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Gorakhpur Development Authority अवैध प्लाटिंग पर लैंड पूलिंग योजना से लगाएगी लगाम

गोरखपुर विकास प्राधिकरण (Gorakhpur Development Authority) अवैध प्लाटिंग पर लैंड पूलिंग योजना से लगाम लगाएगा.

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गोरखपुर विकास प्राधिकरण Gorakhpur Development Authority लैंड पूलिंग योजना गोरखपुर में लैंड पूलिंग योजना Land Pooling Scheme in Gorakhpurट
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Published : Mar 13, 2023, 11:45 AM IST

गोरखपुर: अनियोजित कॉलोनियों के विकास को रोकने, मकान और प्लाट के इच्छुक लोगों को, सुविधाओं से युक्त स्थान देने के लिए, गोरखपुर विकास प्राधिकरण यानी कि जीडीए, शासन की लैंड पूलिंग योजना का सहारा लेगा. इसके जरिए जहां वह उन काश्तकारों से जमीन लेकर उसे विकसित करेगा, जहां पर जरूरी सुविधाओं सड़क, बिजली, जल निकासी के साथ लोगों को प्लाट और आवास मुहैया हो सकेगा. इस योजना (Land Pooling Scheme in Gorakhpur) के तहत काश्तकार मिलकर अपनी जमीन विकसित करने के लिए जीडीए का सहारा ले सकते है.

इस योजना का लाभ लेने के लिए न्यूनतम 25 एकड़ भूमि का होना जरूरी है. इसमें ढांचागत सुविधा विकसित करने के बाद जीडीए, कस्तकार को जमीन का 25% हिस्सा दे देगा. इसको वह उचित मूल्य पर बेचकर लाभ भी कमा सकेगा. शेष जीडीए बेचेगा. जमीन की खरीदारी में फ्रॉड, धोखाधड़ी के लोग शिकार होते हैं. अवैध रूप से प्लाटिंग करने वाले खरीदार को, सभी जरूरी सुविधाओं के विकसित करने का प्रलोभन देकर, प्लाट बेचकर चले जाते हैं. इससे यहां बसने वाले लोगों का जीवन मूलभूत सुविधाओं के लिए संकट हो जाता है. ऐसी अनियोजित कॉलोनियों में गोरखपुर विकास प्राधिकरण भी विकास नहीं कर पाता, क्योंकि बजट का अभाव होता है.

अब लैंड पूलिंग योजना के तहत वह अवैध प्लाटिंग की ही समस्या को खत्म कर देगा. शहर का कोई भी बाहरी क्षेत्र ऐसा नहीं होगा जहां अवैध रूप से प्लाटिंग न की गई हो. लेकिन खरीदार को सड़क, नाली, बिजली कि सुविधा नहीं मिल पाती है. उचित भू उपयोग न होने के कारण और गोरखपुर विकास प्राधिकरण द्वारा, उक्त भूमि का रेरा के तहत पंजीकरण और डेवलपमेंट शुल्क भी नहीं किया जाता है, जिससे विकास प्रभावित होता है.

अब विकास प्राधिकरण ऐसे लोगों को लैंड पूलिंग योजना के तहत शिकंजा कसने जा रहा है. जीडीए के उपाध्यक्ष महेंद्र सिंह तंवर कहा है कि जीडीए ने तय किया है कि नई महायोजना 2031 के अनुसार जो क्षेत्र आवासीय घोषित होंगे, वहां के किसानों से उनकी सहमति पर जमीन ली जाएगी. विकसित करने के बाद 25% जमीन उसे बिक्री करने के लिए दिया जाएगा. इससे उनका बड़ा लाभ होगा. बाकी जमीन जीडीए बेचेगा. इससे लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा.

इस पूरी जमीन में 15% जगह पार्क, हरित क्षेत्र के लिए भी विकसित किया जाएगा. क्या है लैंड पूलिंग योजना: इसमें कुछ किसान मिलकर अपनी जमीन बेचने का मन बनाते हैं तो निर्धारित पत्र पर उन्हें, शपथ पत्र के साथ जीडीए में आवेदन करना होगा. जमीन की लोकेशन का जीडीए द्वारा निरीक्षण किया जाएगा. संतुष्ट होने का प्रस्ताव स्वीकार किया जाएगा. जीडीए और भू स्वामी किसानों के बीच पंजीकृत विकास अनुबंध करना होगा. जिस पर कोई स्टैंप शुल्क नहीं लगेगा.

अनुबंध योजना तब प्रभावी होगी जिसमें लिखित किया जाएगा कि लैंड पूलिंग योजना से, दोनों पक्ष सहमत हैं. इसमें लगभग 50 प्रतिशत भूमि विकास कार्य और खुले क्षेत्र के रूप में उपयोग होगी. शेष 25 प्रतिशत भूमि किसानों को दे दी जाएगी. जो जमीन दी जाएगी उसका भू उपयोग आवासीय होगा. किसान को दी जाने वाली जमीन सड़क पर होगी. जिससे उस जमीन का किसान सदुपयोग कर सकेगा.

