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पद-प्रतिष्ठा बचाने में जुटे डीडीयू के वीसी, प्रोफेसरों और छात्रों ने राजभवन तक पहुंचाई उनकी शिकायत

आर्थिक भ्रष्टाचार, अनियमितता और विभागाध्यक्षों के अधिकारों के हनन का आरोप झेल रहे दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) के कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह की शिकायत राजभवन तक पहुंच चुकी है. 165 शिक्षकों ने उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास किया है. वहीं, अब कुलपति शिक्षकों को मनाने में जुटे हैं.

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पद-प्रतिष्ठा बचाने में जुटे डीडीयू के वीसी
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Published : Jan 8, 2022, 7:35 PM IST

गोरखपुर : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) के कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह अपनी खोई प्रतिष्ठा और पद को बनाये रखने के लिए विश्वविद्यालय के शिक्षकों, छात्रों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के अनुकूल फैसले लेने और मनाने में जुट गए हैं. आर्थिक भ्रष्टाचार, अनियमितता और विभागाध्यक्षों के अधिकारों के हनन का आरोप झेल रहे, कुलपति की शिकायत राजभवन तक क्या पहुंची, 165 शिक्षकों ने उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव क्या पास किया वह मनुहार पर अब उतर आए हैं.

सूत्रों की मानें तो कुलपति की शिकायत को राजभवन ने गंभीर माना है. लेकिन उन पर राजभवन कार्रवाई भी नहीं करना चाह रहा है. ऐसे में उन्हें शिक्षकों और छात्रों के हित में मान-मनौवल के साथ फैसले लेने को कहा गया है. शिक्षक आंदोलन के बीच कुलपति अमेरिका दौरे पर निकल गए थे और एक शिक्षक को सस्पेंड करने के साथ कई और शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस भी जारी कर दिया था, लेकिन इस बीच शिक्षकों ने भी छात्रों के साथ मिलकर उनके अनैतिक कृत्यों के खिलाफ न सिर्फ आवाज बुलंद किया, बल्कि निंदा प्रस्ताव पास किया साथ ही राजभवन से कार्रवाई की मांग पर उतर आए.

उधर जैसे ही कुलपति अमेरिका से लौटे उन्होंने संकाय अध्यक्षों, विभागाध्यक्षों, प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर के साथ अलग अलग मुलाकात की. इस दौरान विश्वविद्यालय के अंदर पठन-पाठन के माहौल को उत्कृष्ट बनाने, आपसी संवाद के माध्यम से समस्याओं के निदान पर विस्तारपूर्वक विमर्श किया. मुलाकात के दौरान कुलपति ने प्रत्येक विभागाध्यक्ष को अपनी बात रखने का मौका देते हुए पूछा कि आप को कुलपति कार्यालय या अपने कुलपति से कोई शिकायत तो नहीं है, जो भी बात होगी उसका संज्ञान लिया जाएगा.


वापस होगा 13 विभागाध्यक्षों को जारी नोटिस, शोध छात्रों को भी मिलेगी सहूलियत

सभी विभागाध्यक्षों ने कहा कि उन्हें कुलपति या कुलपति कार्यालय से व्यक्तिगत समस्या नहीं है. जो है वह विभागीय समस्या है, जिस पर वह चर्चा करना चाहते हैं. सभी ने कुलपति के पहल की सराहना करते हुए कहा कि इसका जितना जल्दी निपटारा हो जाये उतना ही अच्छा. बैठक में कुलपति ने विभागाध्यक्षों से सीबीसीएस सिस्टम को लागू न करने, मीटिंग में न आने पर जारी 13 विभागाध्यक्षों को नोटिस पर विस्तार पूर्वक चर्चा की. उनको वापस लेने का उन्होंने संकेत भी दिया.

कुछ विभागाध्यक्षों ने कहा कि सीबीसीएस पैटर्न पर सराहनीय कार्य हुआ है, उस पर विभागाध्यक्षों को प्रशंसा पत्र भी मिलना चाहिए. जिस पर कुलपति ने सभी विभागाध्यक्षों और संकाय अध्यक्षों को प्रशंसा पत्र जारी करने का निर्देश कुलसचिव को दिया. जबकि ऐसे ही कार्यों में कुलपति की अड़ंगेबाजी की बात शिक्षकों के बीच से आ रही थी. कुलपति ने कहा कि वह सकारात्मक सोच के साथ विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाना चाहते हैं. उनकी अमेरिका से वापसी हुई है. इस यात्रा के दौरान वो अमेरिका की जाॅन होपकिंग यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड काॅलेज पार्क, यूनिवर्सिटी ऑफ नेब्रास्का, गए. इन ख्यातिलब्ध संस्थानों से विश्वविद्यालय को नई उचाईयों पर ले जाने के लिए समझौता करार होगा.

उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में विश्वविद्यालय ने पठन पाठन और शोध के क्षेत्र ज्यादा काम किया है. संकाय अध्यक्षों, विभागाध्यक्षों, शिक्षकों के सहयोग से ही नई शिक्षा नीति के अंतर्गत सीबीसीएस पैर्टन के सिलेबस को तैयार किया गया है. नैक मूल्यांकन और एनआईआरएफ रैंकिंग में अच्छी ग्रेड हासिल करने के लिए प्रयास किया जा रहा है. विश्वविद्यालय के अधिनियम पर ही नियम के अंतर्गत सभी समस्याओं को दूर कराया जाएगा. अनुशासनहीनता के लिए विश्वविद्यालय में जगह नहीं है इसलिए कोई भी अपने साथियों को भड़काए नहीं. सकारात्मक सोच से विश्वविद्यालय का विकास होगा.

ईमेल या मैसेज भेजकर कर सकते हैं मुलाकात

कुलपति ने कहा कि वो सभी से मुलाकात के लिए सर्वथा उपलब्ध हैं. विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी उनसे मुलाकात के लिए उनकी ईमेल आईडी या व्हाट्सएप नंबर पर संदेश भेजकर मिल सकता है. बैठक में उन्होंने ईमेल आईडी और नंबर भी संकायाध्यक्षों, विभागाध्यक्षों और शिक्षकों के साथ साझा किया. उन्होंने कहा कि वो स्वयं इनका अवलोकन करते हैं और जवाब देते हैं. इसके साथ ही सभी विभागाध्यक्षों से हर महीने में एक बैठक भी करने का आश्वासन दिया.

26 जनवरी से पहले प्रमोशन, आवास, पीएचडी इंक्रीमेंट पर निर्णय

एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर की बैठक में प्रमोशन, आवास आवंटन, पीएचडी इंक्रीमेंट, मेडिकम इंश्योरेंस सरीखे अहम मुद्दों पर सार्थक चर्चा हुई. कुलपति ने कहा कि 26 जनवरी से पहले इन समस्याओं का निदान कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि एसोसिएट प्रोफेसर के प्रमोशन और पीएचडी इंक्रीमेंट के मुद्दे पर विचार के लिए तीन संकायाध्यक्ष, कुलसचिव, वित्त अधिकारी की समिति बनाई जाएगी. समिति दो सप्ताह में अपनी रिपोर्ट कुलपति को देगी. एसोसिएट प्रोफेसर के प्रमोशन के लिए एपीआई की गणना कराकर, एक्सपर्ट पैनल लेने की प्रक्रिया को भी पूर्ण किया जाएगा. अप्रैल 2018 में नियुक्ति हासिल करने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर शिक्षकों के प्रमोशन के फार्म को भरवाने की प्रक्रिया भी जल्द प्रारंभ होगी. इसके साथ ही असिस्टेंट प्रोफेसर के आवास आवंटन की प्रक्रिया भी 26 जनवरी तक पूरी की जाएगी.

इसे भी पढ़ें- up assembly election 2022: उत्तर प्रदेश में 7 चरणों में चुनाव होंगे, 10 मार्च को आएंगे नतीजे

सस्पेंड प्रोफेसर कमलेश कुमार गुप्ता को भी मुलाकात के लिए वीसी ने बुलाया

कुलपति प्रो राजेश सिंह ने अपनी तरफ से पहल करते हुए प्रो कमलेश कुमार गुप्त, हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो दीपक त्यागी, पूर्व अध्यक्ष प्रो अनिल राय को आमंत्रित किया है. विभागाध्यक्ष प्रो दीपक त्यागी ने फोन से प्रो. कमलेश कुमार गुप्त को सूचना भी दी, मगर वो नहीं आए. इन्होंने ही तमाम आरोपों के साथ कुलपति को कटघरे में खड़ा किया. उनके खिलाफ धरने पर उतर आए और मामला राजभवन तक जा पहुंचा. उम्मीद जताई जा रही है कुलपति अपने बदले स्वरूप से विश्वविद्यालय में उठे तूफान को थामने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन यह तब सही माना जा सकता है, जब प्रोफेसर कमलेश गुप्ता का निलंबन वापस हो. कुलपति के खिलाफ की गई जांच की मांग पर राजभवन का फैसला सबके सामने हो.

