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आयुष विश्वविद्यालय की तरह गोरखपुर के MMMUT में हुए फर्जी एडमिशन, 40 छात्रों के प्रवेश निरस्त

विश्वविद्यालय की दो चरणों की जांच में मामला सही पाया गया है. अभी तीसरे चरण के जांच की रिपोर्ट आनी बाकी है. University प्रशासन ने निर्णय लिया है कि मामले में एफआईआर कराई जाएगी.

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Published : Jan 11, 2023, 11:45 AM IST

गोरखपुर: नैक मूल्यांकन ए ग्रेड पाने के लिए विश्वविद्यालयों में बड़े-बड़े खेल चल रहे हैं. इनमें गोरखपुर (Gorakhpur) का मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) भी शामिल है. यहां बीटेक के 40 छात्रों के फर्जी प्रवेश हुए हैं. इन छात्रों ने जाली कागजात बनाकर बीटेक (MMMUT B.tech) में दाखिला लिया था. विश्वविद्यालय प्रशासन ने चिन्हित कर उनके प्रवेश को निरस्त कर दिया है. इस फर्जीवाड़े में किसी बड़े रैकेट का हाथ होने के संकेत मिल रहे हैं. मामले के खुलासे के बाद विश्वविद्यालय प्रबंध बोर्ड ने जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित करने का निर्णय लिया है.

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जेपी पांडेय (MMMUT Vice Chancellor JP Pandey) ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि 'सितंबर 2022 में इस मामले की जानकारी विश्वविद्यालय प्रशासन को हुई थी. इसके बाद सभी प्रकार के कागजात को कब्जे में लेकर कई स्तरों पर जांच कराई गई. जांच के दौरान परत दर परत खुलती चली गईं. समिति की जांच में जिस तरह से प्रवेश में जालसाजी के तथ्य मिले हैं, उससे एक बात साफ है कि इसमें किसी बड़े रैकेट का हाथ है. इस जांच की आंच विश्वविद्यालय के कुछ सीनियर के ऊपर भी पड़ सकती है।'

जांच में सही पाया गया मामला, छात्रों के प्रवेश निरस्त

प्रोफेसर जेपी पांडेय ने बताया कि अब तक की जांच में सत्र 2020-21 के 22 और सत्र 2021-22 के 18 विद्यार्थियों द्वारा फर्जी कागजात तैयार कराकर दाखिला कराने का मामला प्रकाश में आया है. मामले में तीन चरणों की जांच हुई है, जिसमें दो चरणों की जांच में मामला सही पाया गया है. इसके बाद आरोपी छात्रों का प्रवेश निरस्त किया गया है. तीसरी जांच रिपोर्ट का आना बाकी है.

प्रवेश में फर्जीवाड़े का कैसे हुआ खुलासा

फर्जी नामांकन का खुलासा तब हो सका जब सत्र 2021-22 के कुछ छात्रों द्वारा अपने नामांकन के लिए सितंबर 2022 के पहले हफ्ते में ही, अधिष्ठाता स्नातक से संपर्क किया गया. तब उन्हें पता चला कि उनके नाम प्रवेश करने वाले छात्रों की सूची में थे ही नहीं. इसके बाद जब रजिस्ट्रेशन के आंकड़ों से मिलान किया गया तो 2020-21 के भी कई छात्रों के प्रवेश संदिग्ध मिले, जिस पर डीन द्वारा प्रकरण को कुलपति प्रोफेसर जेपी पांडेय के संज्ञान में 5 सितंबर को लाया गया.

एमएमएमयूटी (MMMUT) प्रशासन गंभीर, कराई जाएगी एफआईआर (FIR)

कुलपति ने इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए संदिग्ध दोनों सत्रों के प्रवेश की गहन जांच कराई और एक समिति गठित कर दी. पूरे प्रकरण को लेकर एमएमएमयूटी प्रशासन गंभीर है. इसमें निर्णय लिया गया है कि एफआईआर कराई जाएगी. फर्जीवाड़े में जो भी आरोपी होंगे उन्हें बख्शा नहीं जाएगा. फिलहाल प्रदेश में आयुष विश्वविद्यालय (Ayush University) में हुए फर्जी प्रवेश के बाद मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में इस फर्जी नामांकन के आए मामले ने प्रवेश प्रक्रिया में धांधली करने वाले रैकेट के बड़े स्तर पर शामिल होने का संकेत दिया है.

