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रेलवे के निजीकरण और निगमीकरण के विरोध में कर्मचारी संगठन लामबंद

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में पूर्वोत्तर रेलवे के कर्मचारी रेलवे के निगमीकरण और निजीकरण के विरोध में लामबंद हो गए हैं. सरकार के फैसले का विरोध करते हुए कर्मचारी संगठनों के पादाधिकारियों ने कहा कि, भारतीय रेल को अडानी और अंबानी की रेल नहीं बनने दिया जाएगा.

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Published : Sep 15, 2020, 1:32 PM IST

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रेलवे के निजीकरण और निगमीकरण के विरोध में बैठक करते कर्मचारी संगठन

गोरखपुर: रेलवे के निजीकरण और निगमीकरण के विरोध में रेलवे कर्मचारियों के कई संगठन लामबंद हो गए हैं. रेलवे कर्मचारी संगठन अलग-अलग बैठक कर सरकार के फैसले के विरोध में आंदोलन की रणनीति बनाने की तैयारी में हैं. रेलवे के विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि वह निजीकरण और निगमीकरण का पूरी तरह से विरोध करते हैं. मोदी सरकार रेलवे को टुकड़े-टुकड़े में बेचकर देश के युवाओं को बेरोजगार करने पर आमादा है. भारतीय रेल को अडानी, अंबानी रेल नहीं बनने दिया जाएगा. वह मरते दम तक इस फैसले का विरोध करेंगे.

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रेलवे के निजीकरण और निगमीकरण के विरोध में कर्मचारी
रेलवे के निजीकरण और निगमीकरण के विरोध में कर्मचारी संगठनरेलवे के निजीकरण और निगमीकरण के विरोध में रेलवे कर्मचारियों का राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू हो गया है. एनई रेलवे मजदूर यूनियन, नरमू और पूर्वोत्तर रेलवे श्रमिक संघ, पीआरएसएस के कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ दो-दो हाथ करने का पूरा मूड बना लिया है. लगातार बैठकों का दौर चल रहा है. सभी संगठन रेलवे के निजीकरण के विरोध में उतर गए हैं. रेलवे कर्मचारी संगठनों ने निजीकरण के विरोध में आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है. भारतीय रेलवे मजदूर संघ के आह्वान पर शुरू हुआ यह आंदोलन आगामी 19 सितंबर तक जारी रहेगा.
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रेलवे के निजीकरण और निगमीकरण के विरोध में बैठक करते कर्मचारी संगठन

नई पेंशन नीति का भी विरोध
पूर्वोत्तर रेलवे श्रमिक संघ के अध्यक्ष जगदीश प्रसाद गुप्ता, सहायक मंडल मंत्री योगेश चंद्र शुक्ला, सहायक महामंत्री बजरंग दुबे ने कहा कि वह निजीकरण और निगमीकरण का विरोध करते हैं. भारतीय रेल कमाऊ बन गई है, इसलिए मोदी सरकार और देश के बड़े व्यापारी मिलकर इसका निजीकरण और निगमीकरण कर रहे हैं. भारतीय रेलवे मजदूर संघ के नेतृत्व में इसका विरोध किया जा रहा है. रेलवे को वह भारतीय रेल से अडानी और अंबानी रेल बना कर हमारा दोहन नहीं कर सकते. इसके साथ ही कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन स्कीम को खत्म कर नई पेंशन नीति को लागू करने का भी विरोध किया.

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बैठक में शामिल रेलवे कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारी

'टुकड़े-टुकड़े में रेलवे को बेच रही सरकार'
एनईआर मजदूर यूनियन नरमू के संयुक्त मंत्री नवीन कुमार और ज्वाइंट सेक्रेटरी प्रदीप कुमार ने कहा कि वे लोग केवल रेल को बचाने के लिए सड़क पर उतर रहे हैं. रेल रहेगी, तभी देश रहेगा. इसके लिए वे आंदोलन कर रहे हैं. केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि, वे रेलवे को प्राइवेट हाथों में बेचने नहीं देंगे, प्रधानमंत्री ने वायदा किया था कि वे रेलवे को बिकने नहीं देंगे. आज वो खुद देश के बड़े व्यापारियों औ उद्योगपतियों के साथ मिलकर रेलवे का निजीकरण करने पर आमादा हैं. स्टेशन के साथ, रेलवे को टुकड़े-टुकड़े में बेच रहे हैं. कर्मचारियों की बहुत सी समस्याएं हैं. युवाओं के न्यू पेंशन स्कीम की बातें हैं, 5 साल के लिए जीत कर आने वाले सांसद विधायक को पेंशन दिया जा रहा है और हमारी पेंशन को खत्म किया जा रहा है. यह अन्याय नहीं होने दिया जाएगा. देश के युवाओं और आम जनता को जगाने की जरूरत है और इस सरकार को हम आने वाले समय में उखाड़ फेकेंगे.

