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दुनिया में चमक बिखेर रहा टेराकोटा का उत्पाद, दिवाली में बढ़ी डिमांड

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Published : Nov 12, 2020, 12:38 PM IST

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब से टेराकोटा उत्पाद को 'वन डिस्टिक वन उत्पाद' की श्रेणी में टॉप स्थान दिया है तभी से इसकी डिमांड और बढ़ गई है. दिवाली के अवसर पर बाजारों में लोग टेराकोटा के बने उत्पाद की खूब खरीदारी कर रहे हैं.

टेराकोटा के उत्पाद.
टेराकोटा के उत्पाद.

गोरखपुर : आकर्षक कलाकृतियों और रंगों के बल पर पूरी दुनिया में अपनी विशेष पहचान बनाने वाला गोरखपुर का टेराकोटा उत्पाद दिवाली के अवसर पर भी धूम मचा रहा है. टेराकोटा उत्पाद की डिमांड इतनी बढ़ गई है कि इसके निर्माण में जुटे कलाकार पूरी तरह से आपूर्ति भी नहीं दे पा रहे हैं.

टेराकोटा के उत्पाद.
टेराकोटा के उत्पाद.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब से टेराकोटा उत्पाद को 'वन डिस्टिक वन उत्पाद' की श्रेणी में टॉप स्थान दिया है तभी से इसकी डिमांड और बढ़ गई है. यही नहीं योगी सरकार ने इस उत्पाद से जुड़े कलाकारों के हुनर और कौशल के साथ जरूरी संसाधन को बढ़ाने में भी योगदान दिया है, जिससे इस उत्पाद को बाजारों में उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन से लेकर जिला उद्योग केंद्र भी शिद्दत से जुटा हुआ है. यही वजह है कि प्रकाश पर्व दिवाली के अवसर पर टेराकोटा की कलाकृतियां पटाखों के स्टाल के बीच भी बेची जा रहीं. सबसे खास बात यह है कि इन मूर्तियों को हाथ से बनाया जाता हैं. इसमें प्राकृतिक रंगों का प्रयोग होता है और इसकी चमक लंबे समय तक बरकार रहती है.

दिवाली में बढ़ी टेराकोटा के उत्पादों की मांग.

कलाकारों को पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम कर चुके हैं सम्मानित

गोरखपुर जिला मुख्यालय से करीब 16 किलोमीटर दूर औरंगाबाद गांव में एक विशेष प्रकार की मिट्टी से यह उत्पाद (टेराकोटा) तैयार किया जाता है. इस उत्पाद में सबसे खास बात इसके रंगाई की होती है, जो विशेष चमक लिए होती है. इस गांव के हर घर में इन मूर्तियों के बनाने वाले कलाकार हैं. करीब 3 पीढ़ियां इस काम में लगी हुई हैं. यही वजह है कि यहां के कलाकार को राष्ट्रीय फलक पर पहचान तो मिली ही है बल्कि लंदन, ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया के कई देशों में जाकर भारत के इस कौशल को प्रदर्शन करने और प्रशिक्षण देने का भी अवसर इन्हें मिला है. टेराकोटा निर्माण से जुड़े गुलाबचंद ऐसे ही एक कलाकार हैं, जिन्हें पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने सम्मानित किया था. वह कहते हैं कि इस दीवाली पर लक्ष्मी-गणेश, दीये, लैम्प और अन्य कई कलाकृतियों की डिमांड बढ़ी है. उन्होंने कहा कि योगी सरकार में इस उत्पाद को विशेष पहचान देने के साथ गांव के अंदर कई सुविधाएं प्रदान की गई, जिसमें मिट्टी के चाक, भट्टी गेस्ट हाउस आदि शामिल हैं.

टेराकोटा के उत्पाद.
टेराकोटा के उत्पाद.

गांव की महिलाओं को किसी और रोजगार की जरूरत नहीं

टेराकोटा उत्पाद से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि वह जब ससुराल आईं तो उन्हें इस कला की कोई जानकारी नहीं थी. लेकिन परिवार के लोग इसमें शामिल थे, जिससे उन्हें भी यह गुण आ गया. यही नहीं उनके बेटे-बेटी, बहू सभी इसी काम में जुटे हुए हैं. उन्हें किसी दूसरे रोजगार में जाने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि अब तो योगी सरकार में इसका व्यापार भी खूब हो रहा है. इसे बेचने से कीमत भी अच्छी मिल रही है. जिससे उनका घर चल पाता है.

टेराकोटा के उत्पाद.
टेराकोटा के उत्पाद.

टेराकोटा को तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने दिया था नेशनल अवॉर्ड

गोरखपुर के डीएम विजेंद्र पांडियन ने भी इस उत्पाद की महत्ता को देखते हुए दिवाली के अवसर पर बस स्टेशन हो या फिर सरकारी दफ्तर, या निर्माणाधीन चिड़ियाघर ऐसी सभी जगहों पर इन उत्पादों की बिक्री का स्टाल लगाने की बात कही है. इसके अलावा उन्होंने हर जरूरी सुविधाओं को इस कला से जुड़े हुए कलाकारों और उनके गांव को देने को कहा है. यहां से तैयार किए गए उत्पाद हैदराबाद, इंदौर, अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों को भी भेजे जाते हैं. 1983 में इस कलाकृति को नेशनल अवार्ड से तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने सम्मानित किया था. 1981 में इसे स्टेट अवार्ड भी मिला था. टेराकोटा उत्पाद को जीआई पंजीकरण भी मिल चुका है, जिससे यह देश के बौद्धिक संपदा अधिकार में शुमार हो गया है.

