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गन्ना उत्पादन में रुचि नहीं ले रहे किसान, मिलों का संचालन भी लड़खड़ाया

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Published : Jun 21, 2022, 4:24 PM IST

गोरखपुर में गन्ने का क्षेत्रफल लगातार घटता हुआ पाया गया है. वर्ष 2019-20 में जहां 4200 हेक्टेयर में गन्ना की बुवाई हुई थी. वहीं, 2020-21 में क्षेत्रफल 3410 हेक्टेयर पर आ गया. वर्ष 2021-22 में तो यह क्षेत्रफल 2785 हेक्टेयर पर आकर रुक गया है.

etv bharat
गन्ना उत्पादन में रुचि नहीं ले रहे किसान

गोरखपुर: किसी समय में यह क्षेत्र चीनी के कटोरा के नाम से जाना जाता था. वजह थी कि इस क्षेत्र में 14 चीनी मिलों की स्थापना और भरपूर मात्रा में गन्ने का उत्पादन. लेकिन मौजूदा दौर में यह क्षेत्र गन्ने के उत्पादन में जहां पिछड़ता जा रहा है. वहीं, चार मिलें जो संचालित हो रही हैं, वह गन्ने के अभाव में लड़खड़ाते हुए चल रही हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही मंचों से गन्ना किसानों के दर्द को दूर करने और उत्पादन को बढ़ावा देने की बात करते हो लेकिन उनके जिले से ही जो आंकड़ा निकलकर सामने आ रहा है वह हैरान और परेशान करने वाला है.

क्योंकि अगर गन्ना किसान गन्ना का उत्पादन ही नहीं करेंगे, तो सरकारी चीनी मिल के रूप में स्थापित हुई नई नवेली पिपराइच की चीनी मिल में भी चीनी का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होगा. मिल बंदी की कगार की ओर बढ़ेगी. वहीं, गन्ना किसान फसलों की बर्बादी, बकाया गन्ना मूल्य के समय से न मिलने की वजह से दूसरे फसलों की तरफ अपना रुख मोड़ देंगे. etv bharat की पड़ताल में यह बात सामने आयी है कि पूर्वांचल के इस क्षेत्र में गन्ना उत्पादन को लेकर किसान परेशान है. उन्हें फिलहाल कोई ऐसा उपाय नहीं सुझाया जा रहा, जिससे वह अपना उत्पादन बढ़ा सकें. जिला गन्ना अधिकारी शैलेंद्र अस्थाना ने बताया कि जिले की मिलों पर गन्ना किसानों का 18 करोड़ रुपये बकाया भी है.

सहायक चीनी आयुक्त नीलू सिंह
ईटीवी भारत अपनी खबर में जिन आंकड़ों को पेश कर रहा है, वह विभाग के 3 वर्ष तक के सर्वे के रिपोर्ट का आधार पर है. जिसमें गन्ने का क्षेत्रफल लगातार घटता हुआ पाया गया है. वर्ष 2019-20 में जहां 4200 हेक्टेयर में गन्ना की बुवाई हुई थी. वहीं, 2020-21 में क्षेत्रफल 3410 हेक्टेयर पर आ गया. वर्ष 2021-22 में तो यह क्षेत्रफल 2785 हेक्टेयर पर आकर रुक गया है.
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चीनी मिल

सहायक चीनी आयुक्त नीलू सिंह ने कहा कि गन्ना का जो रकबा है वह पहसे से घटा है. उन्होंने का कि तमाम चीजें किसानों को सिखायी जा रही है ताकि वह इस फसल की खेती करें, ताकि उनको गन्ने की फसल से उनको फायदा मिले.

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गन्ना उत्पादन

लगातार आ रही गिरावट निश्चित रूप से इस बात का साफ संकेत दे रही है कि गन्ना उत्पादन में किसान रुचि नहीं ले रहे. इसके पीछे मौसमी और प्रकृति की मार भी जहां कारण बनी है. वहीं, किसानों को न प्रेरित करने वाले अभियान भी इसके कारण में है. योगी सरकार में गोरखपुर के पिपराइच में नई चीनी मिल स्थापित हुई है. जिसे प्रतिवर्ष करीब 80 से 90 लाख क्विंटल गन्ना चाहिए.

