गोरखपुरः नगर निगम सीमा के विस्तार के बाद इसमें शामिल हुए जिले के 32 गांवों के विकास की सूरत अब बदलेगी. योगी सरकार ने पिछले वर्ष गोरखपुर के इन गांवों को नगर निगम सीमा में शामिल करने की घोषणा की थी लेकिन इसकी अधिसूचना काफी देर से जारी हुई थी. अब जब नवंबर तक नगर निकाय के चुनाव होने हैं तो शासन ने बढ़े हुए गांवों की वजह से 70 वार्डों की जगह 80 वार्डों की संख्या निर्धारित कर दी है, जब निर्देश शासन से हुआ है तो नगर आयुक्त ने भी सीमा क्षेत्र में शामिल हुए 32 गांव की विकास प्रक्रिया के साथ 80 वार्ड के हिसाब से परिसीमन पर काम करना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि इस सम्बंध मे शासन से जो भी दिशा-निर्देश मिलेंगे उसके हिसाब से कार्य होगा.
निश्चित रूप से जिन गांवों को नगर निगम सीमा में शामिल किया गया है वहां विकास की बहुत ही जरूरत है क्योंकि नगरीय सीमा क्षेत्र से सटे होने की वजह से यहां तमाम कालोनियां पिछले 15 सालों में विकसित हो चुकी हैं. सड़क, नाली, स्ट्रीट लाईट, सीवर, सफाई कूड़ा निस्तारण जैसी समस्याओं से ये गांव ग्रस्त हैं. बहुत लंबे समय से गोरखपुर नगर निगम सीमा विस्तार की बात चल रही थी. सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसे अमल में लाया है.
इसके बाद इन गांवों में जरूरी सुविधाओं के विकास के लिए बजट का प्रावधान हुआ और करीब एक सौ दस करोड़ की विभिन्न विकास परियोजनाओं को इन गावों में संचालित करना भी शुरू कर दिया गया है. उनका कहना है कि चुनाव के बाद यह गांव नगर निगम के वार्ड के रूप मे काम करने लगेंगे. यहां पर जब जरूरी सुविधाएं बढ़ेगी तो निवासियों को टैक्स के दायरे में लाया जाएगा. लोगों को हाउस टैक्स, वाटर टैक्स नगर निगम को देना होगा. इस परिसीमन के बाद अब नगरीय क्षेत्र की कुल जनसंख्या 7 लाख से अधिक हो गई है.
नगर निगम सीमा में जो गांव शामिल किए गए हैं उनमें जंगल सिकरी, सूबा बाजार उर्फ खोराबार, रानीडीहा,सेंदुलि-बेन्दुली, हरसेवक पुरम, भरवलिया बुजुर्ग, कजाकपुर, बडगो, मनहट, गायघाट बुजुर्ग,पथरा,रानीबाग, सेमरा देवी प्रसाद, गुलरिहा,मुडिला, खुटहन,करमहा,जंगल तिकोनीया नम्बर एक, जंगल बहादुर अली, मोइनुद्दीन चक, चकरा सेयम, रामपुर तप्पा, कठवतिया, पिपरा, झरवा,लक्ष्मीपुर तप्पा, उमरपुर तप्पा, जंगल हकीम नम्बर दो और सन्झाई जैसे गांव शामिल हैं. यह सभी गोरखपुर शहर या कहें नगर निगम की सीमा से सटे हुए हैं, जहां दूसरे शहरों के अलावा बिहार से भी तमाम लोग आकर नवसृजित कालोनियों मे बसे हैं. यहां सुविधाओं के अब रफ्तार पकड़ने की उम्मीद बढ़ेगी.
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