गोरखपुर: समय के साथ गोरखपुर कई तरह की सुविधाओं से लैस होता जा रहा है. सीएम योगी के प्रयासों से शहर और आधुनिक होता जा रहा है. अब यहां पर अपराधों में विवेचना के लिए जरूरी कई प्रकार की जांचों के लिए फॉरेंसिक लैब स्थापित किया गया है. इसके बन जाने से अब उन तमाम जांचों के लिए हैदराबाद जाने की आवश्यकता नहीं होगी, जो पहले हुआ करती थी. यहां अब DNA की जांच तो होगी ही मासूम बच्चियों से दुष्कर्म के मामलों में भी जल्दी से जल्दी रिपोर्ट मिल सकेगी. जिससे अपराधी को सजा दिलाने में पुलिस को आसानी होगी.
कम होगी पुलिस की दौड़-भाग
इसकी स्थापना से बेवजह पुलिस की उलझन और दौड़ भाग भी कम हो जाएगी. इसके बन जाने से अब उन तमाम जांचों के लिए हैदराबाद और लखनऊ जाने की आवश्यकता नहीं होगी, जो पहले हुआ करती थी.
दो प्रकार के लैब संचालित, डीएनए की भी हो रही जांच
इस लैब में फिलहाल दो अनुभागों में परीक्षण शुरू हो गया है, जिसमें एक अनुभाग को जीव विज्ञान अनुभाग नाम दिया गया है. इसमें वीर्य, बाल और लार अर्थात दुष्कर्म से संबंधित अन्य सैंपल का परीक्षण होगा. इसके दूसरे अनुभाग का नाम रक्त अनुभाग है, वह भी क्रियाशील हो गया है. इसमें खून से जुड़े सभी नमूनों की जांच की जाएगी.
इस केंद्र के डिप्टी डायरेक्टर सुरेश चंद्रा का कहना है कि इस फॉरेंसिक लैब के जोन में आने वाले सभी जिलों की पुलिस को अपराध से जुड़े साक्ष्यों का परीक्षण कराने के लिए सैंपल यहां भेजना होगा. बनारस से भी यहां डीएनए जांच का सैंपल लाया जाएगा. ऐसी तमाम जांचें जो लखनऊ और हैदराबाद में हुआ करती थी, वह भी अब यहीं संभव हो जाएंगी.
ए श्रेणी का है लैब
केंद्र के डिप्टी डायरेक्टर सुरेश चंद्रा ने बताया कि यह ए श्रेणी का लैब है, आने वाले समय में हर प्रकार की जांच संभव होगी. उन्होंने कहा कि डीएनए अनुभाग में 15 मई 2021 तक कुल 357 सैंपल आए थे, जिनमें से 11 सैंपल को त्रुटिपूर्ण तरीके से भेजने पर वापस कर दिया गया है. वास्तविक रूप से 24 केसों के साक्ष्यों का वर्तमान में परीक्षण हो रहा है.
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16 प्रकार की होगीं जांच
यहां पर कुल 16 प्रकार की जांच होगी. जिसमें डीएनए टॉक्सिकोलॉजी, पास्को एक्ट से जुड़े मामलों की जांच होगी. इसके अलावा यहां केमिस्ट्री, डॉक्यूमेंट, सीरोलॉजी, बैलिस्टिक, फिजिक्स, क्राइम सीन मैनेजमेंट, मेडिको लीगल, कंप्यूटर फॉरेंसिक, फोटो सेशन, एक्सप्लोसिव, डीएनए, फॉरेंसिक एकॉउस्टिक, लाई डिटेक्शन, फॉरेंसिक इंजीनियरिंग जैसी जांच आने वाले समय में संभव होगी. यह फॉरेंसिक लैब जिला अस्पताल के बगल में काफी आधुनिक तरीके से बनाई गई है. फिलहाल कोरोना समय में यहां पर जांच मानव संसाधन की कमी की वजह से विलंब हो रही हैं, लेकिन जारी हैं. पूरे पूर्वांचल समेत गोरखपुर के खाते में यह बड़ी उपलब्धि है, जिससे समय और साधन हर चीज की बचत हो रही है.