नोट--वॉइस ओवर अटैच है...
Body:सिंचाई मंत्री ने कहा कि सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड में पानी की चिंता को लेकर राज्य सरकार निदान में जुटी हुई थी। इसके लिए चीन द्वारा कृत्रिम बारिश के तरीके को सरकार अपनाने पर सामत भी हो गई थी। चीन से तकनीकी आयात भी तय हो गया था और एक हजार वर्ग किलोमीटर कृत्रिम बारिश का खर्चा उसने 10:50 करोड़ मांगा था। यू पी सरकार इसे देने को तैयार भी हो गई थी, लेकिन आखिरी दौर में उसने यह समझौता तोड़ दिया जिसके बाद हमारे देश के वैज्ञानिकों ने इस तकनीक पर काम करना शुरू किया और आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने कितनी बारिश की जो तकनीक ईजाद की उसका खर्चा चीन के खर्चे से आधा हो गया मतलब एक हजार वर्ग किलोमीटर में बारिश का खर्चा अब 5.50 करोड़ हो गया। उन्होंने कहा कि अब तकनीक भी अपना और पैसा भी अपने देश में।
बाइट--धर्मपाल सिंह, सिंचाई मंत्री, यूपी
Conclusion:मंत्री ने इस दौरान कृत्रिम बारिश की पूरी प्रक्रिया को ईटीवी भारत के सामने रखा। उन्होंने कहा कि बारिश से पहले बुंदेलखंड क्षेत्र में हेलीकॉप्टर से बर्फ की मोटी परत गिराई जाएगी। इसके बाद नमक का छिड़काव किया जाएगा। फिर बादलों को तकनीक के सहारे नीचे लाया जाएगा और फिर जमकर बारिश होगी। उन्होंने इस दौरान यह भी साफ किया कि वैज्ञानिकों ने इस तकनीक के तहत भारी बारिश की भी संभावना जताई है। जिसके लिए कठोर मिट्टी वाले क्षेत्र को पहले चुना गया है। उन्होंने बताया कि इसके लिए महोबा जिले में सबसे पहले बारिश कराई जाएगी। वहां की मिट्टी का स्वरूप चट्टान जैसा है। जहां भारी बारिश का असर कम होगा। उन्होंने खुशी जाहिर की कि जो क्षेत्र हरियाली और पानी दोनों के लिए तरस रहा था, उसकी चिंता प्रदेश की योगी सरकार करते हुए आखिरकार निदान के रास्ते पर पहुंच गई।
मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
9415875724