ये भी पढ़ें- UP: काशी विश्वनाथ में बाबा के स्पर्श दर्शन के लिए अब देना होगा शुल्क

गोरखपुर: अनियोजित कॉलोनियों के विकास को रोकने, मकान और प्लाट के इच्छुक लोगों को, सुविधाओं से युक्त स्थान देने के लिए, गोरखपुर विकास प्राधिकरण यानी कि जीडीए, शासन की लैंड पूलिंग योजना का सहारा लेगा. इसके जरिए जहां वह उन काश्तकारों से जमीन लेकर उसे विकसित करेगा, जहां पर जरूरी सुविधाओं सड़क, बिजली, जल निकासी के साथ लोगों को प्लाट और आवास मुहैया हो सकेगा. इस योजना (Land Pooling Scheme in Gorakhpur) के तहत काश्तकार मिलकर अपनी जमीन विकसित करने के लिए जीडीए का सहारा ले सकते है.

इस योजना का लाभ लेने के लिए न्यूनतम 25 एकड़ भूमि का होना जरूरी है. इसमें ढांचागत सुविधा विकसित करने के बाद जीडीए, कस्तकार को जमीन का 25% हिस्सा दे देगा. इसको वह उचित मूल्य पर बेचकर लाभ भी कमा सकेगा. शेष जीडीए बेचेगा. जमीन की खरीदारी में फ्रॉड, धोखाधड़ी के लोग शिकार होते हैं. अवैध रूप से प्लाटिंग करने वाले खरीदार को, सभी जरूरी सुविधाओं के विकसित करने का प्रलोभन देकर, प्लाट बेचकर चले जाते हैं. इससे यहां बसने वाले लोगों का जीवन मूलभूत सुविधाओं के लिए संकट हो जाता है. ऐसी अनियोजित कॉलोनियों में गोरखपुर विकास प्राधिकरण भी विकास नहीं कर पाता, क्योंकि बजट का अभाव होता है.

अब लैंड पूलिंग योजना के तहत वह अवैध प्लाटिंग की ही समस्या को खत्म कर देगा. शहर का कोई भी बाहरी क्षेत्र ऐसा नहीं होगा जहां अवैध रूप से प्लाटिंग न की गई हो. लेकिन खरीदार को सड़क, नाली, बिजली कि सुविधा नहीं मिल पाती है. उचित भू उपयोग न होने के कारण और गोरखपुर विकास प्राधिकरण द्वारा, उक्त भूमि का रेरा के तहत पंजीकरण और डेवलपमेंट शुल्क भी नहीं किया जाता है, जिससे विकास प्रभावित होता है.

अब विकास प्राधिकरण ऐसे लोगों को लैंड पूलिंग योजना के तहत शिकंजा कसने जा रहा है. जीडीए के उपाध्यक्ष महेंद्र सिंह तंवर कहा है कि जीडीए ने तय किया है कि नई महायोजना 2031 के अनुसार जो क्षेत्र आवासीय घोषित होंगे, वहां के किसानों से उनकी सहमति पर जमीन ली जाएगी. विकसित करने के बाद 25% जमीन उसे बिक्री करने के लिए दिया जाएगा. इससे उनका बड़ा लाभ होगा. बाकी जमीन जीडीए बेचेगा. इससे लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा.

इस पूरी जमीन में 15% जगह पार्क, हरित क्षेत्र के लिए भी विकसित किया जाएगा. क्या है लैंड पूलिंग योजना: इसमें कुछ किसान मिलकर अपनी जमीन बेचने का मन बनाते हैं तो निर्धारित पत्र पर उन्हें, शपथ पत्र के साथ जीडीए में आवेदन करना होगा. जमीन की लोकेशन का जीडीए द्वारा निरीक्षण किया जाएगा. संतुष्ट होने का प्रस्ताव स्वीकार किया जाएगा. जीडीए और भू स्वामी किसानों के बीच पंजीकृत विकास अनुबंध करना होगा. जिस पर कोई स्टैंप शुल्क नहीं लगेगा.

अनुबंध योजना तब प्रभावी होगी जिसमें लिखित किया जाएगा कि लैंड पूलिंग योजना से, दोनों पक्ष सहमत हैं. इसमें लगभग 50 प्रतिशत भूमि विकास कार्य और खुले क्षेत्र के रूप में उपयोग होगी. शेष 25 प्रतिशत भूमि किसानों को दे दी जाएगी. जो जमीन दी जाएगी उसका भू उपयोग आवासीय होगा. किसान को दी जाने वाली जमीन सड़क पर होगी. जिससे उस जमीन का किसान सदुपयोग कर सकेगा.

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