गोरखपुर : आकर्षक कलाकृतियों और रंगों के बल पर पूरी दुनिया में अपनी विशेष पहचान बनाने वाला गोरखपुर का टेराकोटा उत्पाद दिवाली के अवसर पर भी धूम मचा रहा है. टेराकोटा उत्पाद की डिमांड इतनी बढ़ गई है कि इसके निर्माण में जुटे कलाकार पूरी तरह से आपूर्ति भी नहीं दे पा रहे हैं.

टेराकोटा के उत्पाद.
टेराकोटा के उत्पाद.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब से टेराकोटा उत्पाद को 'वन डिस्टिक वन उत्पाद' की श्रेणी में टॉप स्थान दिया है तभी से इसकी डिमांड और बढ़ गई है. यही नहीं योगी सरकार ने इस उत्पाद से जुड़े कलाकारों के हुनर और कौशल के साथ जरूरी संसाधन को बढ़ाने में भी योगदान दिया है, जिससे इस उत्पाद को बाजारों में उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन से लेकर जिला उद्योग केंद्र भी शिद्दत से जुटा हुआ है. यही वजह है कि प्रकाश पर्व दिवाली के अवसर पर टेराकोटा की कलाकृतियां पटाखों के स्टाल के बीच भी बेची जा रहीं. सबसे खास बात यह है कि इन मूर्तियों को हाथ से बनाया जाता हैं. इसमें प्राकृतिक रंगों का प्रयोग होता है और इसकी चमक लंबे समय तक बरकार रहती है.

दिवाली में बढ़ी टेराकोटा के उत्पादों की मांग.

कलाकारों को पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम कर चुके हैं सम्मानित

गोरखपुर जिला मुख्यालय से करीब 16 किलोमीटर दूर औरंगाबाद गांव में एक विशेष प्रकार की मिट्टी से यह उत्पाद (टेराकोटा) तैयार किया जाता है. इस उत्पाद में सबसे खास बात इसके रंगाई की होती है, जो विशेष चमक लिए होती है. इस गांव के हर घर में इन मूर्तियों के बनाने वाले कलाकार हैं. करीब 3 पीढ़ियां इस काम में लगी हुई हैं. यही वजह है कि यहां के कलाकार को राष्ट्रीय फलक पर पहचान तो मिली ही है बल्कि लंदन, ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया के कई देशों में जाकर भारत के इस कौशल को प्रदर्शन करने और प्रशिक्षण देने का भी अवसर इन्हें मिला है. टेराकोटा निर्माण से जुड़े गुलाबचंद ऐसे ही एक कलाकार हैं, जिन्हें पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने सम्मानित किया था. वह कहते हैं कि इस दीवाली पर लक्ष्मी-गणेश, दीये, लैम्प और अन्य कई कलाकृतियों की डिमांड बढ़ी है. उन्होंने कहा कि योगी सरकार में इस उत्पाद को विशेष पहचान देने के साथ गांव के अंदर कई सुविधाएं प्रदान की गई, जिसमें मिट्टी के चाक, भट्टी गेस्ट हाउस आदि शामिल हैं.

टेराकोटा के उत्पाद.
टेराकोटा के उत्पाद.

गांव की महिलाओं को किसी और रोजगार की जरूरत नहीं

टेराकोटा उत्पाद से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि वह जब ससुराल आईं तो उन्हें इस कला की कोई जानकारी नहीं थी. लेकिन परिवार के लोग इसमें शामिल थे, जिससे उन्हें भी यह गुण आ गया. यही नहीं उनके बेटे-बेटी, बहू सभी इसी काम में जुटे हुए हैं. उन्हें किसी दूसरे रोजगार में जाने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि अब तो योगी सरकार में इसका व्यापार भी खूब हो रहा है. इसे बेचने से कीमत भी अच्छी मिल रही है. जिससे उनका घर चल पाता है.

टेराकोटा के उत्पाद.
टेराकोटा के उत्पाद.

टेराकोटा को तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने दिया था नेशनल अवॉर्ड

गोरखपुर के डीएम विजेंद्र पांडियन ने भी इस उत्पाद की महत्ता को देखते हुए दिवाली के अवसर पर बस स्टेशन हो या फिर सरकारी दफ्तर, या निर्माणाधीन चिड़ियाघर ऐसी सभी जगहों पर इन उत्पादों की बिक्री का स्टाल लगाने की बात कही है. इसके अलावा उन्होंने हर जरूरी सुविधाओं को इस कला से जुड़े हुए कलाकारों और उनके गांव को देने को कहा है. यहां से तैयार किए गए उत्पाद हैदराबाद, इंदौर, अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों को भी भेजे जाते हैं. 1983 में इस कलाकृति को नेशनल अवार्ड से तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने सम्मानित किया था. 1981 में इसे स्टेट अवार्ड भी मिला था. टेराकोटा उत्पाद को जीआई पंजीकरण भी मिल चुका है, जिससे यह देश के बौद्धिक संपदा अधिकार में शुमार हो गया है.

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