गोरखपुर: राइट टू इनफार्मेशन (RTI) यह अधिकार तो लोगों को मिल गया है, लेकिन जरूरी नहीं कि इसका उपयोग करके किसी आवेदक को समय से सूचना ही मिल जाए. क्योंकि ऐसे तमाम मामले सामने दिखाई दे रहे हैं जिसमें जन सूचना अधिकारी अर्थदंड से दंडित होना तो कबूल कर रहे हैं, लेकिन सूचनाओं को देने में वह तेजी नहीं दिखा रहे हैं. योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर और मंडल में करीब 200 अधिकारी ऐसे चिह्नित किए गए हैं, जिनके ऊपर सूचना न देने के एवज में 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा चुका है. लेकिन यह न तो है जुर्माना चुका रहे हैं और न ही सूचना दे रहे हैं. यही नहीं राज्य सूचना मुख्यालय पहुंचकर ऐसे मामलों में वह अपना स्पष्टीकरण भी नहीं दे रहे हैं. इसका खुलासा खुद राज्य सूचना आयुक्त सुभाष चंद्र सिंह ने गोरखपुर में मीडिया से बातचीत के दौरान किया है.
राज्य सूचना आयुक्त सुभाष चंद्र सिंह ने गोरखपुर मंडल के जन सूचना अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद इस कानून के अक्षरशः पालन करने की सलाह और हिदायत दिया. इसके साथ ही आरटीआई एक्टिविस्ट द्वारा बड़ी तादाद में सूचनाओं को मांगा जाना लोकहित में नहीं बताया. उन्होंने जन सूचना अधिकारियों से अपेक्षा किया कि अगर कोई सूचना देना संभव नहीं है तो आवेदक को समय से बता दिया जाए, मामलों को लंबित न रखा जाए.
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सुभाष चंद्र सिंह ने कहा कि सभी विभागों में जन सूचना का रजिस्टर अनिवार्य रूप से बनाया जाए. प्राप्त होने वाले आवेदन एवं निस्तारण की जानकारी रजिस्टर में जरूर अंकित की जाए. उन्होंने अधिकारियों द्वारा सूचना देने में बड़ी लापरवाही बरतने को घोर लापरवाही करार दिया और कहा कि निश्चित रूप से इस तरह की गतिविधि अधिकारियों की कानून के प्रति गंभीरता का न होना दर्शाता है. यही वजह है कि ऐसे अधिकारियों पर काम में उदासीनता के कारण कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि उचित व जनता से जुड़े मुद्दों पर आरटीआई लगाई जानी चाहिए न कि विभागों को परेशान करने के उद्देश्य से.