ETV Bharat / state

रक्षाबंधन 2022: इस साल भाइयों की कलाइयों पर सजेंगी टेराकोटा की राखियां, जानिए इसकी खासियत

गोरखपुर की प्रसिद्ध टेराकोटा के प्रोडक्ट्स बाजार में धूम मचा रही है. मिट्टी की ज्वेलरी के बाद अब मिट्टी की राखियां भी बाजार में आने के लिए तैयार है. आइए जानते हैं कि गोरखपुर की बनी टेराकोटा की स्पेशल राखियों (Gorakhpur terracotta rakhis) के बारे में...

etv bharat
टेराकोटा की राखियां
author img

By

Published : Jul 18, 2022, 5:23 PM IST

गोरखपुर: रक्षाबंधन का पर्व पर इस बार बाजार में एक अनोखे किस्म की राखी भी देखने को मिलेगी. जो गोरखपुर के औरंगाबाद गांव की विशिष्ट पहचान बन चुकी टेराकोटा (Gorakhpur terracotta rakhis) की मिट्टी से बनाई गई है. भले ही यह राखियां मिट्टी से बनाई गई हैं. लेकिन, इनको पकाने के बाद, विशिष्ट प्रकार के टेराकोटा के लेप और अद्भुत रंगो से की गई इनकी रंगाई ने कलाकारों की कलाकृतियों में जानभर दिया है. हालांकि टेराकोटा की मिट्टी से राखी बनाने का यह कार्यक्रम पहली बार हुआ है. जिसका, कांसेप्ट डॉक्टर भावना जो एक दंत चिकित्सक हैं, उनके मन में तैयार हुआ. राखियों की डिजाइन उनकी एक डिजाइनर मित्र अनु नंदा ने तैयार किया और इसे वास्तविक रूप में अपने हाथों के हुनर से औरंगाबाद के कलाकारों ने उतारा.

टेराकोटा की राखियों के बारे में जानकारी देती डॉ. भावना और शिल्पकार

टेराकोटा की विभिन्न प्रकार की बनाई जाने वाली मूर्तियां जिनमें दिवाली के दिये, घड़े, भगवान गणेश की प्रतिमा, भगवान बुद्ध, प्रभु राम की अद्भुत कलाकृतियां देश-दुनिया में विख्यात हो रही हैं. इन्हें एक विशिष्ट पहचान देने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 'एक जिला एक उत्पाद योजना' (ODOP) के तहत एक बड़ी बाजार उपलब्ध करा दिया है.

पांच साल पहले तक गोरखपुर की माटी की विशिष्ट शिल्प कला टेराकोटा उपेक्षित था. लेकिन, जब सीएम योगी ने इसे ओडीओपी से जोड़ा, तो इसमें पंख लग गए. इसकी डिमांड ऑनलाइन भी बढ़ी हुई है. मिट्टी की ज्वेलरी के बाद भाइयों की कलाइयों पर अब सजने के लिए टेराकोटा की राखियां भी तैयार हो गई हैं. ये राखियां पानी पड़ने के बाद गलने वाली भी नहीं. खास बात यह है कि इस अद्भुत कला को पिरोने के बाद भी इसकी शुरुआत 50 रुपये से हो रही है.

कलाकारों को मिल रहे हैं नए डिजाइन्स के ऑर्डर

डॉ. भावना इन राखियों की एक प्रदर्शनी भी लगा कर लोगों को टेराकोटा के महत्व और उनके कलाकारों के कौशल को बड़ी पहचान देने की कोशिश कर रही हैं. इन कलाकृतियों को तैयार करने वाले कलाकारों का कहना है कि उनके सामने जिस भी तरह की तस्वीर और आकृति रखी जाएगी, वह उसको हूबहू उतार देंगे. उन्हें खुशी है कि उन्हें तरह-तरह के नए डिजाइन के ऑर्डर मिल रहे हैं. जिससे उनका कारोबार लगातार बढ़ रहा है और पहचान भी मिल रही है. इस काम में महिला- पुरुष दोनों शामिल हैं. यहां के मास्टर कलाकार तो दुनिया के कई देशों का भ्रमण भी कर चुके हैं और उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा भी जा चुका है.

