गोरखपुरः देश के पूर्व वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने इमरजेंसी के समय की महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं. उन्होंने बकाया कि यूपी सरकार में पांच बार वे मंत्री रहे. मौजूदा समय में वे राज्यसभा सांसद हैं. इमरजेंसी के दौरान शिव प्रताप शुक्ला को 25 जून 1975 को 22 वर्ष की उम्र में गिरफ्तार किया गया था. उनकी गिरफ्तारी प्रदेश की पहली गिरफ्तारी थी.
इंदिरा गांधी की हत्या करने की साजिश का लगा था आरोप
शिव प्रताप शुक्ला पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या करने की साजिश करने का आरोप लगा था. प्रत्येक वर्ष 25 जून को इमरजेंसी के दिनों को याद किया जाता है. इस दिन शिव प्रताप शुक्ला को भी याद किया जाता है. शिव प्रताप शुक्ला को बीजेपी के लिए समर्पित सिपाही की तर्ज पर याद किया जाता है.
इमरजेंसी एक धोखा था
शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि इमरजेंसी एक धोखा थी. उन्होंने कहा कि वह ऐसी घड़ी थी, जिसमें लग ही नहीं रहा था कि न्यायपालिका भी स्वतंत्र है. उस समय गिरफ्तार हुए लोगों को न्यायालय से रिहाई नहीं मिल रही थी. यही वजह थी कि लोगों ने जेल में लंबा समय बिताया. उन्होंने कहा कि कई लोगों को बिजली के तार काटने के झूठे जुल्म में गिरफ्तार किया गया था.
इमरजेंसी लगाने का खाका बंगाल के मुख्यमंत्री ने किया था तैयार
शिव प्रताप शुक्ला ने इमरजेंसी के समय की तमाम बातें ईटीवी भारत से साझा की. उन्होंने कहा कि इमरजेंसी लगाने की सोच को बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर रे ने पूरी की थी. उन्हीं का तैयार किया हुआ ड्राफ्ट इंदिरा गांधी ने पूरे देश पर लागू किया था. उन्होंने कहा कि उस समय 14 वर्ष की उम्र के बालक रहे चिरंजीवी चौरसिया को पुलिस के लोगों ने गिरफ्तार किया. पुलिस ने चिरंजीवी चौरसिया को कड़ी यातनाएं दी.
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शिव प्रताप शुक्ला ने नहीं कराई थी अपनी जमानत
शिव प्रताप शुक्ला इमरजेंसी के दौरान गिरफ्तार किए गए थे. उन दिनों उनके बड़े भाई शहर के प्रतिष्ठित अधिवक्ता थे. शुक्ला के भाई ने उनकी जमानत कराने का प्रयास किया, लेकिन शिव प्रताप ने अपनी जमानत कराने से इनकार कर दिया. शिव प्रताप शुक्ला बताते हैं कि उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर जेल के अंदर ही अपनी आवाज उठाई. इसके कारण अपने साथियों के साथ उन्हें भी कई बार पुलिस की लाठियां खानी पड़ीं.