गोरखपुर: क्या ऐसा भी होता है कि हमारी पृथ्वी सर्दियों में सूर्य के सबसे करीब होती हैं? यह सत्य है और इसके वैज्ञानिक आधार भी हैं. पृथ्वी हर साल जनवरी माह की शुरुआत में सूर्य के सबसे करीब होती है. जब उत्तरी गोलार्ध में सर्दियों का मौसम होता है, तो उत्तरी गोलार्ध में सूर्य झुका हुआ होता है. तब पृथ्वी पर सूरज की किरणें तिरछी पड़ती हैं. यह दिन ही पृथ्वी सूर्य के करीब होती है. गोरखपुर नक्षत्रशाला के खगोल वैज्ञानिक अमरपाल सिंह ने बताया कि खगोलीय जगत में जब पृथ्वी सूर्य के सबसे निकट आ जाती है तो इसे पेरिहेलियन भी कहा जाता है. पेरिहेलियन शब्द ग्रीक से आया है, जिसमें पैरि का अर्थ निकट और हेलियन का अर्थ सूर्य है.
खगोल वैज्ञानिक ने कहा कि सौर्य मंडल में परिक्रमा करने वाले आकाशीय पिंड या प्राकृतिक पिंड, पूर्णतया वृताकार पथ में नहीं बल्कि वे सभी अंडाकार या दीर्घ वृत्ताकार पथ में परिक्रमा कर रहे होते हैं. धरती भी सूर्य की परिक्रमा अंडाकार पथ में करती है, जिसका अर्थ है कि पथ पर एक बिंदु सूर्य के सबसे निकट और एक बिंदु सूर्य से सबसे दूर होता है.
उन्होंने बताया कि वर्ष 2024 का निकटतम बिंदु 3 जनवरी को आ रहा है. जनवरी की शुरुआत में ही पृथ्वी सूर्य से लगभग 3 प्रतिशत करीब है, जो लगभग (147.01 मिलियन किलोमीटर) दूर है. पेरिहेलियन मोटे तौर पर दिसंबर संक्रांति के लगभग 2 सप्ताह बाद होता है. सूर्य से दूरी ऋतु परिवर्तन का कारण नहीं बनती, बल्कि यह पृथ्वी का अक्षीय झुकाव 23.5 डिग्री है जो पृथ्वी पर ऋतुओं के परिवर्तन का कारण बनता है. उन्होंने कहा कि उत्तरी गोलार्ध में सूर्य की रोशनी सीधी सबसे कम पड़ती है, इसलिए सर्दी का सामना करना पड़ता है.
वैज्ञानिक ने कहा बताया कि वर्ष 2024 में कई तरह की खगोलीय घटनाएं और घटेंगी. 3 और 4 जनवरी को उल्का बौछार देखने को मिल सकती है. वहीं, 25 मार्च 2024 को पहला चंद्र ग्रहण लगेगा. हालांकि भारत में यह दिखाई नहीं देगा, लेकिन पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, उत्तरी और दक्षिण अमेरिका में दिखाई देगा. इसी प्रकार 8 अप्रैल 2024 को वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण भी लगेगा और यह भी भारत में दिखाई नहीं देगा. अगस्त, सितंबर और अक्टूबर महीने में भी कई खगोलीय घटनाएं घटेंगी.
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