गोरखपुर: नेपाल सरकार ने दूसरे देशों से आने वाली प्रिंटेड पुस्तकों पर 10 फीसदी आयात शुल्क लगा दिया है. इस शुल्क के लगने के बाद विश्व प्रसिद्ध गीता प्रेस की पुस्तकों को नेपाल भेजना मंहगा हो जाएगा. गीता प्रेस की पुस्तकों का काठमांडू और पशुपतिनाथ में एक केंद्र है, जहां से पूरे नेपाल समेत दुनिया के कई देशों तक पुस्तकें सप्लाई की जाती हैं.
नेपाल सरकार का फीसदी आयात शुल्क-
नेपाल सरकार का 10 फीसदी आयात शुल्क गीता प्रेस के प्रबंधन के लिए मुश्किल पैदा करने वाला है. क्योंकि यहां छपने वाली धार्मिक पुस्तकें अपने छपित मूल्य पर ही बिक्री की जाती हैं. इसमें किसी भी तरह की छूट केवल बिक्रेता को ही प्रदान की जाती है. यहां की किताबें प्रिंटिंग कास्ट से भी कम मूल्य पर बेची जाती हैं, ताकि धर्म का प्रचार-प्रसार हो सके. इस टैक्स से गीता प्रेस प्रबंधन के सामने एक बड़ी समस्या आ गई है.
नेपाल सरकार ने करीब माह पहले नेपाल सरकार ने अचानक आयात शुल्क 10 प्रतिशत बढ़ा दिया है. नेपाल जाने वाले किसी भी वाहन पर अधिकतम 565 रुपये ही शुल्क लगता था, लेकिन इस शुल्क के लग जाने के बाद अगर किसी मालवाहक गाड़ी पर आठ लाख रुपये की पुस्तकें भेजी जा रहीं हैं तो उसको टैक्स के रूप में 80 हजार रुपये अदा करने होंगे.
एक करोड़ रुपये की पुस्तके नेपाल में बेची जाती है-
करीब एक करोड़ रुपए की पुस्तकें गीता प्रेस प्रबंधन नेपाल में बेचता है, जो इस टैक्स के बढ़ने से थोड़ा परेशान तो है पर विचलित नहीं है. गीता प्रेस के ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल कहते हैं कि वह आर्थिक नुकसान की भरपाई कैसे हो इसके इंतजाम की सोच रहे हैं, लेकिन नेपाल में पुस्तकें भेजी न जाए ऐसा हो ही नहीं सकता. उन्होंने कहा कि धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़े तो वह भी किया जाएगा.
सीएम योगी ने नेपाल के राजदूत से की बातचीत-
इस मामले को लेकर यहां का प्रबंधन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी दो बार मुलाकात कर चुका है. जिस पर सीएम ने नेपाल के राजदूत से बात किया है, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकला है. हिंदी, नेपाली, तेलगु, उड़िया, अंग्रेजी सहित दर्जनों भाषाओं में विभिन्न धर्म ग्रंथों को छापकर गीता प्रेस दुनिया में एक अनूठा मिसाल कायम किए हुए हैं