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सहायक चीनी आयुक्त

इसे भी पढ़ेंः अलीगढ़ में बुलडोजर के साथ फ्लैग मार्च पर विपक्ष का वार, सरकार दहशत फैला रही है

मिल की पेराई क्षमता 50 हजार क्विंटल प्रतिदिन की है, जिसे 75 हजार क्विंटल तक बढ़ाया जा सकता है. लेकिन इस क्षेत्र में गन्ने का इजाफा नहीं हो रहा. ऐसे में यहां आस-पास के जिलों से गन्ना मंगाकर मिल चलाई जा रही है. लेकिन यह भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं. आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2021- 22 में मिल को 83 दिन में सिर्फ 24.83 लाख क्विंटल ही गन्ना मिल सका, जबकि 2020-21 में 84 दिन में मिल को 24.99 लाख क्विंटल गन्ना मिल सका. इसी प्रकार वर्ष 2019-20 में चीनी मिल 45 लाख क्विंटल गन्ना पेराई कर बंद हुई थी. हालत यह है कि मिल को मौजूदा समय में 25 लाख क्विंटल भी गन्ना नहीं मिल पा रहा. जो मिल को 50 दिन का भी गन्ना पर्याप्त नहीं है. जबकि मिल पेराई सत्र में औसतन 160 से 170 दिन चलनी चाहिए. लेकिन गन्ने की कमी की वजह से यह 84 से पचासी दिन में ही बंद हो जा रही है.

पिपराइच चीनी मिल के सहायक महाप्रबंधक एसके शुक्ला की मानें तो गन्ना उत्पादन में प्रकृति साथ नहीं दे रही. पिछ्ले 2 वर्षों में अधिक बारिश के चलते गन्ने की अधिकांश फसल सूख गई, जिससे किसानों का मनोबल टूट गया. इस बार मौसम ने गन्ना किसानों का थोड़ा साथ दिया है. अभी तक बारिश न होने से यह जो बुवाई हुई है. वह फसल अच्छी है. अगर सामान्य बरसा रही तो गन्ने का उत्पादन बढ़ सकता है. वहीं, सहायक गन्ना आयुक्त की मानें तो गन्ने का उत्पादन बढ़ाने के लिए गन्ना संस्थान किसान प्रशिक्षण अभियान चलाएगा. गोरखपुर- बस्ती मंडल में किसानों के साथ गोष्ठी भी की जाएगी और नई प्रजातियों की जानकारी भी किसानों को उपलब्ध होगी.

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गोरखपुर: किसी समय में यह क्षेत्र चीनी के कटोरा के नाम से जाना जाता था. वजह थी कि इस क्षेत्र में 14 चीनी मिलों की स्थापना और भरपूर मात्रा में गन्ने का उत्पादन. लेकिन मौजूदा दौर में यह क्षेत्र गन्ने के उत्पादन में जहां पिछड़ता जा रहा है. वहीं, चार मिलें जो संचालित हो रही हैं, वह गन्ने के अभाव में लड़खड़ाते हुए चल रही हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही मंचों से गन्ना किसानों के दर्द को दूर करने और उत्पादन को बढ़ावा देने की बात करते हो लेकिन उनके जिले से ही जो आंकड़ा निकलकर सामने आ रहा है वह हैरान और परेशान करने वाला है.

क्योंकि अगर गन्ना किसान गन्ना का उत्पादन ही नहीं करेंगे, तो सरकारी चीनी मिल के रूप में स्थापित हुई नई नवेली पिपराइच की चीनी मिल में भी चीनी का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होगा. मिल बंदी की कगार की ओर बढ़ेगी. वहीं, गन्ना किसान फसलों की बर्बादी, बकाया गन्ना मूल्य के समय से न मिलने की वजह से दूसरे फसलों की तरफ अपना रुख मोड़ देंगे. etv bharat की पड़ताल में यह बात सामने आयी है कि पूर्वांचल के इस क्षेत्र में गन्ना उत्पादन को लेकर किसान परेशान है. उन्हें फिलहाल कोई ऐसा उपाय नहीं सुझाया जा रहा, जिससे वह अपना उत्पादन बढ़ा सकें. जिला गन्ना अधिकारी शैलेंद्र अस्थाना ने बताया कि जिले की मिलों पर गन्ना किसानों का 18 करोड़ रुपये बकाया भी है.

