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गोरखपुरः सावधान! पाले से हो सकता है रबी की फसलों को नुकसान - सही समय पर उपाय करके बचा सकते हैं रबी फसल

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में शीतलहर का प्रकोप जारी है. इसके चलते रबी की फसलों पर ज्यादा असर हो रहा है. शीतलहर से रबी की फसलों को ज्यादा नुकसान पहुंचता है. हालांकि सही समय पर उपाय करके किसान अपनी फसल को बचा सकते हैं.

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रबी फसल हो सकती है पाले की शिकार.
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Published : Jan 8, 2020, 5:27 PM IST

गोरखपुर: इस कड़कड़ाती ठंड में बेमौसम बारिश और ठंडी हवा चलने से फसलों पर पाले का खतरा मंडराने लगा है. कुछ फसलों में पाले का असर धीरे-धीरे नजर भी आने लगा है. पूर्वांचल में ठंड का कहर जारी है. बेमौसम बारिश और बर्फीली हवा चलने से ठिठुरन में बेतहाशा इजाफा हो गया. ठंड से जनजीवन इस कदर अस्त-व्यस्त है कि आम आदमी घरों में निकल नहीं पा रहा है.

शीतलहर का रबी की फसलों पर कहर.

बदलते मौसम में रबी की फसलों पर पाले का खतरा मंडराने लगा है. जानकार बताते हैं कि दिसम्बर-जनवरी महीने के बीच आलू, मटर और सरसों जैसी फसलों को पाले से अधिक नुकसान होने की संभावना बनी रहती है. हालांकि किसान सही समय पर सही तकनीक अपनाकर अपनी फसलों को पाले से सुरक्षित कर सकते हैं.

शीतलहर की दशा में फसलों को ज्यादा नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है. टमाटर, आलू, मिर्च, बैंगन, भिन्डी मटर, चना, धनिया आदि फसलों में सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है.

विशेषज्ञों की सलाह
महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरपी सिंह बताते हैं कि पाले के प्रभाव से पौधों की पत्तियां और फूल झुलसे हुए दिखाई देते हैं. वह बाद में झड़ जाते हैं. खासकर अधपके फल सिकुड़ जाते हैं. उनमें झुर्रियां पड़ जाती हैं और कलिया गिर जाती हैं.

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शीतलहर का रबी की फसलों पर कहर.

दाने सिकुड़ जाते हैं
फलियों और बालियों में दाने नहीं बनते हैं और बन रहे दाने सिकुड़ जाते हैं. दाने कम भार के और पतले हो जाते हैं. रबी की फसलों में फूल और बालियां-फलियां आने और उनके विकसित होते समय पाला पड़ने की सर्वाधिक संभावनाएं रहती हैं.

सही समय पर उपाय कर बचा सकते हैं पौधे
इस समय कृषकों को सतर्क रहकर फसलों की सुरक्षा के उपाय अपनाने चाहिए. पाला पड़ने के लक्षण सर्वप्रथम वनस्पतियों पर दिखाई देते हैं. पाले का पौधों पर प्रभाव शीतकाल में अधिक होता है.

ऐसे करें शीतलहर और पाले से फसलों की सुरक्षा
जब भी पाला पड़ने की सम्भावना हो या मौसम पूर्वानुमान विभाग से पाले की चेतावनी दी गई हो तो फसल में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए. इससे तापमान शून्य से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकेगा. सिंचाई करने से 0.5-2℅ तक तापमान में बढ़ोतरी हो जाती है.

इस प्रक्रिया से बचा सकते हैं फसल
फसल को पाले से बचाने के लिए आप अपने खेत में धुंआ पैदा कर दें, जिससे तापमान जमाव बिंदु तक नहीं गिर पाता है और पाले से फसलों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है. फसलों को बचाने के लिए खेत की उत्तरी-पश्चिमी मेड़ों पर और बीच-बीच में उचित स्थानों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूल और जामुन लगा दिए जाए तो पाले और ठंडी हवा के झोकों से फसल का बचाव हो सकता है.

ऐसे करें पौधों का उपचार
अभी जिस खेत में झुलसा रोग दिखाई दे, उसमें साइमोक्सेनिल/मैंकोजेब या फेनामिडोन/मैंकोजेब तीन किग्रा 1000 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करें.