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गोरखपुर : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) के कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह अपनी खोई प्रतिष्ठा और पद को बनाये रखने के लिए विश्वविद्यालय के शिक्षकों, छात्रों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के अनुकूल फैसले लेने और मनाने में जुट गए हैं. आर्थिक भ्रष्टाचार, अनियमितता और विभागाध्यक्षों के अधिकारों के हनन का आरोप झेल रहे, कुलपति की शिकायत राजभवन तक क्या पहुंची, 165 शिक्षकों ने उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव क्या पास किया वह मनुहार पर अब उतर आए हैं.

सूत्रों की मानें तो कुलपति की शिकायत को राजभवन ने गंभीर माना है. लेकिन उन पर राजभवन कार्रवाई भी नहीं करना चाह रहा है. ऐसे में उन्हें शिक्षकों और छात्रों के हित में मान-मनौवल के साथ फैसले लेने को कहा गया है. शिक्षक आंदोलन के बीच कुलपति अमेरिका दौरे पर निकल गए थे और एक शिक्षक को सस्पेंड करने के साथ कई और शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस भी जारी कर दिया था, लेकिन इस बीच शिक्षकों ने भी छात्रों के साथ मिलकर उनके अनैतिक कृत्यों के खिलाफ न सिर्फ आवाज बुलंद किया, बल्कि निंदा प्रस्ताव पास किया साथ ही राजभवन से कार्रवाई की मांग पर उतर आए.

उधर जैसे ही कुलपति अमेरिका से लौटे उन्होंने संकाय अध्यक्षों, विभागाध्यक्षों, प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर के साथ अलग अलग मुलाकात की. इस दौरान विश्वविद्यालय के अंदर पठन-पाठन के माहौल को उत्कृष्ट बनाने, आपसी संवाद के माध्यम से समस्याओं के निदान पर विस्तारपूर्वक विमर्श किया. मुलाकात के दौरान कुलपति ने प्रत्येक विभागाध्यक्ष को अपनी बात रखने का मौका देते हुए पूछा कि आप को कुलपति कार्यालय या अपने कुलपति से कोई शिकायत तो नहीं है, जो भी बात होगी उसका संज्ञान लिया जाएगा.


वापस होगा 13 विभागाध्यक्षों को जारी नोटिस, शोध छात्रों को भी मिलेगी सहूलियत

सभी विभागाध्यक्षों ने कहा कि उन्हें कुलपति या कुलपति कार्यालय से व्यक्तिगत समस्या नहीं है. जो है वह विभागीय समस्या है, जिस पर वह चर्चा करना चाहते हैं. सभी ने कुलपति के पहल की सराहना करते हुए कहा कि इसका जितना जल्दी निपटारा हो जाये उतना ही अच्छा. बैठक में कुलपति ने विभागाध्यक्षों से सीबीसीएस सिस्टम को लागू न करने, मीटिंग में न आने पर जारी 13 विभागाध्यक्षों को नोटिस पर विस्तार पूर्वक चर्चा की. उनको वापस लेने का उन्होंने संकेत भी दिया.

कुछ विभागाध्यक्षों ने कहा कि सीबीसीएस पैटर्न पर सराहनीय कार्य हुआ है, उस पर विभागाध्यक्षों को प्रशंसा पत्र भी मिलना चाहिए. जिस पर कुलपति ने सभी विभागाध्यक्षों और संकाय अध्यक्षों को प्रशंसा पत्र जारी करने का निर्देश कुलसचिव को दिया. जबकि ऐसे ही कार्यों में कुलपति की अड़ंगेबाजी की बात शिक्षकों के बीच से आ रही थी. कुलपति ने कहा कि वह सकारात्मक सोच के साथ विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाना चाहते हैं. उनकी अमेरिका से वापसी हुई है. इस यात्रा के दौरान वो अमेरिका की जाॅन होपकिंग यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड काॅलेज पार्क, यूनिवर्सिटी ऑफ नेब्रास्का, गए. इन ख्यातिलब्ध संस्थानों से विश्वविद्यालय को नई उचाईयों पर ले जाने के लिए समझौता करार होगा.

उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में विश्वविद्यालय ने पठन पाठन और शोध के क्षेत्र ज्यादा काम किया है. संकाय अध्यक्षों, विभागाध्यक्षों, शिक्षकों के सहयोग से ही नई शिक्षा नीति के अंतर्गत सीबीसीएस पैर्टन के सिलेबस को तैयार किया गया है. नैक मूल्यांकन और एनआईआरएफ रैंकिंग में अच्छी ग्रेड हासिल करने के लिए प्रयास किया जा रहा है. विश्वविद्यालय के अधिनियम पर ही नियम के अंतर्गत सभी समस्याओं को दूर कराया जाएगा. अनुशासनहीनता के लिए विश्वविद्यालय में जगह नहीं है इसलिए कोई भी अपने साथियों को भड़काए नहीं. सकारात्मक सोच से विश्वविद्यालय का विकास होगा.

ईमेल या मैसेज भेजकर कर सकते हैं मुलाकात

कुलपति ने कहा कि वो सभी से मुलाकात के लिए सर्वथा उपलब्ध हैं. विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी उनसे मुलाकात के लिए उनकी ईमेल आईडी या व्हाट्सएप नंबर पर संदेश भेजकर मिल सकता है. बैठक में उन्होंने ईमेल आईडी और नंबर भी संकायाध्यक्षों, विभागाध्यक्षों और शिक्षकों के साथ साझा किया. उन्होंने कहा कि वो स्वयं इनका अवलोकन करते हैं और जवाब देते हैं. इसके साथ ही सभी विभागाध्यक्षों से हर महीने में एक बैठक भी करने का आश्वासन दिया.

26 जनवरी से पहले प्रमोशन, आवास, पीएचडी इंक्रीमेंट पर निर्णय

एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर की बैठक में प्रमोशन, आवास आवंटन, पीएचडी इंक्रीमेंट, मेडिकम इंश्योरेंस सरीखे अहम मुद्दों पर सार्थक चर्चा हुई. कुलपति ने कहा कि 26 जनवरी से पहले इन समस्याओं का निदान कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि एसोसिएट प्रोफेसर के प्रमोशन और पीएचडी इंक्रीमेंट के मुद्दे पर विचार के लिए तीन संकायाध्यक्ष, कुलसचिव, वित्त अधिकारी की समिति बनाई जाएगी. समिति दो सप्ताह में अपनी रिपोर्ट कुलपति को देगी. एसोसिएट प्रोफेसर के प्रमोशन के लिए एपीआई की गणना कराकर, एक्सपर्ट पैनल लेने की प्रक्रिया को भी पूर्ण किया जाएगा. अप्रैल 2018 में नियुक्ति हासिल करने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर शिक्षकों के प्रमोशन के फार्म को भरवाने की प्रक्रिया भी जल्द प्रारंभ होगी. इसके साथ ही असिस्टेंट प्रोफेसर के आवास आवंटन की प्रक्रिया भी 26 जनवरी तक पूरी की जाएगी.

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सस्पेंड प्रोफेसर कमलेश कुमार गुप्ता को भी मुलाकात के लिए वीसी ने बुलाया

कुलपति प्रो राजेश सिंह ने अपनी तरफ से पहल करते हुए प्रो कमलेश कुमार गुप्त, हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो दीपक त्यागी, पूर्व अध्यक्ष प्रो अनिल राय को आमंत्रित किया है. विभागाध्यक्ष प्रो दीपक त्यागी ने फोन से प्रो. कमलेश कुमार गुप्त को सूचना भी दी, मगर वो नहीं आए. इन्होंने ही तमाम आरोपों के साथ कुलपति को कटघरे में खड़ा किया. उनके खिलाफ धरने पर उतर आए और मामला राजभवन तक जा पहुंचा. उम्मीद जताई जा रही है कुलपति अपने बदले स्वरूप से विश्वविद्यालय में उठे तूफान को थामने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन यह तब सही माना जा सकता है, जब प्रोफेसर कमलेश गुप्ता का निलंबन वापस हो. कुलपति के खिलाफ की गई जांच की मांग पर राजभवन का फैसला सबके सामने हो.

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