गोरखपुर: रेलवे के निजीकरण और निगमीकरण के विरोध में रेलवे कर्मचारियों के कई संगठन लामबंद हो गए हैं. रेलवे कर्मचारी संगठन अलग-अलग बैठक कर सरकार के फैसले के विरोध में आंदोलन की रणनीति बनाने की तैयारी में हैं. रेलवे के विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि वह निजीकरण और निगमीकरण का पूरी तरह से विरोध करते हैं. मोदी सरकार रेलवे को टुकड़े-टुकड़े में बेचकर देश के युवाओं को बेरोजगार करने पर आमादा है. भारतीय रेल को अडानी, अंबानी रेल नहीं बनने दिया जाएगा. वह मरते दम तक इस फैसले का विरोध करेंगे.

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रेलवे के निजीकरण और निगमीकरण के विरोध में कर्मचारी
रेलवे के निजीकरण और निगमीकरण के विरोध में कर्मचारी संगठनरेलवे के निजीकरण और निगमीकरण के विरोध में रेलवे कर्मचारियों का राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू हो गया है. एनई रेलवे मजदूर यूनियन, नरमू और पूर्वोत्तर रेलवे श्रमिक संघ, पीआरएसएस के कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ दो-दो हाथ करने का पूरा मूड बना लिया है. लगातार बैठकों का दौर चल रहा है. सभी संगठन रेलवे के निजीकरण के विरोध में उतर गए हैं. रेलवे कर्मचारी संगठनों ने निजीकरण के विरोध में आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है. भारतीय रेलवे मजदूर संघ के आह्वान पर शुरू हुआ यह आंदोलन आगामी 19 सितंबर तक जारी रहेगा.
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रेलवे के निजीकरण और निगमीकरण के विरोध में बैठक करते कर्मचारी संगठन

नई पेंशन नीति का भी विरोध
पूर्वोत्तर रेलवे श्रमिक संघ के अध्यक्ष जगदीश प्रसाद गुप्ता, सहायक मंडल मंत्री योगेश चंद्र शुक्ला, सहायक महामंत्री बजरंग दुबे ने कहा कि वह निजीकरण और निगमीकरण का विरोध करते हैं. भारतीय रेल कमाऊ बन गई है, इसलिए मोदी सरकार और देश के बड़े व्यापारी मिलकर इसका निजीकरण और निगमीकरण कर रहे हैं. भारतीय रेलवे मजदूर संघ के नेतृत्व में इसका विरोध किया जा रहा है. रेलवे को वह भारतीय रेल से अडानी और अंबानी रेल बना कर हमारा दोहन नहीं कर सकते. इसके साथ ही कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन स्कीम को खत्म कर नई पेंशन नीति को लागू करने का भी विरोध किया.

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बैठक में शामिल रेलवे कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारी

'टुकड़े-टुकड़े में रेलवे को बेच रही सरकार'
एनईआर मजदूर यूनियन नरमू के संयुक्त मंत्री नवीन कुमार और ज्वाइंट सेक्रेटरी प्रदीप कुमार ने कहा कि वे लोग केवल रेल को बचाने के लिए सड़क पर उतर रहे हैं. रेल रहेगी, तभी देश रहेगा. इसके लिए वे आंदोलन कर रहे हैं. केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि, वे रेलवे को प्राइवेट हाथों में बेचने नहीं देंगे, प्रधानमंत्री ने वायदा किया था कि वे रेलवे को बिकने नहीं देंगे. आज वो खुद देश के बड़े व्यापारियों औ उद्योगपतियों के साथ मिलकर रेलवे का निजीकरण करने पर आमादा हैं. स्टेशन के साथ, रेलवे को टुकड़े-टुकड़े में बेच रहे हैं. कर्मचारियों की बहुत सी समस्याएं हैं. युवाओं के न्यू पेंशन स्कीम की बातें हैं, 5 साल के लिए जीत कर आने वाले सांसद विधायक को पेंशन दिया जा रहा है और हमारी पेंशन को खत्म किया जा रहा है. यह अन्याय नहीं होने दिया जाएगा. देश के युवाओं और आम जनता को जगाने की जरूरत है और इस सरकार को हम आने वाले समय में उखाड़ फेकेंगे.

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