सहायक चीनी आयुक्त नीलू सिंह
ईटीवी भारत अपनी खबर में जिन आंकड़ों को पेश कर रहा है, वह विभाग के 3 वर्ष तक के सर्वे के रिपोर्ट का आधार पर है. जिसमें गन्ने का क्षेत्रफल लगातार घटता हुआ पाया गया है. वर्ष 2019-20 में जहां 4200 हेक्टेयर में गन्ना की बुवाई हुई थी. वहीं, 2020-21 में क्षेत्रफल 3410 हेक्टेयर पर आ गया. वर्ष 2021-22 में तो यह क्षेत्रफल 2785 हेक्टेयर पर आकर रुक गया है.
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चीनी मिल

सहायक चीनी आयुक्त नीलू सिंह ने कहा कि गन्ना का जो रकबा है वह पहसे से घटा है. उन्होंने का कि तमाम चीजें किसानों को सिखायी जा रही है ताकि वह इस फसल की खेती करें, ताकि उनको गन्ने की फसल से उनको फायदा मिले.

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गन्ना उत्पादन

लगातार आ रही गिरावट निश्चित रूप से इस बात का साफ संकेत दे रही है कि गन्ना उत्पादन में किसान रुचि नहीं ले रहे. इसके पीछे मौसमी और प्रकृति की मार भी जहां कारण बनी है. वहीं, किसानों को न प्रेरित करने वाले अभियान भी इसके कारण में है. योगी सरकार में गोरखपुर के पिपराइच में नई चीनी मिल स्थापित हुई है. जिसे प्रतिवर्ष करीब 80 से 90 लाख क्विंटल गन्ना चाहिए.

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सहायक चीनी आयुक्त

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मिल की पेराई क्षमता 50 हजार क्विंटल प्रतिदिन की है, जिसे 75 हजार क्विंटल तक बढ़ाया जा सकता है. लेकिन इस क्षेत्र में गन्ने का इजाफा नहीं हो रहा. ऐसे में यहां आस-पास के जिलों से गन्ना मंगाकर मिल चलाई जा रही है. लेकिन यह भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं. आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2021- 22 में मिल को 83 दिन में सिर्फ 24.83 लाख क्विंटल ही गन्ना मिल सका, जबकि 2020-21 में 84 दिन में मिल को 24.99 लाख क्विंटल गन्ना मिल सका. इसी प्रकार वर्ष 2019-20 में चीनी मिल 45 लाख क्विंटल गन्ना पेराई कर बंद हुई थी. हालत यह है कि मिल को मौजूदा समय में 25 लाख क्विंटल भी गन्ना नहीं मिल पा रहा. जो मिल को 50 दिन का भी गन्ना पर्याप्त नहीं है. जबकि मिल पेराई सत्र में औसतन 160 से 170 दिन चलनी चाहिए. लेकिन गन्ने की कमी की वजह से यह 84 से पचासी दिन में ही बंद हो जा रही है.

पिपराइच चीनी मिल के सहायक महाप्रबंधक एसके शुक्ला की मानें तो गन्ना उत्पादन में प्रकृति साथ नहीं दे रही. पिछ्ले 2 वर्षों में अधिक बारिश के चलते गन्ने की अधिकांश फसल सूख गई, जिससे किसानों का मनोबल टूट गया. इस बार मौसम ने गन्ना किसानों का थोड़ा साथ दिया है. अभी तक बारिश न होने से यह जो बुवाई हुई है. वह फसल अच्छी है. अगर सामान्य बरसा रही तो गन्ने का उत्पादन बढ़ सकता है. वहीं, सहायक गन्ना आयुक्त की मानें तो गन्ने का उत्पादन बढ़ाने के लिए गन्ना संस्थान किसान प्रशिक्षण अभियान चलाएगा. गोरखपुर- बस्ती मंडल में किसानों के साथ गोष्ठी भी की जाएगी और नई प्रजातियों की जानकारी भी किसानों को उपलब्ध होगी.

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