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बारिश ने निगला धान, अब जलभराव से किसान गेहूं की बुवाई के लिए परेशान

यूपी के गोरखपुर में चौरी चौरा तहसील क्षेत्र के किसान पिछले 15 साल से जलभराव की समस्या से जूझ रहे हैं. किसानों का कहना है कि बरसात का पानी धान की फसल निगल गया और अब गेंहू की बुवाई का समय निकला जा रहा है. किसानों ने बर्बाद हुई फसलों के लिए मुआवजे की मांग की है.

जलमग्न हुई किसानों की फसल.
जलमग्न हुई किसानों की फसल.
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Published : Nov 12, 2020, 3:54 PM IST

गोरखपुर: जिले के चौरी-चौरा तहसील क्षेत्र में स्थित ब्रह्मपुर ब्लॉक के दोआब क्षेत्र के सैकड़ों किसानों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. जल भराव होने से धान की फसलें जलमग्न हो चुकी हैं. खेत में पानी भरे होने के कारण अब गेंहू की फसल की बुवाई में काफी समस्याएं आ रही हैं. किसान खेत से नमी जाने का इंताजार कर रहे हैं. नुकसान झेल रहे किसानों ने सरकार से मुवावजे की मांग भी की है.

जलमग्न हुई किसानों की फसल.
दरअसल, गोरखपुर मुख्यालय से लगभग 40 किमी दूरी पर स्थित ब्रह्मपुर ब्लॉक का गोर्रा राप्ती नदियों के तटबन्धों के बीच का दोआब क्षेत्र, जिसमें चौरी चौरा तहसील क्षेत्र के कई दर्जन गांव की एक बड़ी आबादी निवास करती है, वहां पिछले लगभग 15 वर्षों से बरसात के पानी में डूबकर फसलें बर्बाद हो रही हैं, लेकिन इसके लिए सरकार कोई उचित प्रबंध नहीं कर रही है.ब्रह्मपुर ब्लॉक से होकर बहने वाली गोर्रा तथा राप्ती नदिओं के बीच में स्थित दोबाव क्षेत्र में इस वर्ष भीषण बरसात से कई गावों में बाढ़ जैसे हालात हो गए थे. किसानों ने आस लगाई है कि उनको धान व मक्के की बर्बाद फसल का मुवावजा मिलेगा. वहीं दूसरी तरफ जिस खेत में किसान कई वर्ष पहले दोनों फसलों को काटते थे, अब वहां धान व गेंहू की फसल के लिए इंताजार करना पड़ रहा है.
राजनीति का शिकार हुए किसान
ब्रह्मपुर ब्लॉक के गोर्रा राप्ती दोआब क्षेत्र के गोहटा ताल की समस्या को लेकर विभिन्न राजनीतिक दल के लोग चुनाव के समय में राजनीतिक एजेंडा बनाकर जनता का वोट लेकर गायब हो जाते हैं. इस वर्ष भी गोहटा ताल को मुद्दा बनाते हुए यहां के स्थानीय सपा के वरिष्ठ नेताओं ने कई बार स्थानीय अधिकारियों को ज्ञापन देकर मुवावजे की मांग की.

15 वर्षों से झेल रहे जलभराव की मार
परमेशर माधव रामआसरे सहित कई किसानों का कहना है कि हमारे क्षेत्र में स्थित गोहटा ताल की समस्या विगत 15 वर्षों से जटिल हो गई है. पहले यहां दोनों फसलें होती थीं, लेकिन अब धान की फसल पूर्ण रूप से बर्बाद हो गई है. गेंहू की फसल के लिए पानी हटने का इंतजार किया जा रहा है. हमें सरकार से उम्मीद है कि हमे हमारी बर्बाद फसल का मुवाजवा मिलेगा. वहीं इस मामले तहसील प्रशासन का कहना है कि जहां दोनों फसलें होती हैं, वहां यदि फसल बर्बाद हुई होगी, तो हल्का लेखपाल के माध्यम से जांच कराई जायेगी.

गोरखपुर: जिले के चौरी-चौरा तहसील क्षेत्र में स्थित ब्रह्मपुर ब्लॉक के दोआब क्षेत्र के सैकड़ों किसानों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. जल भराव होने से धान की फसलें जलमग्न हो चुकी हैं. खेत में पानी भरे होने के कारण अब गेंहू की फसल की बुवाई में काफी समस्याएं आ रही हैं. किसान खेत से नमी जाने का इंताजार कर रहे हैं. नुकसान झेल रहे किसानों ने सरकार से मुवावजे की मांग भी की है.

जलमग्न हुई किसानों की फसल.
दरअसल, गोरखपुर मुख्यालय से लगभग 40 किमी दूरी पर स्थित ब्रह्मपुर ब्लॉक का गोर्रा राप्ती नदियों के तटबन्धों के बीच का दोआब क्षेत्र, जिसमें चौरी चौरा तहसील क्षेत्र के कई दर्जन गांव की एक बड़ी आबादी निवास करती है, वहां पिछले लगभग 15 वर्षों से बरसात के पानी में डूबकर फसलें बर्बाद हो रही हैं, लेकिन इसके लिए सरकार कोई उचित प्रबंध नहीं कर रही है.ब्रह्मपुर ब्लॉक से होकर बहने वाली गोर्रा तथा राप्ती नदिओं के बीच में स्थित दोबाव क्षेत्र में इस वर्ष भीषण बरसात से कई गावों में बाढ़ जैसे हालात हो गए थे. किसानों ने आस लगाई है कि उनको धान व मक्के की बर्बाद फसल का मुवावजा मिलेगा. वहीं दूसरी तरफ जिस खेत में किसान कई वर्ष पहले दोनों फसलों को काटते थे, अब वहां धान व गेंहू की फसल के लिए इंताजार करना पड़ रहा है.
राजनीति का शिकार हुए किसान
ब्रह्मपुर ब्लॉक के गोर्रा राप्ती दोआब क्षेत्र के गोहटा ताल की समस्या को लेकर विभिन्न राजनीतिक दल के लोग चुनाव के समय में राजनीतिक एजेंडा बनाकर जनता का वोट लेकर गायब हो जाते हैं. इस वर्ष भी गोहटा ताल को मुद्दा बनाते हुए यहां के स्थानीय सपा के वरिष्ठ नेताओं ने कई बार स्थानीय अधिकारियों को ज्ञापन देकर मुवावजे की मांग की.

15 वर्षों से झेल रहे जलभराव की मार
परमेशर माधव रामआसरे सहित कई किसानों का कहना है कि हमारे क्षेत्र में स्थित गोहटा ताल की समस्या विगत 15 वर्षों से जटिल हो गई है. पहले यहां दोनों फसलें होती थीं, लेकिन अब धान की फसल पूर्ण रूप से बर्बाद हो गई है. गेंहू की फसल के लिए पानी हटने का इंतजार किया जा रहा है. हमें सरकार से उम्मीद है कि हमे हमारी बर्बाद फसल का मुवाजवा मिलेगा. वहीं इस मामले तहसील प्रशासन का कहना है कि जहां दोनों फसलें होती हैं, वहां यदि फसल बर्बाद हुई होगी, तो हल्का लेखपाल के माध्यम से जांच कराई जायेगी.

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