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गोरखपुर का ऐतिहासिक 118 साल पुराना कलेक्ट्रेट भवन हुआ नीलाम, ये हैं खास वजहें - gorakhpur news

118 साल का इतिहास समेटे गोरखपुर का ऐतिहासिक और बेहतरीन वास्तु कला का नमूना पेश करने वाला कलेक्ट्रेट भवन नीलाम हो गया है. अंग्रेजी हुकूमत से लेकर आजाद भारत का झंडा इस कलेक्ट्रेट भवन पर फहराया गया था. लेकिन अब यह अपने वजूद में दिखाई नहीं देगा, इसका पूरा स्वरूप ध्वस्त किया जाएगा.

गोरखपुर का कलेक्ट्रेट भवन
गोरखपुर का कलेक्ट्रेट भवन
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Published : Mar 25, 2021, 12:10 PM IST

गोरखपुर : गोरखपुर का ऐतिहासिक कलेक्ट्रेट भवन नीलाम हो गया है. इसका पूरा स्वरूप ध्वस्त किया जाएगा. ध्वस्तीकरण के लिए 52 लाख 21 हजार में इसकी नीलामी हुई है. इसके नीलामी के पीछे की जो खास वजह है, वो ये है कि जिस स्थान पर यह ऐतिहासिक कलेक्टर भवन है वहां पर प्रदेश की योगी सरकार ने नए और इंटीग्रेटेड भवन बनाए जाने का बजट पास कर दिया है. जिसके बाद इस पुराने भवन को तोड़ा जाएगा. इसके मलबे को हटाया जाएगा, जिसके लिए इसकी नीलामी हुई है. जब तक नया कलेक्ट्रेट भवन नहीं बन जाएगा, यहां के क्षेत्रीय पर्यटन कार्यालय में जिलाधिकारी और एसएसपी बैठकर अपने कार्यों का संचालन करेंगे.

118 साल पुराना है कलक्ट्रेट भवन, 65 जिलाधिकारियों ने यहां से निभाई है अपनी भूमिका

इस कलेक्ट्रेट भवन की नींव 1903 में पड़ी थी. यह 7 साल में बनकर तैयार हुआ था. कई तरह के जुल्म और संघर्ष का यह गवाह भी रहा है. ब्रिटिश हुकूमत के पहले अंग्रेज अफसर रुटलेज से लेकर इंडियन सिविल सर्विसेज के अफसर ईडीबी मास और आईयू एलेग्जेंडर के फरमान की गवाह रहा है यह भवन. कलेक्ट्रेट की दीवारों ने उन फैसलों को भी सुना है जो चौरी-चौरा कांड, शहीद रामप्रसाद बिस्मिल को फांसी देने के बाद हालात को काबू करने के लिए किए गए थे. इस बिल्डिंग में अब तक 1940 से लेकर 2021 तक कुल 65 जिलाधिकारी बैठ चुके हैं. ब्रिटिश वास्तुकला और चूना-सुर्खी की चिनाई वाले इस कलेक्ट्रेट की दीवारें अभी भी काफी मजबूत हैं. आजादी के बाद पहली बार 1947 में कलेक्टर की कुर्सी पर डीपी सिंह बैठे थे. इसके बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर आईएएस सुरति नारायण मणि त्रिपाठी 2 साल तक यहां के कलेक्टर रहे.

इसे भी पढे़ं- सरकार ने स्कूल बंद करने का दिया आदेश तो गुरुजी को आया गुस्सा

एक परिसर में होगा डीएम, एसएसपी समेत जिलास्तरीय अधिकारियों का कार्यालय

शहर के बीचो-बीच स्थित इस कलेक्ट्रेट भवन को तोड़कर जो नया इंटीग्रेटेड भवन बनाया जाएगा, उसके दूसरे तल पर डीएम कोर्ट होगा. भूकंप रोधी तकनीक से बनने वाले भवन में 100 से ज्यादा वाहनों के पार्किंग की व्यवस्था होगी और लिफ्ट लगेगी. तीसरी मंजिल पर मालखाना होगा. यहीं राजस्व रिकॉर्ड रखने की व्यवस्था, बैरक, लाइब्रेरी, भूमि अध्यापित अधिकारी का कार्यालय, स्ट्रांग रूम, न्यायिक रिकॉर्ड रूम, स्टेशनरी और किचन आदि बनाया जाएगा. जिलाधिकारी के विजयेंद्र पांडियन की माने तो शासन के निर्देश पर नए भवन के निर्माण के लिए जो प्रस्ताव तैयार करके भेजा गया था उस पर मुहर लगी है. करीब 21 करोड़ रुपए की लागत से नया इंटीग्रेटेड भवन बनकर तैयार होगा. यहां पर जिला प्रशासन और पुलिस से जुड़े हुए सभी अधिकारियों का कार्यालय एक ही परिसर में होगा, जिससे दूरदराज से आने वाले फरियादियों को एक ही जगह पर सारी सुविधाएं और सेवाएं प्राप्त होंगी. इस भवन को बनने में करीब तीन साल का वक्त लगेगा.