इसे भी पढ़ें- JNU पहुंचीं दीपिका, सोशल मीडिया पर ट्रेंड हुआ #BoycottChhapaak

गोरखपुर: इस कड़कड़ाती ठंड में बेमौसम बारिश और ठंडी हवा चलने से फसलों पर पाले का खतरा मंडराने लगा है. कुछ फसलों में पाले का असर धीरे-धीरे नजर भी आने लगा है. पूर्वांचल में ठंड का कहर जारी है. बेमौसम बारिश और बर्फीली हवा चलने से ठिठुरन में बेतहाशा इजाफा हो गया. ठंड से जनजीवन इस कदर अस्त-व्यस्त है कि आम आदमी घरों में निकल नहीं पा रहा है.

शीतलहर का रबी की फसलों पर कहर.

बदलते मौसम में रबी की फसलों पर पाले का खतरा मंडराने लगा है. जानकार बताते हैं कि दिसम्बर-जनवरी महीने के बीच आलू, मटर और सरसों जैसी फसलों को पाले से अधिक नुकसान होने की संभावना बनी रहती है. हालांकि किसान सही समय पर सही तकनीक अपनाकर अपनी फसलों को पाले से सुरक्षित कर सकते हैं.

शीतलहर की दशा में फसलों को ज्यादा नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है. टमाटर, आलू, मिर्च, बैंगन, भिन्डी मटर, चना, धनिया आदि फसलों में सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है.

विशेषज्ञों की सलाह
महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरपी सिंह बताते हैं कि पाले के प्रभाव से पौधों की पत्तियां और फूल झुलसे हुए दिखाई देते हैं. वह बाद में झड़ जाते हैं. खासकर अधपके फल सिकुड़ जाते हैं. उनमें झुर्रियां पड़ जाती हैं और कलिया गिर जाती हैं.

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शीतलहर का रबी की फसलों पर कहर.

दाने सिकुड़ जाते हैं
फलियों और बालियों में दाने नहीं बनते हैं और बन रहे दाने सिकुड़ जाते हैं. दाने कम भार के और पतले हो जाते हैं. रबी की फसलों में फूल और बालियां-फलियां आने और उनके विकसित होते समय पाला पड़ने की सर्वाधिक संभावनाएं रहती हैं.

सही समय पर उपाय कर बचा सकते हैं पौधे
इस समय कृषकों को सतर्क रहकर फसलों की सुरक्षा के उपाय अपनाने चाहिए. पाला पड़ने के लक्षण सर्वप्रथम वनस्पतियों पर दिखाई देते हैं. पाले का पौधों पर प्रभाव शीतकाल में अधिक होता है.

ऐसे करें शीतलहर और पाले से फसलों की सुरक्षा
जब भी पाला पड़ने की सम्भावना हो या मौसम पूर्वानुमान विभाग से पाले की चेतावनी दी गई हो तो फसल में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए. इससे तापमान शून्य से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकेगा. सिंचाई करने से 0.5-2℅ तक तापमान में बढ़ोतरी हो जाती है.

इस प्रक्रिया से बचा सकते हैं फसल
फसल को पाले से बचाने के लिए आप अपने खेत में धुंआ पैदा कर दें, जिससे तापमान जमाव बिंदु तक नहीं गिर पाता है और पाले से फसलों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है. फसलों को बचाने के लिए खेत की उत्तरी-पश्चिमी मेड़ों पर और बीच-बीच में उचित स्थानों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूल और जामुन लगा दिए जाए तो पाले और ठंडी हवा के झोकों से फसल का बचाव हो सकता है.

ऐसे करें पौधों का उपचार
अभी जिस खेत में झुलसा रोग दिखाई दे, उसमें साइमोक्सेनिल/मैंकोजेब या फेनामिडोन/मैंकोजेब तीन किग्रा 1000 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करें.

इसे भी पढ़ें- JNU पहुंचीं दीपिका, सोशल मीडिया पर ट्रेंड हुआ #BoycottChhapaak

Intro:कड़कड़ाती ठंड में बेमौसम बारिश और ठंडी हवाएं चलने से फसलों पर पाले का खरता मडराने लगा है. कुछ फसलों में पाले का असर धिरे धिरे नजर आने लगा है. खास कर आलू के फसल पर. इसके बचाव के लिए धुआं और सिचांई करके फसलों को सुरक्षित कर सकते है.

