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कंबल आपूर्ति की रेस से बाहर हुआ गांधी आश्रम, दूसरी फर्म से कंबल लेगा प्रशासन

गरीबों के बीच बंटने वाले कंबल की सप्लाई का टेंडर इस बार गांधी आश्रम को नहीं मिला. हर बार की तरह इस बार भी गांधी आश्रम को उम्मीद थी कि गरीबों के बीच बंटने वाले कंबल का टेंडर उसे ही मिलेगा. आखिर गांधी आश्रम किस वजह से टेंडर पाने में चूक गया? पढ़िए यह रिपोर्ट.

गांधी आश्रम
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Published : Dec 2, 2020, 4:37 PM IST

गोरखपुर : कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे गांधी आश्रम के हाथ से इस बार ठंड के मौसम में गरीबों के बीच वितरित किए जाने वाले कंबल की आपूर्ति का काम भी छिन गया है. राजस्व विभाग ने इसकी आपूर्ति के लिए टेंडर की जो प्रक्रिया बनाई थी, उसमें गांधी आश्रम फिट नहीं बैठ रहा था. यही वजह है कि पिछले वर्षों में कंबल की सप्लाई देता आ रहा गांधी आश्रम एक प्राइवेट फर्म के आगे इस आपूर्ति को पाने से वंचित हो गया.

कंबल आपूर्ति की रेस से बाहर हुआ गांधी आश्रम
गरीबों में बंटने वाले कंबल की होगी ऑनलाइन मॉनिटरिंगदरअसल सरकारी महकमे में किसी भी चीज की आपूर्ति जेम पोर्टल के जरिए की जा रही है. इसी पोर्टल से कंबल की खरीद की जानी थी. इसके लिए संबंधित फर्म को पहले अपने उत्पाद का पंजीकरण जेम पोर्टल पर कराना होता है. कोरोना के संकट से जूझ रहा गांधी आश्रम इस पोर्टल पर अपने उत्पाद का पंजीकरण कराने में असफल हो गया. साथ ही उसे इस बात का भान था कि पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी सरकार की तरफ से उसके कंबल की खरीदारी की जाएगी. लेकिन नियमों के जाल में वह फंस गया और टेंडर की प्रक्रिया का भी हिस्सा नहीं बन पाया. जिन कंपनियों ने टेंडर डाला उनकी संख्या 28 थी, जिनमें से पांच कंपनियां अंतिम दौर में पहुंची और अंततः दो फर्मों को सप्लाई का ऑर्डर मिल गया.

ऑनलाइन डेटा होगा तैयार

जिले के अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व राजेश कुमार सिंह ने कहा कि जो संस्था टेंडर में ही शामिल नहीं हुई, वह तो बाहर हो ही जाएगी. फिलहाल जरूरतमंद लोगों के बीच कंबल का वितरण शुरू करने के लिए 8 हजार कंबल मंगा लिए गये हैं. जिन्हें कंबल मिलेगा उनका ऑनलाइन डेटा भी तैयार किया जाएगा.

जिले के हर तहसील में बंटेंगे 30 हजार कंबल

गोरखपुर में तहसीलों के माध्यम से करीब 30 हजार से अधिक कंबल की खरीद और उनका वितरण किया जाना है. इस बार जो फर्म आपूर्ति कर रही है वह 360 रुपये में एक कंबल देगी, जबकि पिछली बार इसकी खरीदारी 406 रुपये में की गई थी. फिलहाल अभी 8000 कंबल दोनों फर्मों के माध्यम से मंगाकर प्रशासन बंटवाने में जुटा है. वहीं इस प्रक्रिया से बाहर हुआ गांधी आश्रम अगले दौर में ना पिछड़े, इसके लिए जेम पोर्टल पर उसने अपना पंजीकरण करा लिया है. क्षेत्रीय गांधी आश्रम के मंत्री विशेश्वर तिवारी ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि कोरोना काल में उन्हें अत्यधिक घाटा हुआ है. इस टेंडर से बाहर होने का भी दुःख है. साथ ही अत्यधिक भरोसा भी लापरवाही का कारण बना.

गोरखपुर : कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे गांधी आश्रम के हाथ से इस बार ठंड के मौसम में गरीबों के बीच वितरित किए जाने वाले कंबल की आपूर्ति का काम भी छिन गया है. राजस्व विभाग ने इसकी आपूर्ति के लिए टेंडर की जो प्रक्रिया बनाई थी, उसमें गांधी आश्रम फिट नहीं बैठ रहा था. यही वजह है कि पिछले वर्षों में कंबल की सप्लाई देता आ रहा गांधी आश्रम एक प्राइवेट फर्म के आगे इस आपूर्ति को पाने से वंचित हो गया.

कंबल आपूर्ति की रेस से बाहर हुआ गांधी आश्रम
गरीबों में बंटने वाले कंबल की होगी ऑनलाइन मॉनिटरिंगदरअसल सरकारी महकमे में किसी भी चीज की आपूर्ति जेम पोर्टल के जरिए की जा रही है. इसी पोर्टल से कंबल की खरीद की जानी थी. इसके लिए संबंधित फर्म को पहले अपने उत्पाद का पंजीकरण जेम पोर्टल पर कराना होता है. कोरोना के संकट से जूझ रहा गांधी आश्रम इस पोर्टल पर अपने उत्पाद का पंजीकरण कराने में असफल हो गया. साथ ही उसे इस बात का भान था कि पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी सरकार की तरफ से उसके कंबल की खरीदारी की जाएगी. लेकिन नियमों के जाल में वह फंस गया और टेंडर की प्रक्रिया का भी हिस्सा नहीं बन पाया. जिन कंपनियों ने टेंडर डाला उनकी संख्या 28 थी, जिनमें से पांच कंपनियां अंतिम दौर में पहुंची और अंततः दो फर्मों को सप्लाई का ऑर्डर मिल गया.

ऑनलाइन डेटा होगा तैयार

जिले के अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व राजेश कुमार सिंह ने कहा कि जो संस्था टेंडर में ही शामिल नहीं हुई, वह तो बाहर हो ही जाएगी. फिलहाल जरूरतमंद लोगों के बीच कंबल का वितरण शुरू करने के लिए 8 हजार कंबल मंगा लिए गये हैं. जिन्हें कंबल मिलेगा उनका ऑनलाइन डेटा भी तैयार किया जाएगा.

जिले के हर तहसील में बंटेंगे 30 हजार कंबल

गोरखपुर में तहसीलों के माध्यम से करीब 30 हजार से अधिक कंबल की खरीद और उनका वितरण किया जाना है. इस बार जो फर्म आपूर्ति कर रही है वह 360 रुपये में एक कंबल देगी, जबकि पिछली बार इसकी खरीदारी 406 रुपये में की गई थी. फिलहाल अभी 8000 कंबल दोनों फर्मों के माध्यम से मंगाकर प्रशासन बंटवाने में जुटा है. वहीं इस प्रक्रिया से बाहर हुआ गांधी आश्रम अगले दौर में ना पिछड़े, इसके लिए जेम पोर्टल पर उसने अपना पंजीकरण करा लिया है. क्षेत्रीय गांधी आश्रम के मंत्री विशेश्वर तिवारी ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि कोरोना काल में उन्हें अत्यधिक घाटा हुआ है. इस टेंडर से बाहर होने का भी दुःख है. साथ ही अत्यधिक भरोसा भी लापरवाही का कारण बना.

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