गोरखपुर : गोरखपुर का ऐतिहासिक कलेक्ट्रेट भवन नीलाम हो गया है. इसका पूरा स्वरूप ध्वस्त किया जाएगा. ध्वस्तीकरण के लिए 52 लाख 21 हजार में इसकी नीलामी हुई है. इसके नीलामी के पीछे की जो खास वजह है, वो ये है कि जिस स्थान पर यह ऐतिहासिक कलेक्टर भवन है वहां पर प्रदेश की योगी सरकार ने नए और इंटीग्रेटेड भवन बनाए जाने का बजट पास कर दिया है. जिसके बाद इस पुराने भवन को तोड़ा जाएगा. इसके मलबे को हटाया जाएगा, जिसके लिए इसकी नीलामी हुई है. जब तक नया कलेक्ट्रेट भवन नहीं बन जाएगा, यहां के क्षेत्रीय पर्यटन कार्यालय में जिलाधिकारी और एसएसपी बैठकर अपने कार्यों का संचालन करेंगे.

118 साल पुराना है कलक्ट्रेट भवन, 65 जिलाधिकारियों ने यहां से निभाई है अपनी भूमिका

इस कलेक्ट्रेट भवन की नींव 1903 में पड़ी थी. यह 7 साल में बनकर तैयार हुआ था. कई तरह के जुल्म और संघर्ष का यह गवाह भी रहा है. ब्रिटिश हुकूमत के पहले अंग्रेज अफसर रुटलेज से लेकर इंडियन सिविल सर्विसेज के अफसर ईडीबी मास और आईयू एलेग्जेंडर के फरमान की गवाह रहा है यह भवन. कलेक्ट्रेट की दीवारों ने उन फैसलों को भी सुना है जो चौरी-चौरा कांड, शहीद रामप्रसाद बिस्मिल को फांसी देने के बाद हालात को काबू करने के लिए किए गए थे. इस बिल्डिंग में अब तक 1940 से लेकर 2021 तक कुल 65 जिलाधिकारी बैठ चुके हैं. ब्रिटिश वास्तुकला और चूना-सुर्खी की चिनाई वाले इस कलेक्ट्रेट की दीवारें अभी भी काफी मजबूत हैं. आजादी के बाद पहली बार 1947 में कलेक्टर की कुर्सी पर डीपी सिंह बैठे थे. इसके बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर आईएएस सुरति नारायण मणि त्रिपाठी 2 साल तक यहां के कलेक्टर रहे.

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शहर के बीचो-बीच स्थित इस कलेक्ट्रेट भवन को तोड़कर जो नया इंटीग्रेटेड भवन बनाया जाएगा, उसके दूसरे तल पर डीएम कोर्ट होगा. भूकंप रोधी तकनीक से बनने वाले भवन में 100 से ज्यादा वाहनों के पार्किंग की व्यवस्था होगी और लिफ्ट लगेगी. तीसरी मंजिल पर मालखाना होगा. यहीं राजस्व रिकॉर्ड रखने की व्यवस्था, बैरक, लाइब्रेरी, भूमि अध्यापित अधिकारी का कार्यालय, स्ट्रांग रूम, न्यायिक रिकॉर्ड रूम, स्टेशनरी और किचन आदि बनाया जाएगा. जिलाधिकारी के विजयेंद्र पांडियन की माने तो शासन के निर्देश पर नए भवन के निर्माण के लिए जो प्रस्ताव तैयार करके भेजा गया था उस पर मुहर लगी है. करीब 21 करोड़ रुपए की लागत से नया इंटीग्रेटेड भवन बनकर तैयार होगा. यहां पर जिला प्रशासन और पुलिस से जुड़े हुए सभी अधिकारियों का कार्यालय एक ही परिसर में होगा, जिससे दूरदराज से आने वाले फरियादियों को एक ही जगह पर सारी सुविधाएं और सेवाएं प्राप्त होंगी. इस भवन को बनने में करीब तीन साल का वक्त लगेगा.

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