पिपराइच गोरखपुरः उत्तर के गोरखपुर पूर्वांचल में ठंड का कहर जारी है. बेमौसम बारिश और बर्फिली हवाएं चलने से ठिठूरन में बेतहाशा इजाफा हो गया. इस वर्ष सर्दियों का मौसम पूराने रीकार्ड तोड़ कर नया कृतिमान स्थापित करने की ओर आग्रसर है. ठंड से जनजीवन इस कदर अस्त ब्यस्त है कि आम आदमी घरों में दुबकने लगे है. बदलते मौसम में रब्बी फसलों पर पाला का खतरा मड़राने लगा है. जानकार बताते है कि दिसम्बर जनवरी महीने के बीच आलू, मटर और सरसो जैसी फसलों को पाला से अधिक नुकसान होने की संभावना बनी रहती है. किसान सही समय पर सही तकनीक अपनाकर अपनी फसलों को पाला से सुरक्षित कर सकते हैं.
इस समय अधिकांश किसानों ने रबी फसलों की बुवाई मुकम्मल कर लिया है. बढते ठंड में फसलों पर पाला और शीतलहर का खतरा बढ़ जाता है. ऐसी दशा में फसलों को ज्यादा नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है. टमाटर, आलू, मिर्च, बैंगन, भिन्डी मटर, चना, धनिया आदि फसलों में सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है.Body:$विशेषज्ञों की सलाह$

महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केन्द्र गोरखपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरपी सिंह बताते हैं कि पाले के प्रभाव से पौधों की पत्तियां एवं फूल झुलसे हुए दिखाई देते है जो एवं बाद में झड़ जाते हैं. खासकर अधपके फल सिकुड़ जाते है. उनमें झुर्रियां पड़ जाती हैं एवं कलिया गिर जाते है. फलियों एवं बालियों में दाने नहीं बनते हैं एवं बन रहे दाने सिकुड़ जाते है. दाने कम भार एवं पतले हो जाते है रबी फसलों में फूल आने एवं बालियां/ फलियां आने व उनके विकसित होते समय पाला पडऩे की सर्वाधिक संभावनाएं रहती है. अत: इस समय कृषकों को सतर्क रहकर फसलों की सुरक्षा के उपाय अपनाने चाहिये. पाला पडऩे के लक्षण सर्वप्रथम आक आदि वनस्पतियों पर दिखाई देते है. पाले का पौधों पर प्रभाव शीतकाल में अधिक होता है.

$कब और कैसे पड़ता है पाला ? $

बदलते मौसम में पाला गिरने का अंदाजा आसपास के वातावरण से लगाया जा सकता है. जब तापमान 0℅ से नीचे गिर जाता है तथा हवा रूक जाती है, तो रात्रि को पाला पड़ने की संभावना रहती है. सर्दी के दिनों में जिस रोज दोपहर से पहले ठंडी हवा चलती रहे और हवा का तापमान जमाव बिन्दु से नीचे गिर जाए. अचानक दोपहर बाद हवा चलना बन्द हो जाये और आसमान साफ रहे, या उस दिन आधी रात से ही हवा रूक जाये, तो पाला पडऩे की संभावना अधिक बढ़ जाती है. रात में विशेषकर आधी रात या उसके बाद चौथे प्रहर में पाला पडऩे की संभावना रहती है. साधारणतया तापमान चाहे कितना ही नीचे चला जाये, यदि शीत लहर हवा के रूप में चलती रहे तो कोई फसलों नुकसान नहीं होता है. लेकिन आसमान साफ रहे इसी बीच हवा चलना रूक तो पाला पड़ता है, जो फसलों के लिए नुकसानदायक है.Conclusion:
$ऐसे करें शीत लहर और पाले से फसलों की सुरक्षा$

जब भी पाला पड़ने की सम्भावना हो या मौसम पूर्वानुमान विभाग से पाले की चेतावनी दी गई हो तो फसल में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए. जिससे तापमान 0℅ से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है. सिंचाई करने से 0.5-2℅ तक तापमान मे बढ़ोतरी हो जाती हैं.

$खेत में धुंआ करके भी बचा सकते हैं फसल$

अपनी फसल को पाले से बचाने के लिए आप अपने खेत में धुंआ पैदा कर दें, जिससे तापमान जमाव बिंदु तक नहीं गिर पाता है और पाले से फसलों को होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।

$ऐसे करें पौधों का उपचार$
अभी जिस में खेत में झुलसा रोग दिखायी दे उसमें साइमोक्सेनिल/मैंकोजेब या फेनामिडोन/मैंकोजेब तीन किग्रा 1000 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करें.

$ इस ढंग से फसलों का बचाव $

फसलों को बचाने के लिए खेत की उत्तरी-पश्चिमी मेड़ों पर तथा बीच-बीच में उचित स्थानों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूल, और जामुन आदि लगा दिए जाए तो पाले और ठण्डी हवा के झोंको से फसल का बचाव हो सकता है।


बाइट- आरपी सिंह (वरिष्ठ वैज्ञानिक)

रफिउल्लाह अन्सारी 8318103822
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