यह भी पढ़ेंः दो दिवसीय दौरे पर गोरखपुर पहुंचे सीएम योगी, खिचड़ी मेले की तैयारियों का लिया जायजा

गोरखपुर: नैक मूल्यांकन ए ग्रेड पाने के लिए विश्वविद्यालयों में बड़े-बड़े खेल चल रहे हैं. इनमें गोरखपुर (Gorakhpur) का मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) भी शामिल है. यहां बीटेक के 40 छात्रों के फर्जी प्रवेश हुए हैं. इन छात्रों ने जाली कागजात बनाकर बीटेक (MMMUT B.tech) में दाखिला लिया था. विश्वविद्यालय प्रशासन ने चिन्हित कर उनके प्रवेश को निरस्त कर दिया है. इस फर्जीवाड़े में किसी बड़े रैकेट का हाथ होने के संकेत मिल रहे हैं. मामले के खुलासे के बाद विश्वविद्यालय प्रबंध बोर्ड ने जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित करने का निर्णय लिया है.

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जेपी पांडेय (MMMUT Vice Chancellor JP Pandey) ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि 'सितंबर 2022 में इस मामले की जानकारी विश्वविद्यालय प्रशासन को हुई थी. इसके बाद सभी प्रकार के कागजात को कब्जे में लेकर कई स्तरों पर जांच कराई गई. जांच के दौरान परत दर परत खुलती चली गईं. समिति की जांच में जिस तरह से प्रवेश में जालसाजी के तथ्य मिले हैं, उससे एक बात साफ है कि इसमें किसी बड़े रैकेट का हाथ है. इस जांच की आंच विश्वविद्यालय के कुछ सीनियर के ऊपर भी पड़ सकती है।'

जांच में सही पाया गया मामला, छात्रों के प्रवेश निरस्त

प्रोफेसर जेपी पांडेय ने बताया कि अब तक की जांच में सत्र 2020-21 के 22 और सत्र 2021-22 के 18 विद्यार्थियों द्वारा फर्जी कागजात तैयार कराकर दाखिला कराने का मामला प्रकाश में आया है. मामले में तीन चरणों की जांच हुई है, जिसमें दो चरणों की जांच में मामला सही पाया गया है. इसके बाद आरोपी छात्रों का प्रवेश निरस्त किया गया है. तीसरी जांच रिपोर्ट का आना बाकी है.

प्रवेश में फर्जीवाड़े का कैसे हुआ खुलासा

फर्जी नामांकन का खुलासा तब हो सका जब सत्र 2021-22 के कुछ छात्रों द्वारा अपने नामांकन के लिए सितंबर 2022 के पहले हफ्ते में ही, अधिष्ठाता स्नातक से संपर्क किया गया. तब उन्हें पता चला कि उनके नाम प्रवेश करने वाले छात्रों की सूची में थे ही नहीं. इसके बाद जब रजिस्ट्रेशन के आंकड़ों से मिलान किया गया तो 2020-21 के भी कई छात्रों के प्रवेश संदिग्ध मिले, जिस पर डीन द्वारा प्रकरण को कुलपति प्रोफेसर जेपी पांडेय के संज्ञान में 5 सितंबर को लाया गया.

एमएमएमयूटी (MMMUT) प्रशासन गंभीर, कराई जाएगी एफआईआर (FIR)

कुलपति ने इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए संदिग्ध दोनों सत्रों के प्रवेश की गहन जांच कराई और एक समिति गठित कर दी. पूरे प्रकरण को लेकर एमएमएमयूटी प्रशासन गंभीर है. इसमें निर्णय लिया गया है कि एफआईआर कराई जाएगी. फर्जीवाड़े में जो भी आरोपी होंगे उन्हें बख्शा नहीं जाएगा. फिलहाल प्रदेश में आयुष विश्वविद्यालय (Ayush University) में हुए फर्जी प्रवेश के बाद मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में इस फर्जी नामांकन के आए मामले ने प्रवेश प्रक्रिया में धांधली करने वाले रैकेट के बड़े स्तर पर शामिल होने का संकेत दिया है.

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