बाजार में बढ़ी टेराकोटा के गहने की डिमांड

टेराकोटा की राखियों से पहले इसके गहने भी बाजार में आ चुके हैं, जिसमें नेकलेस, झुमका, बाली, कंगन की मांग बढ़ रही है. इन आभूषणों की सुंदरता महिलाओं का ध्यान अपनी ओर खींच रही है. राखियों के अद्भुत कलेक्शन में जहां भगवान गणेश भाइयों की कलाई पर दमकेंगे. तो वही रुद्राक्ष, शंख के अलावा बर्गर, पिज्जा और डोरेमोन समेत कई तरह की और कलाकृतियां भी इन कलाकारों ने राखी के रूप में तैयार किया है. यह उम्मीद की जा रही है कि अगले वर्ष के रक्षाबंधन में इन राखियों की डिमांड काफी बड़ी होगी.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

गोरखपुर: रक्षाबंधन का पर्व पर इस बार बाजार में एक अनोखे किस्म की राखी भी देखने को मिलेगी. जो गोरखपुर के औरंगाबाद गांव की विशिष्ट पहचान बन चुकी टेराकोटा (Gorakhpur terracotta rakhis) की मिट्टी से बनाई गई है. भले ही यह राखियां मिट्टी से बनाई गई हैं. लेकिन, इनको पकाने के बाद, विशिष्ट प्रकार के टेराकोटा के लेप और अद्भुत रंगो से की गई इनकी रंगाई ने कलाकारों की कलाकृतियों में जानभर दिया है. हालांकि टेराकोटा की मिट्टी से राखी बनाने का यह कार्यक्रम पहली बार हुआ है. जिसका, कांसेप्ट डॉक्टर भावना जो एक दंत चिकित्सक हैं, उनके मन में तैयार हुआ. राखियों की डिजाइन उनकी एक डिजाइनर मित्र अनु नंदा ने तैयार किया और इसे वास्तविक रूप में अपने हाथों के हुनर से औरंगाबाद के कलाकारों ने उतारा.

टेराकोटा की राखियों के बारे में जानकारी देती डॉ. भावना और शिल्पकार

टेराकोटा की विभिन्न प्रकार की बनाई जाने वाली मूर्तियां जिनमें दिवाली के दिये, घड़े, भगवान गणेश की प्रतिमा, भगवान बुद्ध, प्रभु राम की अद्भुत कलाकृतियां देश-दुनिया में विख्यात हो रही हैं. इन्हें एक विशिष्ट पहचान देने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 'एक जिला एक उत्पाद योजना' (ODOP) के तहत एक बड़ी बाजार उपलब्ध करा दिया है.

पांच साल पहले तक गोरखपुर की माटी की विशिष्ट शिल्प कला टेराकोटा उपेक्षित था. लेकिन, जब सीएम योगी ने इसे ओडीओपी से जोड़ा, तो इसमें पंख लग गए. इसकी डिमांड ऑनलाइन भी बढ़ी हुई है. मिट्टी की ज्वेलरी के बाद भाइयों की कलाइयों पर अब सजने के लिए टेराकोटा की राखियां भी तैयार हो गई हैं. ये राखियां पानी पड़ने के बाद गलने वाली भी नहीं. खास बात यह है कि इस अद्भुत कला को पिरोने के बाद भी इसकी शुरुआत 50 रुपये से हो रही है.

कलाकारों को मिल रहे हैं नए डिजाइन्स के ऑर्डर

डॉ. भावना इन राखियों की एक प्रदर्शनी भी लगा कर लोगों को टेराकोटा के महत्व और उनके कलाकारों के कौशल को बड़ी पहचान देने की कोशिश कर रही हैं. इन कलाकृतियों को तैयार करने वाले कलाकारों का कहना है कि उनके सामने जिस भी तरह की तस्वीर और आकृति रखी जाएगी, वह उसको हूबहू उतार देंगे. उन्हें खुशी है कि उन्हें तरह-तरह के नए डिजाइन के ऑर्डर मिल रहे हैं. जिससे उनका कारोबार लगातार बढ़ रहा है और पहचान भी मिल रही है. इस काम में महिला- पुरुष दोनों शामिल हैं. यहां के मास्टर कलाकार तो दुनिया के कई देशों का भ्रमण भी कर चुके हैं और उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा भी जा चुका है.

बाजार में बढ़ी टेराकोटा के गहने की डिमांड

टेराकोटा की राखियों से पहले इसके गहने भी बाजार में आ चुके हैं, जिसमें नेकलेस, झुमका, बाली, कंगन की मांग बढ़ रही है. इन आभूषणों की सुंदरता महिलाओं का ध्यान अपनी ओर खींच रही है. राखियों के अद्भुत कलेक्शन में जहां भगवान गणेश भाइयों की कलाई पर दमकेंगे. तो वही रुद्राक्ष, शंख के अलावा बर्गर, पिज्जा और डोरेमोन समेत कई तरह की और कलाकृतियां भी इन कलाकारों ने राखी के रूप में तैयार किया है. यह उम्मीद की जा रही है कि अगले वर्ष के रक्षाबंधन में इन राखियों की डिमांड काफी बड़ी होगी.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.